उम्मत पर फ़र्ज़ है

ए आले रसूल صَلَّى ٱللَّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ.  आप से मुहब्बत रखना बाहुक्म क़ुरआन उम्मत पर फ़र्ज़ है
तुम्हारा अज़ीम उल मर्तब होना इसी से समझ में आ जाता हैं
की जो तुम पर सलावात ना भेजे उसकी नमाज़ ताम नहीं होती

📗 दीवान अल ईमाम शाफ़ई रदी अल्लाहू अनहू