
हजरत अली (करमअल्लाहु वजहुल करीम) बयान करते है, रसूलल्लाह ﷺ के यहां जो मेरा मकाम व मरतबा था वो मखलूक मैसे किसी और का नहीं
मिश्कत शरीफ जिल्द:3 हदीस नं:6106

हजरत अली (करमअल्लाहु वजहुल करीम) बयान करते है, रसूलल्लाह ﷺ के यहां जो मेरा मकाम व मरतबा था वो मखलूक मैसे किसी और का नहीं
मिश्कत शरीफ जिल्द:3 हदीस नं:6106

ए आले रसूल صَلَّى ٱللَّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ. आप से मुहब्बत रखना बाहुक्म क़ुरआन उम्मत पर फ़र्ज़ है
तुम्हारा अज़ीम उल मर्तब होना इसी से समझ में आ जाता हैं
की जो तुम पर सलावात ना भेजे उसकी नमाज़ ताम नहीं होती
📗 दीवान अल ईमाम शाफ़ई रदी अल्लाहू अनहू

