मौला अली की मोहब्बत

एक दिन मौला अली अलैहिस्सलाम अपने दरबार में तशरीफ़ फ़रमा थे, जहाँ इंसान, जिन्न, जानवर — सब अपनी-अपनी मुश्किलें लेकर आते थे।

उसी वक़्त एक अजीब शक्ल का साँप आया। लोग घबरा गए। लेकिन मौला अली ने मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा।

वो साँप झुक कर सजदा करता है और अर्ज़ करता है:
“या अली! मैं एक जिन्न था जिसे गुनाहों की सज़ा में साँप बना दिया गया। आप ही की मोहब्बत और नाम की बरकत से मेरी क़ैद टूटी।”

मौला अली ने फ़रमाया:
“जा, तुझे रिहाई मिली।”

जैसे ही वो साँप दरबार से बाहर जाने लगा, वो पलटा, आसमान की तरफ सर उठाया और पुकारा:
*”या अली! आपके चाहने वालों की खैर हो!”*
और वो रौशनी बनकर ग़ायब हो गया।
📚 यह कहाँ मिलता है?

📌 उदाहरण:
शैख़ सादी, मौलाना रूमी, और बाद के सूफ़िया की तहरीरों में ऐसे वाक़ियात रूहानी ताबीरों के साथ बयान हुए हैं।




🌿 मफ़हूम (अर्थ):

इस वाक़िये का मक़सद यह है कि मौला अली की मोहब्बत न सिर्फ़ इंसानों, बल्कि जिन्नों और मख़लूक़ात के लिए भी निजात और रहमत का सबब है।

मौला अली अलैहिस्सलाम के “वलीयुल्लाह” होने की एक निशानी भी बताया जाता है।