
रसूलल्लाह ﷺ ने ईरशाद फरमाया : जिसने मेरी इताअत की, उसने अल्लाह की इताअत की और जिसने मेरी नाफरमानी की, उसने अल्लाह की नाफरमानी की और जिसने अली की इताअत की, उसने मेरी इताअत की और जिसने अली की नाफरमानी की उसने मेरी नाफरमानी की|
अल मुस्तदरक अला सहिहैन जिल्द:4, हदीस नं:4617

