कुरआन में मर्दों (पुरुषों) को भी नज़रों की हिफाज़त और हया का हुक्म दिया गया है।

कुरआन में मर्दों (पुरुषों) को भी पर्दा (नज़रों की हिफाज़त और हया) का हुक्म दिया गया है। ये हुक्म सूरह नूर (Surah An-Nur) में साफ़ तौर पर मौजूद है:




📖 कुरआन: सूरह अन-नूर (24:30)

قُلْ لِلْمُؤْمِنِينَ يَغُضُّوا مِنْ أَبْصَارِهِمْ وَيَحْفَظُوا فُرُوجَهُمْ ۚ ذَٰلِكَ أَزْكَىٰ لَهُمْ ۗ إِنَّ اللَّهَ خَبِيرٌ بِمَا يَصْنَعُونَ

हिन्दी तर्जुमा:
“ईमान वालों से कह दो कि वे अपनी निगाहें नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें, यही उनके लिए ज़्यादा पाकीज़गी वाला है। बेशक अल्लाह को खबर है जो कुछ वे करते हैं।”




इस आयत में क्या हुक्म है?

मर्दों को नज़रें नीची रखने का हुक्म है, यानी नामहरम औरतों को ग़ैर ज़रूरी तरीके से देखना हराम है।

अपनी शर्मगाह (private parts) की हिफाज़त का हुक्म है — ज़िना और बेहयाई से बचने के लिए।

ये पर्दा सिर्फ जिस्म से नहीं, नज़र और नियत का भी होता है।