फ़ज़ाइले अहले-बैत व शाने अहले-बैत के मुतअल्लिक़ चंद हदीसें


*🔖फ़ज़ाइले अहले-बैत व शाने अहले-बैत के मुतअल्लिक़ चंद हदीसें मुबारक़ा-*

*1.* हुज़ूर मौला अली رَضِيَ اللهُ عَنْهُ फ़रमाते हैं – कि हुज़ूर ﷺ ने हसनैन करीमैन के हाथों को अपने दस्ते मुबारक़ा में लेकर फ़रमाया जो मुझसे मेरे इन दोनों फ़रज़न्दों और उनके वालिदैन से मोहब्बत करेगा वह क़यामत के दिन मेरे साथ होगा और जन्नत के भी उस दर्जा में रखा जायेगा जहां मैं रहूंगा।
📚शफा शरीफ, जिल्द- दोम, सफा- 56
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*2.* हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया मेरे अहले-बैत उम्मत के लिए अमान हैं। जब अहले बैत न रहेंगे तो उम्मत पर वह आएगा जो उनसे वादा है, यानी ज़ुहूर-ए-क़िज़्ब (आख़िरी ज़माना)।
📚सवाइके मुहर्रका, सफा- 514
📚अल-अमन वल उला, सफा- 26
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*3.* इब्न हजर अल-हैतमी बयान करते हैं कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – कि अपनी औलाद को तीन बातें सिखाओ 1.अपने नबी की उल्फत व मोहब्बत 2.अहले-बैते अतहार की उल्फ़त व मोहब्बत 3.कुरआने करीम की तिलावत।
📚सवाइके मुहर्रका, सफा- 577
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*4.* इमाम अल-बैहकी और इब्न हजर अल-हैतमी बयान करते हैं कि हुज़ूर मौला अली رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – कोई बंदा मोमिन-ए-क़ामिल नहीं हो सकता जब तक कि मैं उसे उसकी अपनी जान से ज़्यादा प्यारा न हो जाऊँ, और मेरी औलाद उसे उसकी अपनी औलाद से ज़्यादा महबूब न हो जाए, और मेरा घराना (अहले-बैत) उसे उसके अपने घराने से ज़्यादा अज़ीज़ न हो जाए, और मेरी ज़ात उसे उसकी अपनी ज़ात से ज़्यादा महबूब न हो जाए।
📚शुअब अल-ईमान, हदीस- 1437
📚सवाइके मुहर्रका, सफ़ा- 112
📚कंज़ुल उम्माल, हदीस- 45303
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*5.* इमाम अहमद बिन हंबल رَضِيَ اللهُ عَنْهُ ने रिवायत किया कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – जो शख़्स अहले-बैत से बुग़्ज़ रखे, वो मुनाफ़िक़ है।
📚मुस्नद इमाम अहमद
📚सवाइके मुहर्रका, सफा- 764
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*6.* इब्न हजर अल-हैतमी बयान करते हैं कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – जो मुझसे तवस्सुल की तमन्ना रखता हो और यह चाहता हो कि उसको मेरी बारगाहे करम में रोजे क़यामत हक़्के शफ़ाअत हो तो उसे चाहिये कि वह मेरे अहले-बैत की नियाज़मन्दी करे और उनको हमेशा खुश रखे।
📚सवाइके मुहर्रका, सफा- 588
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*7.* हज़रत अबू हुरैरा رَضِيَ اللهُ عَنْهُ रिवायत करते हैं कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – तुममें ज़्यादा बेहतर वह है जो मेरे बाद मेरे अहले-बैत के लिये साबित हो
📚सवाइके मुहर्रका, सफा- 622
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*8.* हज़रत अबू सईद अल-खुदरी رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – कसम है उस ज़ात की जिसके दस्ते क़ुदरत में मेरी जान है जिसने मेरे अहले-बैत से बुग्ज़ रखा खुदावंद क़ुद्दुस उसको दौज़ख में डालेगा।
📚खंसाइसुल-कुब्रा, जिल्द- दोम, सफा- 466
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*9.* हुज़ूर मौला अली رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – जो शख़्स मेरी इतरत यानी अहले-बैत और अन्सार के हुक़ूक़ को न पहचाने और उनके हुक़ूक़ अदा न करे तो उसमें उन तीन बातों में कोई एक बात ज़रूर होगी या तो वह मुनाफ़िक़ होगा या ज़िना की औलाद होगा या फिर वह हैज़ व निफ़ास-जैसी नापाक़ी की हालत में उसकी माँ के पेट में रहा होगा। 📚सवाइके मुहर्रका, सफा- 580
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*10.* हुज़ूर मौला अली رَضِيَ اللهُ عَنْهُ रिवायत करते हैं कि मेने हुज़ूर ﷺ से सुना आपने फ़रमाया – जो लोग हौज़े कौसर पर पहले आएंगे वह मेरे अहले-बैत होंगे।
📚सवाइके मुहर्रका, सफा- 622
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*11.* हज़रत उस्मान इब्ने अफ़्फ़ान رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – जिस शख़्स ने दुनिया में औलादे अब्दुल-मुत्तलिब या औलादे बनी हाशिम यानी अहले-बैत से कुछ नेक़ी या अच्छा सुलूक़ या एहसान किया फिर वह अहले-बैत उस का बदला न दे सके तो क़यामत के रोज़ उस सैय्यद की तरफ से मैं पूरा-पूरा बदला अता करूंगा।
📚सवाइके मुहर्रका, सफा- 762
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*12.* हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास व हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – मेरे अहले-बैत की मिसाल नूह (अलैहिस्सलाम) की क़श्ति जैसी है। जो इसमें सवार हुआ, निज़ात पाया और जो इससे पीछे रह गया, वह हलाक हुआ।
📚मुस्नद अहमद बिन हंबल, हदीस- 3416
📚हकीम अल-मुस्तदरक , जिल्द- 3, सफा- 163, हदीस- 4720
📚तबरानी अल-मुअज्जम अल-कबीर, जिल्द- 12, सफा- 34, हदीस- 2388
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*13.* हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – मैं तुम्हारे बीच दो भारी चीज़ें छोड़ कर जा रहा हूँ — अल्लाह की क़िताब और मेरे अहले-बैत, ये दोनों कभी जुदा नहीं होंगे यहाँ तक कि हौज़-ए-कौसर पर मुझसे मिलेंगे।
📚मुस्नद अहमद, हदीस- 10707
📚जामे तिर्मिज़ी, हदीस- 3786
📚मुस्तदरक अल-हाकिम, जिल्द- 3, सफा- 148
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*14.* हज़रत अबू सईद अल-खुदरी رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – हसन और हुसैन जन्नती जवानों के सरदार हैं।
📚तिरमिज़ी जामे अल-सहीह, जिल्द- 5, सफा- 656, हदीस- 3768
📚 अल-मुसनद अहमद बिन हम्बल, जिल्द- 3, सफा- 3, हदीस- 11012
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*15.* हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया – अल्लाह त’आला से मोहब्बत करो कि वो तुम्हें नेमतें देता है, मुझसे मोहब्बत करो अल्लाह की मोहब्बत की वजह से, और मेरे अहले-बैत से मोहब्बत करो मेरी मोहब्बत की वजह से।
📚सहीह इब्न हिब्बान हदीस – 7163
📚मिश्कातुल मसाबीह हदीस – 6143
📚मुसनद अहमद सफा – 164
📚अल-मुअजमुल कबीर हदीस – 259
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*16.* हज़रत अबू सईद अल-खुदरी رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – जो शख़्स चाहता है कि उसकी उम्र दराज़ हो और अल्लाह की नेमतों से लुत्फ़अंदोज़ हो, तो वो मेरे बाद मेरे अहले-बैत के साथ अच्छा सलूक करे। और जो ऐसा न करे, उसकी उम्र काट दी जाएगी और वह क़यामत के दिन शर्मसार होकर आएगा।
📚सवाइक़े मुहर्रका, सफा- 621
📚यनाबीउल मवद्दा, बाब- 65
📚तफ़सीर-दुर्रुल मन्थूर
📚अल-मुस्तदरक अल-हाकिम
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*17.* हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास رَضِيَ اللهُ عَنْهُ रिवायत करते हैं कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – अगर कोई शख़्स बैतुल्लाह शरीफ़ और मक़ामे इब्राहीम के दर्मियान सारी उम्र नमाज़ें अदा करे, रोज़े रखे, मगर मेरे अहले-बैत की दुश्मनी के साथ मरे, तो वह दोज़ख़ की आग में जाएगा।
📚सवाइक़े मुहर्रका, सफा- 765
📚मुअज्जम अल-कबीर
📚मुस्तद्रक अल-हाकिम
📚कनज़ुल उम्माल
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*18.* इमाम तबरानी बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने हज़रत अली رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से फ़रमाया – ऐ अली तू, तेरे अहले-बैत और तुम्हारे मुहिब्बीन जो मेरे सहाबा को गाली देने की बिदअत में शामिल नहीं हुए — वह हौज़-ए-क़ौसर पर सैराब और रौशन चेहरे वाले आएंगे। और तुम्हारे दुश्मन प्यासे और रूस्याह होंगे।
📚अल-मुअज्जम अल-कबी़र
📚सवाइक़े मुहर्रका, सफ़ा 766
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*19.* हज़रत अबू सईद अल-ख़ुदरी رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – मैं और मेरे अहले-बैत जन्नत का दरख़्त हैं और उसकी शाख़ें दुनिया में हैं, जो उनसे वाबस्ता रहेगा वह अपने रब की तरफ रास्ता पाएगा।
📚सवाइक़े मुहर्रका, सफ़ा- 780
📚शरफ़ुन्नुबुव्वत
📚 तफ़सीर-दुर्रुल मन्थूर
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*20.* इमाम जलालुद्दीन सुयुती बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया – अल्लाह त’आला ने मेरे अहले-बैत पर ज़ुल्म करने वाले, उनसे जंग करने वाले और उन्हें बुरा कहने वाले पर जन्नत हराम कर दी है।
📚ख़साइसुल कुबरा, जिल्द- 2, सफा- 466
📚सवाइक़े मुहर्रका, सफ़ा- 765
📚 तफ़सीर-दुर्रुल मन्थूर
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*21.* हज़रत अबू सईद अल-ख़ुदरी رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – आले मुहम्मद से एक दिन की मोहब्बत एक साल की इबादत से बेहतर है, और मुझसे और मेरे अहले-बैत से मोहब्बत रखना सात ख़तरनाक मक़ाम पर फायदा बख़्श है।
📚सवाइक़े मुहर्रका, सफा- 767
📚मजमउज़ ज़वाइद
📚हुलियतुल औलिया
📚नूरुल अब्सार
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*22.* क़ाज़ी अय्याज़ मलिकी बयान करते हैं कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – आले मुहम्मद ﷺ की मारिफ़त (पहचान) जहन्नम से निजात का बाइस है, और मोहब्बत रखना आले मुहम्मद ﷺ से पुल सिरात पर आसानी से गुज़र जाने की सनद है, और आले मुहम्मद ﷺ की विलायत, अज़ाब से अमान है।”
📚शिफा शरीफ़, जिल्द- दोम, सफा-  67
📚सवाइक़े मुहर्रका, सफा- 131
📚यनाबीउल मवद्दा, बाब- फ़ज़ाइल अहलुल-बैत
📚अल-मुअज्जम अल-कबीऱ
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*23.* हज़रत अली बिन अबी तालिब व हज़रत अबू सईद अल-खुदरी व हज़रत अब्दुल्लाह इब्न अब्बास और हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – मेरे अहले-बैत के बारे में मेरी मोहब्बत का लिहाज़ रखो। क्योंकि जो शख़्स अहले-बैत और हमसे मोहब्बत रखते हुए अल्लाह से मिलेगा, वह हमारी शफ़ाअत से जन्नत में दाख़िल होगा।
उस ज़ात की क़सम जिसके क़ब्ज़ए-क़ुदरत में मेरी जान है, किसी शख़्स का कोई भी नेक अमल उसे फ़ायदा न देगा जब तक कि वह हमारे हक़ को न पहचाने और उन्हें अदा न करे।
📚सवाइक़े मुहर्रका, सफ़ा- 766
📚यनाबीउल मवद्दा, बाब- 55,56
📚नूरुल अबसार, बाब- फ़ज़ाइल अहलुल-बैत
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*24.* हज़रत मिस्वर बिन मखरमा رَضِيَ اللهُ عَنْهُ रिवायत करते हैं कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – फ़ातिमा मेरा हिस्सा है, जिसने उसे नाराज़ किया उसने मुझे नाराज़ किया। और एक मौक़े पर फ़रमाया – फ़ातिमा मेरा टुकड़ा है, जो उसे तकलीफ़ देगा, वह मुझे तकलीफ़ देगा।
📚सहीह बुखारी, हदीस- 3767
📚सहीह मुस्लिम, हदीस- 2449, 2450
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*25.* हुज़ूर मौला अली رَضِيَ اللهُ عَنْهُ से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया – चार औरतें दुनिया और जन्नत की अफ़ज़ल औरतें हैं:
1.हज़रत मरयम बिन्ते इमरान
2.हज़रत खदीजा बिन्ते खुवैलिद
*3.हज़रत फातिमा बिन्ते मुहम्मद ﷺ*
4.हज़रत आसिया बिन्ते मुझाहिम
📚मुस्नद अहमद, हदीस- 2663
📚तिर्मिज़ी शरीफ़, हदीस- 3878
📚सहीह बुखारी, हदीस – 3432
📚मुस्तदरक अल-हाकिम, जिल्द – 2, सफा- 416