अर-रहीकुल मख़्तूम पार्ट 30

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कुरैश के सरदारों की बात-चीत

उत्बा की उपरोक्त पेशकश का जिस ढंग से अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उत्तर दिया था, उससे क़ुरैश की आशाएं पूरे तौर पर ख़त्म नहीं हुई थीं, क्योंकि आपके उत्तर में उनकी पेशकश को ठुकराने या कुबूल करने की बात स्पष्ट न थी, बस आपने कुछ आयतों की तिलावत कर दी थी, जिन्हें उत्बा पूरे तौर पर न समझ सका था और जहां से आया था, वहीं वापस चला गया था, इसलिए कुरैश ने आपस में फिर मश्विरा किया। मामले के तमाम पहलुओं पर नज़र दौड़ाई और तमाम संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया। इसके बाद एक दिन सूरज डूबने के बाद काबे के पास जमा हुए और अल्लाह के रसूल सल्ल० को बुला भेजा। आप खैर (भलाई) की उम्मीद लिए हुए जल्दी में तशरीफ़ लाए। जब उनके बीच में बैठ गए तो उन्होंने वैसी ही बातें कहीं जैसी

उत्बा से कही थीं और वही पेशकश की जो उत्बा ने की थी, शायद उनका विचार रहा हो कि बहुत संभव है कि उत्बा के पेशकश करने से आपको पूरा सन्तोष न हुआ हो, इसलिए जब सारे सरदार मिलकर इस पेशकश को दोहराएंगे तो आपको सन्तोष हो जाएगा और आप उसे कुबूल कर लेंगे, मगर आप सल्ल० ने फ़रमाया-

जो ‘मेरे साथ यह बात नहीं जो आप लोग कह रहे हैं। मैं आप लोगों के पास कुछ लेकर आया हूं, वह इसलिए नहीं लेकर आया हूं कि मुझे आपका माल चाहिए या आपके अन्दर शरफ़ चाहिए या आप पर शासन करना चाहता हूं नहीं, बल्कि मुझे अल्लाह ने आपके पास पैग़म्बर बनाकर भेजा है, मुझ पर अपनी किताब उतारी है और मुझे हुक्म दिया है कि मैं आपको खुशखबरी दूं और डराऊं, इसलिए मैंने आप लोगों तक अपने रब का पैग़ाम पहुंचा दिया, आप लोगों को नसीहत कर दी। अब अगर आप लोग मेरी लाई हुई बात कुबूल करते हैं, तो यह दुनिया और आखिरत में आप लोगों का नसीब और अगर रद्द करते हैं तो मैं अल्लाह के फ़ैसले का इन्तिज़ार करूंगा, यहां तक कि वह मेरे और आपके बीच फ़ैसला फ़रमा दे ।’

इस जवाब के बाद उन्होंने एक दूसरा पहलू बदला, कहने लगे, आप अपने रब से सवाल करेंगे कि वह हमारे पास से उन पहाड़ों को हटा कर खुला हुआ मैदान बना दे और उसमें नदियां बहा दे और हमारे मुर्दों, मुख्य रूप से कुसई बिन किलाब को ज़िंदा कर लाए। अगर वह आपको सच्चा कर दिखाएं तो हम भी ईमान लाएंगे। आपने उनकी इस बात का भी वही जवाब दिया।

इसके बाद उन्होंने एक तीसरा पहलू बदला। कहने लगे, आप अपने रब से सवाल करें कि वह एक फ़रिश्ता भेंज दे, जो आपकी पुष्टि करे और जिससे हम आपके बारे में रुजू भी कर सकें और यह भी सवाल करें कि आपके लिए बाग़ हों, खज़ाने हों और सोने-चांदी के महल हों। आपने इस बात का भी वही जवाब दिया।

इसके बाद उन्होंने एक चौथा पहलू बदला, कहने लगे कि अच्छा, तो आप हम पर अज़ाब ही ला दीजिए और आसमान का कोई टुकड़ा ही गिरा दीजिए, जैसा कि आप कहते और धमकियां देते रहते हैं।

आपने फ़रमाया, इसका अख्तियार अल्लाह को है, वह चाहे तो ऐसा कर सकता है। उन्होंने कहा, क्या आपके रब को मालूम था कि हम आपके साथ बैठेंगे, आपसे सवाल व जवाब करेंगे और आपसे मांग करेंगे कि वह आपको सिखा देता कि आप हमें क्या जवाब देंगे और अगर हमने आपकी बात न मानी

तो वह हमारे साथ क्या करेगा ?

फिर आखिर में उन्होंने सख्त धमकी दी। कहने लगे, सुन लो ! जो कुछ कर चुके हो, उसके बाद हम तुम्हें यों ही नहीं छोड़ देंगे, बल्कि या तो तुम्हें मिटा देंगे या खुद मिट जाएंगे। यह सुनकर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उठ गए और अपने घर वापस आ गए। आपको ग़म व अफ़सोस था कि जो आशाएं आपने लगा रखी थी, वह पूरी न हुई। 1

अबू जहल, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के क़त्ल की स्कीम बनाता है

जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उन लोगों के पास से उठकर वापस तशरीफ़ ले गए तो अबू जहल ने उन्हें सम्बोधित करके पूरे दंभ व अभिमान के साथ कहा-

कुरैशी भाइयो! आप देख रहे हैं कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हमारे दीन में दोष निकालने, हमारे पुरखों को बुरा-भला कहने, हमारी बुद्धिमत्ता को हलका करने और हमारे माबूदों (उपास्यों) को अपमानित करने से बाज़ नहीं आता, इसलिए मैं अल्लाह से प्रतिज्ञा करता हूं कि एक बहुत भारी और मुश्किल से उठने वाला पत्थर लेकर बैठूंगा और जब वह सज्दा कर लेगा, तो उस पत्थर से उसका सर कुचल दूंगा। अब इसके बाद चाहे आप लोग मुहम्मद को निःसहाय छोड़ दें, चाहे मेरी रक्षा करें और बनू अब्दे मुनाफ़ भी इसके बाद जो चाहे करें ।

लोगों ने कहा, नहीं, अल्लाह की क़सम ! हम तुम्हें कभी किसी मामले में बे-यार व मददगार नहीं छोड़ सकते। तुम जो कुछ करना चाहो, कर गुज़रो । चुनांचे सुबह हुई तो अबू जहल वैसा ही एक पत्थर लेकर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के इंतिज़ार में बैठ गया। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम नित्य प्रति की तरह तशरीफ़ लाए और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने लगे, कुरैश भी अपनी-अपनी मज्लिसों में आ चुके थे और अबू जहल की कार्रवाई देखने के इन्तिज़ार में थे। जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सज्दे में तशरीफ़ ले गए तो अबू जहल ने पत्थर उठाया, फिर आपकी तरफ़ बढ़ा, लेकिन जब क़रीब पहुंचा पराजय का मुंह देखने वाले की

1. रिवायत इब्ने इस्हाक़ का सार (इब्ने हिशाम 1/295-298) व इब्ने जरीर व इब्नुल मुन्ज़िर व इब्ने अबी हातिम (अद्दुर्रुल मंसूर 4/365, 366)


तरह वापस भागा। उसका रंग उतरा हुआ था, वह इतना आतंकित था कि उसके दोनों हाथ पत्थर पर चिपक कर रह गए थे। वह बड़ी मुश्किल से हाथ से पत्थर फेंक सका। इधर कुरैश के लोग उठकर उसके पास आए और कहने लगे, अबुल हकम ! तुम्हें क्या हो गया है ? उसने कहा, मैंने रात जो बात कही थी, वही करने जा रहा था, लेकिन जब उसके क़रीब पहुंचा तो एक ऊंट आड़े आ गया। अल्लाह की क़सम ! मैंने कभी किसी ऊंट की वैसी खोपड़ी, वैसी गरदन और वैसे दांत देखे ही नहीं। वह मुझे खा जाना चाहता था ।

इब्ने इस्हाक़ कहते हैं, मुझे बताया गया कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया, यह जिब्रील अलैहिस्सलाम थे। अगर अबू जहल क़रीब आता तो उसे धड़ पकड़ते।’

सौदेबाज़ियां और चालें

जब कुरैश धन-धौंस-धमकी से मिली-जुली अपनी बातों में असफल हो गए और अबू जहल को चाल, बदमाशी और क़त्ल के इरादे में मुंह की खानी पड़ी तो कुरैश में एक स्थाई हल तक पहुंचने का चाव पैदा हुआ, ताकि जिस ‘मुश्किल’ में वे पड गए थे, उससे निकल सकें। इधर उन्हें यह विश्वास भी नहीं था कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सच में सत्य पर हैं, बल्कि जैसा कि अल्लाह ने बताया है वे लोग डगमगा देने वाले सन्देह में थे, इसलिए उन्होंने उचित समझा कि दीन के बारे में आपसे सौदेबाज़ी की जाए। इस्लाम और अज्ञानता दोनों बीच रास्ते में एक दूसरे से मिल जाएं और ‘कुछ लो और कुछ दो’ के नियम पर अपनी कुछ बातें मुश्रिक छोड़ दें और कुछ बातों को नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से छोड़ने के लिए की जाए। उनका विचार था कि अगर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दावत सत्य पर है तो इस तरह वे भी इस सत्य को पा लेंगे ।

इब्ने इस्हाक़ का बयान है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम खाना काबा का तवाफ़ा कर रहे थे कि अस्वद बिन मुत्तलिब बिन असद बिन अब्दुल उज़्ज़ा, वलीद बिन मुग़ीरह, उमैया बिन खल्फ़ और आस बिन वाइल समी आपके सामने आए। ये सभी अपनी क़ौम के बड़े लोग थे, ऐ मुहम्मद ! आइए, जिसे आप पूजते हैं, हम भी पूजें और जिसे हम पूजते हैं उसे आप भी पूजें। इस तरह हम और आप इस काम में मुश्तरक (संयुक्त) हो जाएं। अब अगर आपका माबूद हमारे माबूद से बेहतर है तो हम उससे अपना हिस्सा

1. इब्ने हिशाम, 1/298, 299,

हासिल कर चुके होंगे और अगर हमारा माबूद आपके माबूद से बेहतर हुआ तो आप उससे अपना हिस्सा हासिल कर चुके होंगे। इस पर अल्लाह ने पूरी सूर ‘कुल या अय्युल काफ़िरून’ नाज़िल फ़रमाई, जिसमें एलान किया गया है कि जिसे तुम लोग पूजते हो, उसे मैं नहीं पूज सकता। 1

अब्द बिन हुमैद वग़ैरह ने इब्ने अब्बास से रिवायत की है कि कुरैश ने कहा, अगर हमारे माबूदों को तबर्रुक के तौर पर छुएं तो हम आपके माबूद की इबादत करेंगे, इस पर पूरी सूर: ‘कुल या ऐयुहल काफ़िरून’ उतरी 12

के इब्ने जरीर वग़ैरह ने इब्ने अब्बास से रिवायत की है कि मुश्किों ने अल्लाह रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहा, आप एक साल हमारे माबूदों की पूजा करें और हम एक साल आपके माबूद की पूजा करें, इस पर अल्लाह ने यह आयत उतारी-

‘आप कह दें कि ऐ नासमझो ! क्या तुम मुझे ग़ैर-अल्लाह की इबादत के लिए कहते हो। 3

अल्लाह ने इस क़तई और निर्णायक उत्तर से उस हास्यास्पद वार्ता की जड़ काट दी, लेकिन फिर भी कुरैश पूरे तौर पर निराश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने अपने दीन से और अधिक हाथ खींच लेने पर आमादगी बताई, अलबत्ता यह शर्त लगाई कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम भी जो शिक्षाएं लेकर आए हैं, उसमें कुछ तब्दील करें। चुनांचे उन्होंने कहा, ‘इसके बजाए कोई और क़ुरआन लाओ या इसमें तब्दीली कर दो। अल्लाह ने इसका जो जवाब नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बतलाया, उसके ज़रिए यह रास्ता भी काट दिया। चुनांचे फ़रमाया-

‘आप कह दें, मुझे इसका अधिकार नहीं कि मैं इसमें खुद अपनी तरफ़ से तब्दीली करूं। मैं तो सिर्फ़ उसी चीज़ की पैरवी करता हूं, जिसकी वह्य मेरी तरफ़ की जाती है। मैंने अगर अपने रब की नाफ़रमानी की तो मैं एक बुरे दिन के अज़ाब से डरता हूं।’

अल्लाह ने उस दिन की ज़बरदस्त खतरनाकी का ज़िक्र इस आयत में भी फ़रमाया-

‘और क़रीब था कि जो वह्य हमने आपकी तरफ़ की है, उससे ये लोग

1. इब्ने हिशाम 1/362, 2. अद्-दुर्रुल मंसूर 6/692, 3. तफ़्सीर इब्ने जरीर तबरी ‘कुल या ऐयुहल काफिरून’

आपको फ़िले में डाल देते ताकि आप हम पर कोई और बात कह दें और तब यक़ीनन लोग आपको गहरा दोस्त बना लेते और अगर हमने आपको साबित क़दम न रखा होता तो आप भी उनकी तरफ़ थोड़ा-सा झुक जाते और तब हम आपको दोहरी सज़ा जिंदगी में और दोहरी सज़ा मरने के बाद चखाते। फिर आपको हमारे मुक़ाबले में कोई सहायता करने वाला न मिलता।’

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