
हज़रत इमाम मोहम्मद तक़ी (अ.स.) के हिदायात व इरशादात
यह एक मुसल्लेमा हक़ीक़त है कि बहुत से बुज़ुर्ग मरतबा उलेमा ने आपसे उलूमे अहले बैत की तालीम हासिल की। आपके ऐसे मुख़्तसिर हाकिमाना मक़ूलों का भी एक ज़ख़ीरा है। जैसे आपके जद्दे बुज़ुर्गवार हज़रत अमीरल मोमेनीन इमाम अली बिन अबी तालिब (अ.स.) के कसरत से पाए जाते हैं। जनाबे अमीर (अ.स.) के बाद इमाम मोहम्मद तक़ी (अ.स.) के मक़ूलों को एक ख़ास दर्जा हासिल है। बाज़ उलमा ने आपके मक़ूलों की तादाद कई हज़ार बताई है। अल्लामा शिबलन्जी ब हवाला ए फ़सूलुलप मोहिमा तहरीर फ़रमाते हैं कि इमाम मोहम्मद तक़ी (अ.स.) का इरशाद है कि 1. ख़ुदा वन्दे आलम जिसे जो नेमत देता है ब इरादा दवाम देता है लेकिन उस से वह उस वक़्त ज़ाएल हो जाती है जब वह लोगों यानी मुस्तहक़ीन का देना बन्द कर देता है।
2. हर नेमते ख़ुदा वन्दी में मख़लूक़ का हिस्सा है। जब ख़ुदा किसी को अज़ीम नेमतें देता है तो लोगों की हाजतें भी कसीर हो जाती हैं। इस मौके़ पर अगर साहेबे नेअमत (मालदार) ओहदे बरआ हो सका तो ख़ैर ने नेअमत का ज़वाल लाज़मी है।
3. जो किसी को बड़ा समझता है उस से डरता है।
4. जिसकी ख़्वाहिशात ज़्यादा होंगी उसका जिस्म मोटा होगा।
5. सहीफ़ा ए हयाते मुस्लिम का सर नामा हुस्ने ख़ल्क़ है।
6. जो ख़ुदा के भरोसे पर लोगों से बेनियाज़ हो जायेगा लोग उसके मोहताज होंगे।
7. जो ख़ुदा से डरेगा लोग उसे दोस्त रखेगें।
8. इन्सान की तमाम ख़ुबीयों का मरकज़ ज़बान है।
9. इन्सान के कमालात का दारो मदार अक़ल के कमाल पर है।
10. इन्सान के लिये फ़ख़्र की ज़ीनत इफ़्फ़त है। ख़ुदाई इम्तेहान की ज़ीनत शुक्र है। हसब की ज़ीनत तवाज़ो और फ़रोतनी है। कलाम की ज़ीनत फ़साहत है। रवायत की ज़ीनत हाफ़ेज़ा है। इल्म की ज़ीनत इन्केसार है। वरा और तक़वा की ज़ीनत हुस्ने अदब है। क़नात की ज़ीनत ख़न्दा पेशानी है। वरा व परेहज़गारी की ज़ीनत तमाम मामेलात से कनारा कशी है।
11. ज़ालिम और ज़ालिम के मद्दगार और ज़ालिम के फे़ल को सराहने वाले एक ही ज़ुमरे में हैं यानी सब का दर्जा बराबर है।
12. जो ज़िन्दा रहना चाहता है उसे चाहिये कि बर्दाश्त करने के लिये अपने दिल को सब्र अज़मा बना ले।
13. ख़ुदा की रज़ा हासिल करने के लिये तीन चीज़ें होनी चाहियें , अव्वल अस्तग़फ़ार , दोम , नरमी और फ़रोतनी , सौम , कसरते सदक़ा।
14. जो जल्द बाज़ी से परहेज़ करेगा , लोगों से मशविरा लेगा , अल्लाह पर भरोसा रखेगा वह कभी शर्मिन्दा नहीं होगा।
15. अगर जाहिल ज़बान बन्द रखे तो इख़्तेलाफ़ात न हों।
16. तीन बातों से दिल मोह लिये जाते हैं , क. माशरे में इंसाफ़ , ख. मुसीबत में हमदर्दी , ग. परेशान ख़ातरी में तसल्ली।
17. जो किसी बुरी बात को अच्छी निगाह से देखेगा वह उसमें शरीक समझा जायेगा।
18. कुफ़राने नेअमत करने वाला ख़ुदा की नाराज़गी को दावत देता है।
19. जो तुम्हारे किसी अतिए पर शुक्रिया अदा करे गोया उसने तुम्हें उससे ज़्यादा दे दिया।
20. जो अपने भाई को पोशीदा तौर पर नसीहत करे वह उसका मोहसिन है और जो एलानिया नसीहत करे गोया उसके साथ बुराई की।
21. अक़लमन्दी और हिमाक़त जवानी के क़रीब तक एक दूसरे पर ग़लबा करते रहते हैं और जब अठ्ठारा साल पूरे हो जाते हैं तो इस्तक़लाल पैदा हो जाता है और राह मोअय्यन हो जाती है।
22. जब किसी बन्दे पर नेअमत का नुज़ूल हो वह इस नेअमत से मुताअस्सिर हो कर यह समझे कि यह ख़ुदा की इनायत और मेहरबानी है तो ख़ुदा वन्दे आलम शुक्र करने से पहले उसका नाम शाकिरों में लिख लेता है और जब कोई गुनाह करने के बाद यह महसूस करे कि मैं ख़ुदा के हाथ में हूँ वह जब और जिस तरह चाहे अज़ाब कर सकता है तो ख़ुदा वन्दे आलम उसे अस्तग़फ़ार से क़ब्ल बख़्श देता है।
23. शरीफ़ वह है जो आलिम है और अक़्लमन्द वह है जो मुत्तक़ी है।
24. जल्द बाज़ी कर के किसी अम्र को शोहरत न दो जब तक तकमील न हो जाए। 25. अपनी ख़्वाहिशात को इतना न बढ़ाओ कि दिल तंग हो जाओ।
26. अपने ज़ईफ़ों पर रहम करो और उन पर रहम के ज़रिए से अपने लिये रहम की ख़ुदा से दरख़्वास्त करो।
27. आम मौत से बूरी मौत वह है जो गुनाह के ज़रिए से हो , और आम ज़िन्दगी से ख़ैरो बरकत के साथ वाली ज़िन्दगी बेहतर है।
28. जो ख़ुदा के लिये अपने किसी भाई को फ़ाएदा पहुँचाए वह ऐसा है जैसे उसने अपने लिये जन्नत में घर बना लिया।
29. जो ख़ुदा पर एतमाद रखे और उस पर तवक़्कु़ल और भरोसा करे खु़दा उसे हर बुराई से बचाता है और उसकी हर क़िस्म के दुश्मन से हिफ़ाज़त करता है।
30. दीन इज़्ज़त है , इल्म ख़ज़ाना है और ख़ामोशी नूर है।
31. ज़ोहद कि इन्तेहा वरा और तक़वा है।
32. दीन को तबाह कर देने वाली चीज़ बिदअत है।
33. इन्सान को बादबाद करने वाली चीज़ लालच है।
34. हाकिम की सलाहियत पर रेआया की ख़ुशहाली का दारो मदार है।
35. दुआ के ज़रिए हर बला टल सकती है।
36. जो सब्रो ज़ब्त के साथ मैदान में आ जाए वह कामयाब होगा।
37. जो दुनियां में तक़वा का बीज बोएगा आख़ेरत में दिली मुरादों का फल पाएगा।