माविया पालतू गधा और गुमराह है.

माविया पालतू गधा और गुमराह है.

✍️  अहले हदीस, सलफियों और देवबंदियों के favorite मुवर्रिख इमाम इब्ने तैमिया ने  “मिन्हाज उस सुन्नह” की जिल्द नंबर 4 में सफा नंबर 402 पर लिखा है-
وقال أحمد : من لم يربع بعلي في الخلافة فهو أضل من حمار أهله.
यानि “इमाम अहमद बिन हंबल कहते हैं कि जो कोई भी हज़रत अली [अलैहिस्सलाम] की खिलाफत को ना मानें वो घर के पालतू गधों से ज्यादा गुमराह है।”

आप खुद भी इस लिंक्स पर मिन्हाज उस सुन्नह को डाउनलोड कर सकते हैं और इस लिंक्स से सीधे relative page (सफा 402) को पढ़ सकते हैं👇
https://archive.org/details/minhaj_sona/msn4/page/n400/mode/1up?view=theater

इमाम इब्ने तैमिया ने इमाम अहमद बिन हंबल के जिस कौल को नकल किया है उसी इबारत को अहले हदीस के एक और आलिम-ए-दीन शेखुल हदीस मौलाना मुहम्मद अब्दुर्रशीद नोमानी ने अपनी किताब ‘हजरत अली रजि. और किसास ए उस्मान’ में सफा 13 पर अरबी मतन और उसके उर्दू तर्जुमा के साथ नकल किया है कि-
“اسی لئے امام احمد اور دوسرے کابر علما کا قول ہے کہ
من لم يرتع بعـات والخلافة فهواضـل من حمار اهله.
جوحضرت علی رضی اللہ تعالعہ عنہ کو چوتھا خلیفہ نہ مانے وہ اپنے گھر کے گدھے سے زیادہ گم کردہ راہ ہے.”
आप खुद भी देखें सफा नं 13 पर👇
https://archive.org/details/s_024_201809/page/n5/mode/2up

इमाम इब्ने ज़ौजी ने ‘मनाकिब अल इमाम अहमद बिन हंबल’ में सफा नं 220 पर इमाम अहमद का यही कौल नकल किया है।
देखें सफा 220 पर 👇
https://archive.org/details/20200125_20200125_1520/page/n260/mode/1up?view=theater
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इमाम अहमद बिन हंबल (जिसे अहले सुन्नत का हर मसलक अपना इमाम मानता है मगर अहले हदीस सबसे ज्यादा) और इमाम इब्ने तैमिया के फतवों के मुताबिक ये बात वाजेह हो गया है कि- जो हज़रत अली [अलैहिस्सलाम] की खिलाफत को ना मानें वो घर के पालतू गधों से ज्यादा गुमराह है…
और यह बात सभी जानते हैं कि माविया कभी भी मौला अली अलैहिस्सलाम की खिलाफत को नहीं माना इसलिए मौला अली अलैहिस्सलाम को माविया ने कभी अपना अमीरुल मोमिनीन तस्लीम नहीं किया और मौला अली अलैहिस्सलाम से जंग की जैसा कि हजरत शाह अब्दुल हक़ मुहददिस देहलवी रह० ने बहुत साफ लफ्जों में अपनी किताब मदारिज-उन-नबूवत की दूसरी जिल्द में सफा नं 266 पर लिखा है कि- “माविया ने [हजरत अली अलैहिस्सलाम से सुलह के दौरान] कहा कि लफ्ज़ अमीरुल-मोमिनीन काट दो और [सिर्फ अपना नाम] लिखो अली बिन अबी तालिब..,अगर मैं अली को अमीरुल-मोमिनीन जानता तो अली के साथ जंग ना करता और अली की पैरवी व इताआत करता।”
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जाहिर हुआ कि माविया पालतू गधा की तरह और गधे से ज्यादा गुमराह था।
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