Day: October 28, 2024
किताब’उल्लाह और ऐहलैबयत عَلَیهِالسَّلام या किताब’उल्लाह और मेरी सुन्नत
किताब’उल्लाह और ऐहलैबयत عَلَیهِالسَّلام
❌ किताब’उल्लाह और मेरी सुन्नत ❌
ऐहले’सुन्नत के यहां ऐहलैबयत عَلَیهِالسَّلام की मुख़ालिफ़त करने के लिए एक रिवायत पेश करी जाती है, जो कि एक ज़ईफ़/कमज़ोर रिवायत है और यह रिवायत (किताब’उल्लाह और मेरी सुन्नत) ज़ईफ़/कमज़ोर करार देना भी ऐहले’सुन्नत कुतुबों से साबित है। यह है वोह रिवायत जो ऐहलैबयत عَلَیهِالسَّلام की मुख़ालिफ़त करती है👇
❌ रसूल अल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:- मैं तुम में दो चीज़े छोड़कर जा रहा हूं! जब तक तुम इसको पकड़े रहोगे गुमराह नही होगे! एक अल्लाह ﷻ की किताब और दूसरा उसके नबी ﷺ की सुन्नत। ❌
👆 इस रिवायत को ऐहले’सुन्नत उलेमाओं ने ज़ईफ़/कमज़ोर करार दिया है अपनी कुतुबों में और यह नाम हैं ऐहले’सुन्नत कुतुबों के और इन कुतुबों के पीडीएफ़ भी नीचे पोस्ट कर दिये हैं मैनें👇
इल्म उत ताहा,
अत्तकादा’हुस सुन्नता वल जमा’आ
तग़ज़ीरूल मुस्लिमीन
अल मुसतदरक
अल फ़क़ी वल मुत्तफ़क़ी
किताब उल फ़वायद
अत्तारी ख़ैब
अल इज़मतू वल तत्तबेऊ
इल्म उल मुवक़्क़ीन
अल क़ामिलू फ़ि दुफ़ाइर रजाल
👇








Sayyeda Fatima Salamullah Alaiha Woh Hasti Hein Jinke Qaside Khud Quran Padhta Hai

“Sayyeda Fatima Salamullah Alaiha Woh Hasti Hein Jinke Qaside Khud Quran Padhta Hai”
Imam Jafar al-Sadiq Alayhissalam Ne Bayan Kiya Ke Sayyeda Fatima Salamullah Alaiha Ke Pas Kuch “Jau” Maujud Tha Aapne Apni Nazar Puri Karne Ke Liye Roza Rakha Aur Us “Jau” Se Halwa Tayyar Kiya Jab Ghar Wale Halwa Khane Ko Baithe Toh Ek Miskin Aapke Dar Par Aaya Aur Usne Kaha Khuda Ke Liye Mujh Par Raham Karein Sayyeda Zahra Ne Ek Tihayi Halwa Usko De Diya, Chand Lamho’n Baad Ek Yatim Aagaya Aapne Ek Tihayi Halwa Usko Bhi De Diya Phir Kuch Der Baad Ek Qaidi Aaya Aapne Baqi Halwa Bhi Usey De Diya Aur Baghair Halwa Tanawul Kiye He Allah Ka Shukr Ada Kiya Ispar Unki Shaan Mein Ye Aayat Nazil Huyi.
“Aur Woh Jo Apni Nazar Puri Karte Hein Aur Apna Khana Allah Ki Mahabbat Mein Miskin, Yatim Aur Qaidi Ko Khilate Hein Aur Kehte Hein Ki Hum Toh Mehez Khuda Ki Khushnudi Ke Liye Khilate Hein Pas Unka Rabb Unko Qayamat Ki Sakhti Se Mahfuz Rakhega Aur Unke Is Sabr Ke Badle Unko Bahisht Mein Reshmi Poshak Ata Karega”.
(Surah Ad-Dahr, Aayat-8,9,10,11,12)
(Tafsir Ali Ibn Ibrahim al-Qummi, Safah-1122, Isnad-Sahih)
बदतरीन बिद्दत को मुआविया ने ईजाद किया
नमाज़ के खुतबे में मौला अली ع पर लानत करने की बदतरीन बिद्दत को मुआविया ने ईजाद किया और इसके गवर्नरों ने इस बदतरीन काम में मुआविया की पैरवी की….
शैख-ए-मुहक्क़िक हज़रत अब्दुल हक़ मोहद्दिस देहलवी ने ‘अस्तुल लमात फ़ि शरह मिश्कात की दूसरी जिल्द में सफ़ाह नं 681 पर तफ़सील से लिखकर यह बात वाज़ेह किया है कि ” खुतबा से पहले नमाज़ पढ़ना नबी करीम ﷺ की सुन्नत है और हज़रत उमर वा हज़रत अबू बकर का भी यही सुन्नत थी। इस बात पर मोहक्किकीन का इजमा है।
सबसे पहले नमाज़ से पहले खुतबे को हज़रत उस्मान ने शुरु कराया मगर बाद में इसको बंद कर दिया मगर हज़रत उस्मान का यह बिल्कुल मकसद नहीं था कि खुतबे में किसी को बुरा भला कहा जाए लेकिन हज़रत उस्मान के बाद सही हदीस से साबित है कि मरवान ने भी खुतबे को नमाज़ से पहले कर दिया ताकि खुतबे में उन लोगों को गालियां दिया जाए जो इसके हकदार नहीं थे [यानि ऐहलैबयत ع को गाली दी जाए मगर अब्दुल हक़ मोहद्दिस देहलवी ने यहां वाज़ेह नहीं किया है कि गाली किसे दिया जाती थी] इसलिए लोग खुतबा बगैर सुने नमाज़ पढ़कर चले जाते थे।
[इस बात में इख्तिलाफ़ है कि] इस सुन्नत को सबसे पहले मुआविया ने बदला [या मरवान ने] शैख ऐ मुहक्किक इसका जवाब देते हुए लिखते हैं कि-
“[मुआविया के गवर्नर] मरवान वा ज़ियाद वगैरह ने इस काम में मुआविया की फ़रमाबरदारी वा पैरवी की।”
यानि कि इस बदतरीन काम के लिए मरवान और ज़ियाद या इनके गवर्नर जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि इसके ज़िम्मेदार हाकिम ऐ वक़्त अमीर ऐ शाम मुआविया ज़िम्मेदार है क्योंकि सभी गवर्नर मुआविया के मुताबिक इस अमल को अंजाम दे रहे थे।
आप खुद भी देखें सफ़ाह 681 पर 👇
https://archive.org/details/ashiya-tul-limat-sharah-mishqat-2-2/page/n679/mode/1up?view=theater
इसी बात को इमाम इब्ने हजर अस्कलानी ने भी फ़त्हुल बारी में काज़ी अयाश के हवाले से लिखा है कि बाकी गवर्नरों ने इस अमल में मुआविया की पैरवी की।
अबू जहरा मिस्री ने अपने दो किताबों में लिखा है कि ऐहलैबयत (ع) को गाली देने की बिद्दत को मुआविया ने ईजाद किया।
इमाम सिब्त इब्ने जौज़ी ने तज़किरातुल ख्वास में भी लिखा है कि
استفاض لعن على على المنابر ألف شهر وكان ذلك بأمر معاوية.
“फ़िर हज़ार महीने तक मेंबर पर हज़रत अली [ع] पर लानत की गई और यह मुआविया के हुक़्म से हुआ।”
देखें इसका अरबी मतन सफ़ाह नं 63 पर 👇
https://archive.org/details/TazkiratolKhavaas/page/n79/mode/1up?view=theater
इसके अलावा कई लोगों ने इस बदतरीन बिद्दत का ज़िम्मेदार मुआविया को ठहराया है।
मौला अली अलैहिस्सलाम की इताआत रसूल ﷺ की इताआत है..

मौला अली अलैहिस्सलाम की इताआत रसूल ﷺ की इताआत है..
ऐहले’सुन्नत के मोतबर किताबों से सही सनद के साथ साबित है कि मौला अली अलैहिस्सलाम की इताआत रसूल ﷺ की इताआत है।
इमाम हाकिम निशापुरी ने मुस्तदरक अलस्-सहीऐन में हदीस नं 4617 के तहत रिवायत नकल की है कि-
أخبرنا : أبو أحمد محمد بن محمد الشيباني من أصل كتابه ، ثنا : علي بن سعيد بن بشير الرازي بمصر ، ثنا : الحسن بن حماد الحضرمي ، ثنا : يحيى بن يعلي ، ثنا : بسام الصيرفي ، عن الحسن بن عمرو الفقيمي ، عن معاوية بن ثعلبة ، عن أبي ذر (ر) :
قال رسول الله (ص) :
“من أطاعني فقد أطاع الله ، ومن عصاني فقد عصي الله ، ومن أطاع عليا فقد أطاعني ، ومن عصي عليا فقد عصاني.”
यानि ‘हज़रत अबू ज़र गफ़्फ़ारी رَضِىَ الـلّٰـهُ عَـنْهُ से रिवायत है कि नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया कि:- “जिसने मेरी ﷺ इताआत की उसने अल्लाह ﷻ की इताआत की और जिसने मेरी ﷺ नाफ़रमानी की उसने अल्लाह ﷻ की नाफ़रमानी की.., जिसने अली की इताआत की उसने मेरी इताआत की और जिसने अली की नाफ़रमानी की उसने मेरी नाफ़रमानी की।”
इस हदीस के बारे में इमाम हाकिम निशापुरी ने लिखा है कि:-
هذا حديث صحيح الاسناد ، ولم يخرجاه.
यानि ‘यह हदीस सही सनद के साथ है मगर बुखारी वा मुस्लिम ने नकल नहीं करी है।’
देखें सफ़ाह 247 पर हदीस नं 4617👇
https://archive.org/details/al-mustadrak-sahihein-al-hakim/Al%20Mustadrak%20Ala%20Sahiheen%20Jild%204/page/n247/mode/1up?view=theater
इमाम हाकिम निशापुरी की इस हदीस को इमाम ज़हबी ने भी सही कहा है, देखें सफ़ाह 131 पर हदीस नं 4617 के बारे में इमाम ज़हबी का हुक़्म 👇
https://archive.org/details/03_20210622_20210622_0759/03/page/n130/mode/1up?view=theater
यही हदीस इमाम हाकिम निशापुरी की मुस्तदरक अलस्-सहीऐन में दूसरी जगह पर हदीस नं 4641 के तहत दूसरे सनद के साथ भी आयी है मगर इमाम हाकिम निशापुरी ने इसे सही है और इमाम ज़हबी ने इसे ज़ईफ कहा है जबकि हदीस नं 4617 पर इमाम हाकिम और इमाम ज़हबी- दोनों का कहना है कि यह सनद सही है।
दूसरी हदीस इस तरह से है जिसे इमाम हाकिम निशापुरी ने सही कहा है मगर इमाम ज़हबी ने ज़ईफ कहा है-
4641 – حدثنا : أبو العباس محمد بن يعقوب ، ثنا : إبراهيم بن سليمان البرنسي ، ثنا : محمد بن اسماعيل ، ثنا : يحيى بن يعلى ، ثنا : بسام الصيرفي ، عن الحسن بن عمرو الفقيمي ، عن معاوية بن ثعلبة ، عن أبي ذر (ر) ، قال : قال رسول الله (ص) لعلي بن أبي طالب (ر) :
“من أطاعني فقد أطاع الله ، ومن عصاني فقد عصى الله ، ومن أطاعك فقد أطاعني ، ومن عصاك فقد عصاني”.
هذا حديث صحيح الاسناد ، ولم يخرجاه.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर अल्लामा खुसरो कासिम ने ‘नूरुल-अनवार फ़ि अइम्मए अतहार’ के सफ़ाह नं 123 पर इमाम हाकिम निशापुरी के हवाले से इसी रिवायत को नकल किया है कि-
“من أطاعني فقد أطاع الله ، ومن عصاني فقد عصي الله ، ومن أطاع عليا فقد أطاعني ، ومن عصي عليا فقد عصاني.
इसके बाद लिखते हैं कि इस हदीस की तखरीज इमाम इब्ने असाकिर ने तारीख ऐ मदीना ऐ दमिश्क में किया है और मुत्तकी हिंदी ने कंज़ुल-उम्माल में नकल किया है और इमाम हाकिम ने इसे सनद सही कहा है और इमाम ज़हबी ने भी ताईद की है।”
इमाम हाकिम निशापुरी ने मुस्तदरक अलस्-सहीऐन में जो हदीस नक़ल की है जिसके सही सनद होने पर इमाम हाकिम निशापुरी और इमाम शमशुद्दीन ज़हबी ने सही कहा है..यह हदीस इमाम इब्ने असाकिर की तारीख ऐ मदीना ऐ दमिश्क में, इमाम मुत्तकी हिंदी की कंज़ुल-उम्माल में और कई किताबों में दर्ज है.. जैसे कि कुछ मिसाल यहां मौजूद है 👇
1) الهندي ، كنز العمال في سنن الأقوال والأفعال.
الجزء : ( 11 ), الصفحة : ( 614 )
“رقم نمبر 32973- من أطاعني فقد أطاع الله عز وجل ، ومن عصاني فقد عصى الله ، ومن أطاع عليا فقد أطاعني ، ومن عصى عليا فقد عصاني.”
2) الإسماعيلي، معجم أسامي شيوخ أبي بكر الإسماعيلي، حرف الألف.
أبو جعفر محمد بن ابراهيم بن محمد بن خالد القماط الكوفي
الجزء : ( 1 ), الصفحة : ( 485 )
[ النص طويل لذا استقطع منه موضع الشاهد ]
– …. حدثنا : محمد بن ابراهيم القماط ، حدثنا : محمد بن منصور بن يزيد ، حدثنا : الحكم بن سليمان ، أخبرنا : يحيى بن يعلى ، عن بسام الصيرفي ، عن الحسن بن عمرو ، عن معاوية بن ثعلبة ، عن أبي ذر الغفاري ، قال : قال رسول الله (ص) لعلي : من أطاعك أطاعني ، ومن أطاعني أطاع الله ، ومن عصاك فقد عصاني.
3) خيثمة الأطرابلسي، منتخب من الأول من فوائد خيثمة الأطرابلسي.
الجزء : ( 1 ) – رقم الصفحة : ( 20 )
رقم نمبر 19- أنبأ : خيثمة ، نا : أحمد بن حازم ، أنبأ : أحمد بن صبيح القرشي ، والحكم بن سليمان الجبلي ، قالا : حدثنا : يحيى بن يعلى ، عن بسام الصيرفي ، عن الفقيمي ، عن معاوية بن ثعلبة ، عن أبي ذر ، قال : قال رسول الله (ص) لعلي (ع) : من أطاعك أطاعني ، ومن أطاعني أطاع الله ، ومن عصاك عصاني ، ومن عصاني عصى الله.
इस हदीस से पता चला कि लोगों को अली अलैहिस्सलाम की इताआत करना फ़र्ज़ है ना कि अली अलैहिस्सलाम को लोगों की बैत या इताआत करना ज़रुरी है।

