मैवन्द_की_मलाला

#_मैवन्द_की_मलाला
27 जुलाई 1880 यौमें शहादत

आज का दिन अफ़ग़ानिस्तान के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन (27 जुलाई 1880)अफ़ग़ान राष्ट्र की एक शेर दिल बेटी ( मलाला) ने देशभक्ति और वीरता का एक ऐसा इतिहास बनाया कि दुनिया की  आँखें खुली की खुली रह गईं,

मलाला मैवन्द नामक ज़िला (डिस्ट्रिक्ट) की रहने वाली थीं जो दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के राज्य ‘क़न्दहार’ में स्थित है और यह वह प्रसिद्ध स्थान है जहाँ आज ही के दिन अफ़ग़ान राष्ट्र के अजेय बेटों के हाथों अंग्रेज़ी अतिक्रमण का महानाश हुआ था,

यह वह समय था जब पूरे देश में आजादी की लड़ाई चल रही थी और हिंदुस्तान पर कब्जा कि ये अंग्रेज़ों ने दूसरी बार अफ़ग़ानिस्तान पर अतिक्रमण किया था परंतु जैसा कि इतिहास से प्रमाणित है कि अफ़ग़ान राष्ट्र ने सदैव विदेशी अतिक्रमण का डट कर सामना किया है और उनका विनाश किया है इसी कारण अफ़ग़ानिस्तान को महाशक्ति यों का क़ब्रिस्तान भी कहा जाता है,

देश की राजधानी काबुल और देश के अन्य भागों से अंग्रेजों का सफ़ाया हो चुका था मगर क़न्दहार पर अब तक अंग्रेजों का क़ब्ज़ा था और वह हिंदुस्तान से आ रही अपनी  ताज़ादम सेना के पहुंचने की प्रतीक्षा कर रहे थे ताकि युद्ध को जारी रख सकें,

क़न्दहार से अंग्रेजों को निकालने के लिए अफ़ग़ान सेनापति (सरदार ग़ाज़ी अयूब ख़ान ) ने पश्चिम(हिरात) से सेना को बढ़ाया परंतु सेना की संख्या बहुत कम थी, हथियारों की भी बहुत कमी थी,अफ़ग़ान सेना जब हैरात से चली तो रास्ते में जहाँ से गुजरती तो सैकड़ों स्वयंसेवक जवान सेना में शामिल हो गए , माँ औ ने अपने बेटे और बहनों ने अपने भाई मातृभूमि की रक्षा के लिए सेना के साथ भेजे,

उधर हिंदुस्तान से ताज़ादम अंग्रेज सेना क़न्दहार पहुँच गई और अफ़ग़ान सेना का सामना करने के लिए अंग्रेज़ क़न्दहार शहर से बाहर मैवन्द के स्थान पर(जहाँ मलाला का घर था)  मोर्चे बना कर बैठ गए,

सैनिक दृष्टि से मैवन्द अंग्रेजों के पक्ष में बहुत उचित था क्योंकि मैवन्द एक रेगिस्तान है और यह जुलाई के सख्त गर्मियों का मौसम था और ऊँचे क्षेत्रों और पानी के स्रोत्रों पर भी अंग्रेजों ने क़ब्जा कर लिख था,
जब अफ़ग़ान सेना मैवन्द पहुँची तो प्यास और गर्मी के कारण उनका हाल बहुत बुरा हो चुका था उधर अंग्रेज़ों ने भी यही मौका उचित समझा और हमला कर दिया,
घमासान का ऋण पड़ा परंतु अंग्रेजों की संख्या बहुत ज़्यादा थी और उन के पास आधुनिक हथियारों की भी कमी नही थी, अंधेरा गहरा होने तक अंग्रेज़ी तोपों की गोलाबारी चलती रही और मैदान अफ़ग़ान जवानों की लाशों से भर गया,

सुबह हुई तो ग़ाज़ी अयूब ख़ान ने सेना को युद्ध के आदेश दिए और स्वयं लड़ाई में कूद पड़े, घमासान का ऋण पड़ा और अफ़ग़ान जवान शेरों की तरह शत्रु पर टूट पड़े मगर गर्मी , प्यास और हथियारों की कमी के कारण अंग्रेज़ भारी पड़ रहे थे और अफ़ग़ानों की हिम्मत जवाब दे रही थी, देखते ही देखते अफ़ग़ान झंडा भी धरती पर गिर गया , कई जवानों ने पीछे मुड़ कर देखना भी शुरू कर दिया, निकट था कि अंग्रेज जीत जाएँ कि इसी क्षण एक लड़की हाथ में तलवार लिए बिजली की गति से मैदान में आई अफ़ग़ान  झंडा उठाया और एक उच्च स्थान पर खड़ी हो गयी और शेरनी की तरह गरज कर बोली !

( मलाला के इन कविताओं को पश्तो भाषा में ‘लन्डई’ कहते है जो पश्तो साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं)

ख़ाल ब द यार द वीनो केग्दम
( में अपने सज्जन के ख़ून से अपने माथे पर टीका लगालूँगी )
चे शींकी बाग़ कि गुल गुलाब वशर्मावीना
( जिस की सुंदरता देख कर बाग़ में गुलाब का फूल भी शर्मा जाए गा )
टोटे टोटे प तूरु राशा
( तुम्हारा शरीर अगर तलवारों के वारों से टुकड़े टुकड़े ही क्यों न हो जाए )
द बे नंगई आवाज़ दे रामशा मैना
( मगर तुम्हारे हार की ख़बर मुझ तक ना आए )
का प मैवन्द के शहीद नश्वे
( आज अगर तुम मैवन्द में शहीद नहीं हुए )
ख़दाईगो लालया बे नंगई त दे सातीना
( तो ख़ुदा की क़सम तुम्हारी बची हुई ज़िन्दगी एक बेकार ज़िंदगी है)
और यह (लन्डई ) बोल मलाला ने तलवार उठाकर अंग्रेजों की तरफ़ दौड़ लगा दी,

मलाला के यह शब्द जवानों पर बिजली बन कर गिरे उन के दिल जोश से भर गए और सब मलाला के पीछे भागते हुए अंग्रेज़ों पर टूट पड़े और उन्हें गाजर मूली की तरह काट कर रख दिया और मैवन्द की जीत अफ़ग़ानों के  नाम हुई,

युद्ध के समाप्त होते ही ग़ाज़ी अयूब ख़ान ने पहला आदेश दिया ! वह लड़की कौन थी उसे तुरंत बुलाओ !
सैनिक तुरंत उसे ढूंढने लगे , थोड़ा दूर जाकर देखा तो सैनिकों के लाशों के बीच एक लड़की की लाश पड़ी हुई थी, 😢😭

ग़ाज़ी अयूब ख़ान को बताया गया कि मलाला यही मैवन्द की रहने वाली थी और कुछ ही दिन बाद उसकी शादी होने वाली थी उसके दो भाई और मंगेतर भी इस युद्ध में  शहीद हो गए थे,

मलाला के नाम पर अफ़ग़ान राष्ट्र पुरस्कार भी है जो केवल उन लोगों को दिया जाता है जो देश के लिए जान की बाज़ी लगाते हैं,

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