चौदह सितारे पार्ट 17


4 हिजरी के अहम वाक़यात

मोहर्रम 4 हिजरी में बनी असद ने मदीने पर हमला करना चाहा जिसे रोकने के लिये आपने अबू सलमा को भेजा उन्होंने दुश्मनों को मार भगाया। फिर सुफ़ियान बिन ख़ालिद ने हमले का इरादा किया जिसके मुक़ाबले के लिये अब्दुल्लाह इब्ने अनीस भेजे गये।

वाक़ये बैरे मऊना

सफ़र 4 हिजरी में अबू बरा आमिर बिन मालिक क़लाबी की दरख़्वास्त पर आं हज़रत (स.व.व.अ.) ने 70 अंसार को तबलीग़ के लिये उन्हीं के साथ रवाना किया। यह लोग मक़ामे बैरे मऊना पर ठहरे जो मदीने से 4 मंज़िल के फ़ासले पर वाक़े है और एक शख़्स आमिर बिन तुफ़ैल के पास भेजा उसने क़ासिद को क़त्ल कर दिया फिर एक बड़ा लश्कर भेज कर मौत के घाट उतार दिया।
ग़ज़वा बनी नुज़ैर

उमर बिन उमैया ने क़बीलाए आमिर के दो आदमी क़त्ल कर दिये थे और उनका ख़ून बहा अब तक बाक़ी था। तबरी की रवायत के अनुसार आं हज़रत (स.व.व.अ.) उसके मुतालिबे के लिये कुछ असहाब के साथ बनी नुज़ैर के पास गये उन्होंने मुतालिबा तो क़ुबूल कर लिया मगर आपको क़त्ल कर देने का यह ख़ुफ़िया प्रोग्राम बनाया कि एक शख़्स कोठे पर जा कर एक भारी पत्थर आप पर गिरा दे। चुनान्चे उमर बिन हज्जाश यहूदी बाला ख़ाने पर गया हज़रत को इसकी इत्तेला मिल गई और आप वहां से मदीना तशरीफ़ ले आये। बनी नुज़ैर एक क़िले में रहते थे जिसका नाम ज़हरा था। यह क़िला मदीने से 3 मील के फ़ासले पर था। हज़रत ने इसकी इस ग़लत हरकत की वजह से जिला वतनी का हुक्म दे दिया। आपने कहला भेजा कि 10 दिन के अन्दर यह जगह ख़ाली करो। उन्होंने अब्दुल्लाह बिन अबी खिरजी मुनाफ़िक़ के बहकाने से बात न मानी क़िले का घिराव कर लिया गया आखिर वह लोग 6 दिन में वहां से भाग गये।

ग़ज़वा ज़ातुल रूक़ा

इसी 4 हिजरी जमादिल अव्वल के महीने में क़बीलाए इनमारो साअलबता और ग़त्फ़न ने मदीने पर हमला करना चाहा आं हज़रत ( स.व.व.अ.) असहाब को ले कर उनको आगे बढ़ने से रोकने के लिये आगे बढ़े लेकिन वह सामने न आये और निकले। इसी मौके पर एक शख़्स ने क़त्ल के इरादे से आं हज़रत ( स.व.व.अ.) से तलवार मांगी थी और आपने दे दी थी, मगर वह क़त्ल की हिम्मत न कर सका। (अबुल फ़िदा जिल्द 2 पृष्ठ 88 ) इसी 4 हिजरी मे ग़ज़वा बद्र सानी (दूसरी बद्र) भी पेश आया लेकिन जंग नहीं हुई। इस ग़ज़वे में भी हज़रत अली (अ.स.) अलम बरदार थे। इसी साल शाबान के महीने में हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) पैदा हुए और उम्मे सलमा (र.) का रसूले करीम (स.व.व.अ.) के साथ अक़्द हुआ और फातेमा बिन्ते असद ने वफ़ात पाई।

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