हैबत व शुजाअत

एक दिन हज़रत फ़ातिमा जोहरा रज़ियल्लाहु अन्हा अपने दोनों शहज़ादों यानी हसन व हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हुम को लेकर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुई और अर्ज़ किया कि या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! इन दोनों को कुछ अता फ़रमाइये। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया हां मंजूर है। फिर फ़रमाया हसन को तो मैंने इल्म और हैबत अता की और हुसैन को अपनी शुजाअत और अपना करम बख़्शा । ( इब्न असाकर, अल-अम्न वल उला सफा ६६ )

सबक : हसनैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हुम हैबत व शुजाअत और इल्म व करम के मालिक थे। यह चीजें उन्हें अपने नाना जान से मिली थीं। यह भी मालूम हुआ कि हमारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह तआला के ख़ज़ानों के मालिक व मुख़्तार और मुतसरिर्फ हैं वरना आप क्यों फ़रमाते कि मैंने हसन को हैबत व इल्म और हुसैन को शुजाअत व करम बख़्शा । बख़्शता वही है जो मालिक व मुख़्तार और मुतसर्रिफ हो । कौन देता है देने को दिल चाहिये देने वाला है सच्चा हमारा नबी

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