
महबूब का अदब
हज़रत बरा इब्ने आज़िब रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से किसी शख़्स ने मसअला पूछा कि किन-किन जानवरों की कुरबानी दुरुस्त नहीं। हज़रत बरा बिन आज़िब रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने जवाब दिया कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक रोज़ हम में खड़े हुए थे। फ़रमाया कि चार किस्म के जानवर हैं जिनकी कुरबानी जायज़ नहीं। एक वह जिसकी आंख फूटी हो; दूसरा वह जो सख़्त बीमार हो; तीसरा वह जिसका लंग ज़ाहिर हो; चौथा वह जो निहायत दुबला हो। इसको हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी उंगलियों पर गिनकर फरमाया था। लेकिन मेरी उंगलियां हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उंगलियों जैसी नहीं, छोटी हैं। (इब्न माजा सफा २३४)
सबक : सहाबए किराम के दिलों में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इंतिहाई अदब था। चुनांचे देख लीजिये कि हज़रत बरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने इस रिवायत को ब्यान किया तो अदब ने इजाजत नहीं दी कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उंगलियों का ब्यान अपनी उंगलियों से करें। जब यह कहा कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस तरह अपने हाथ की उंगलियों पर गिनकर बताया था तो साथ ही फौरन कह दिया कि लेकिन मेरी उंगलियां हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उंगलियों जैसी नहीं। गोया अपनी उंगलियों से हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उंगलियों के ब्यान को ख़िलाफ़े अदब समझा और गुस्ताख़ी समझा। फिर जो लोग हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बड़ी बेबाकी से अपने जैसा बशर कह देते हैं, गौर फरमा लीजिये वह किस कद्र बे अदब, बद अक़्ल और ना आशनाए रसूल है। बड़े बे-अदब और गुस्ताख़ हैं जो । उन्हें अपने जैसा बशर देखते हैं।

