मिश्कत ए हक़्क़ानिया जीवनी वारिस पाक-15

बैठक व विश्राम

‘बैठना और आराम करना’ हुजूर वारिस पाक के उठने बैठने और आराम करने में भी नियम की पाबन्दी पायी जाती थी जो आपके पूरे जीवन में दृष्टिगोचर हुई। आपकी आदत थी भोजन करने के पश्चात् दो तीन सेकेन्ड बाईं करवट आराम करते तत्पश्चात् करवट बदल लेते थे। आपको कभी चित्त या उतान लेटते नहीं देखा गया है। जब आपको करवट बदलना होता था तो आप बैठकर दाई ओर फिर लेटते थे। एक ही करवट लेटने के कारण आपके दायें कूल्हे पर घाव पड़ गया था। आप तकिया का प्रयोग कभी नहीं करते थे। सोते समय अपने दांये हाथ को सिर के
नीचे रख लेते थे। एक बार मौलवी अहमद हुसेन साहब ने आपके बिछौने पर दो तकिये रख दिये तो आपने कहा ‘हम तकिया पसन्द नहीं करते।’ जीवन के अन्तिम भाग में दुर्बलता के कारण अधिक कष्ट होता। सेवकगण देखते तो सहारे के लिए कोई कपड़ा सिरहाने रख देते थे। आप भोजन करते समय उकड़ बैठते थे और इसी ढंग से बैठने की आदत थी । उकडू बैठने में आप दोनों हाथ ज़मीन पर रख लेते थे। कभी दो जानू और कभी एक जानू भी बैठते थे अर्थात् कभी दोनों पाँव मोड़कर और कभी एक पाँव मोड़कर बैठते थे। आपकी बैठक का एक ऐसा अंदाज़ था कि आपके बैठक पर अल्लाह शब्द साफ़ पढ़ा जाता था। कहा जा सकता है कि आपकी बैठक भी भगवान के स्मरण या यादे ईलाही से खाली नहीं थी। आराम करने अथवा लेटने की दशा से शब्द मुहम्मद की सूरत दिखाई देती थी। टांग पर टांग रखकर आप कभी नहीं बैठते थे या पलथी लगाकर नहीं बैठते थे ।

Leave a comment