नाबीना सहाबी

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में एक नाबीना सहाबी हाज़िर हुए और अर्ज़ कियाः या रसूलल्लाह! दुआ फरमा दीजिये कि मैं अच्छा हो जाऊं। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अगर चाहो तो यह बात मुअख्ख़र कर दो और अगर चाहो तो अभी दुआ करूं। उसने अर्ज़ किया: या रसूलल्लाह! अभी दुआ फरमा दीजिये। हुजूर ने फ़रमायाः अच्छा! तो यूं करो वुजू करो और दो रकअत नमाज़ पढ़ो और यह दुआ मांगो

इलाही! मैं तुझसे पनाह मांगता और तेरी तरफ़ तवज्जह करता हूं तेरे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वसीले से जो मेहरबानी के नबी हैं। या अल्लाह! मैं हुजूर के वसीले से अपने रब की तरफ़ अपनी इस हाजत की तवज्जह करता हूं ताकि मेरी हाजत रवा हो । इलाही! इन्हें मेरा शफ़ी कर इनकी शफ़ाअत मेरे हक़ में कुबूल कर । ( इब्न माजा सफा १००)

चुनांचे उस नाबीना सहाबी ने ऐसा ही किया। रावी कहते हैं कि वह यूं अच्छे हो गये जैसे कभी नाबीना थे ही नहीं। (हाशिया इब्न माजा सफा मजकूर)

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