

24जिलहज
ईद ऐ मुबाहिला
जब ये आयत नाज़िल हुवी
” पैग़म्बरﷺइल्म (क़ुरान) के आ जाने के बाद भी अगर लोग तुम से (ईसा के बारे में) कट हुज्जती करें तो उनसे कह दीजिए कि (अच्छा मैदान में) आओ हम अपने फ़रज़न्द (बेटों को बुलाएं, तुम अपने बेटों को बुलाओ), हम अपनी औरतों को बुलाएं तुम अपनी औरतों को बुलाओ और हम अपने नफ़्सों (जानों) को बुलायें तुम अपनी नफ़्सों (जानों) को बुलाओ फिर ख़ु़दा की बारगाह में (सब मिलकर) दुआ करें और झूठों पर ख़ु़दा की लाअनत क़रार दें “
– सूरह आले इमरान, आयत न. 61
इस आयत में अल्लाह ने रसुलल्लाह ﷺ को हुक्म हुवा की नज़रान के ईसाई ओ के सामने अपनी औरतो को और बच्चो को ले जाओ तो रसुलल्लाह ﷺ मौला ऐ कायनात अली अ.स., हसनैन करीमैन अ.स. और सैयदा ऐ कायनात स.अ. को लेकर गए।
1) तफ़्सीर इब्न कसीर – सूरह आले इमरान, आयत न. 61
अेहले सुन्नत की सब से मोअतबर तफ़्सीर में लिखा है की ईसाई ओ के साथ मुबाहिले के लिए रसुलल्लाह ﷺ के साथ मौला ऐ कायनात अली अ.स. थे, हसनैन करीमैन अ.स. को रसुलल्लाह ﷺ अपनी चादर में लिए हुवे तशरीफ़ लाये और पीछे सैयदा ऐ कायनात स.अ. आ रही थी।
और इसमें लिखा है हज़रत जाबिर फरमाते है “अनफुसना से मुराद रसुलल्लाह ﷺ और मौला ऐ कायनात अली अ.स. है, अबना-अना से मुराद हसनैन करीमैन है और निसा-अना से मुराद सैयदा फातिमा स.अ. है। ”
2) जामें तिर्मिज़ी – हदीस न. 3724
इस हदीस में साद इब्न अभी वकास को जब मुआविया, मौला अली अस पर लानत करने के लिए हुक्म देता है तो साद उसे केहते है “मैनें 3 फ़ज़ीलत मौला अली अ.स. के बारे में खुद रसुलल्लाह ﷺ से सुनी उसमें से एक भी मेरे लिए सुर्ख ऊंट से बेहतर है” और
फिर उन तीन फ़ज़ीलत में से एक फ़ज़ीलत बताते है की यह आयत (आले इमरान, 61) नाज़िल हुवी तो अल्लाह के रसुल ﷺ ने अली, फातिमा, हसन और हुसैन को बुलाकर कहा “अय अल्लाह, ये मेरे अेहलेबैत है ”
3) सहीह मुस्लिम – हदीस न. 6220
ये वही रिवायत है जो ऊपर मुस्लिम में बयान हुवी है।
यहाँ एक बात गौर करने वाली है की कुरान में हुक्म हुवा अपनी औरतो को लेकर जाओ और सब अज़वाज हयात है लेकिन रसुलल्लाह ﷺ किसी को ना ले गए बल्कि मलिका ऐ दो जहाँ सैयदा ताहिरा बीबी फातिमा स.अ. को लेकर गये। कहा अपने बेटो को ले जाओ तो अली, हसन और हुसैन अलैहिसलाम को लेकर गये और किसी को लेकर नहीं गये।
और नजरान के ईसाईओ ने ये पसमंज़र देखा की सामने से कौन आ रहा है वो डर कर मैदान छोड़ कर भागे।


