
हज़रत अली (रज़ियअल्लाहु अन्हु) ने कहा: मैं जाफ़र (रज़ियअल्लाहु अन्हु) और ज़ैद (रज़ियअल्लाहु अन्हु) के साथ नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के पास गया नबी ने ज़ैद को कहा: तुम मेरे आज़ाद बंदे हो (अंता मावलाय), “इस पर ज़ैद ने नबी के चारों ओर एक पैर पर कूदना (रक्स करना) शुरू कर दिया” फिर नबी ने जाफ़र (रज़ियअल्लाहु अन्हु) से कहा: तुम मेरी खालक और मेरी आदतों में मेरी मुस्तरद होते हो, इस पर जाफ़र भी ज़ैद के पीछे कूदने (रक्स करने) लगे, फिर नबी ने अली (रज़ियअल्लाहु अन्हु) से कहा: तुम मेरे से हो और मैं तुमसे हूँ, इस पर वह भी जाफ़र के पीछे कूदने (रक्स करने) लगे।
[मुस्नद अहमद बिन हम्बल 1:537 #857]