दुश्मन ए अली बिल इज्मा काफ़िर है।

आला हजरत इमाम अहमद रजा खान कादरी फ़ाज़िले बरेलवी फ़रमाते है – दुश्मन ए अली बिल इज्मा काफ़िर है अब आप ही बताओ यजीद का बाप मुआविया बागी को क्या कहोगे आला हजरत के फरमान के मुताबिक़
📚हवाला :- फ़तवा रजविया जिल्द 15 सफ़ह 236

📚सही बुखारी जिल्द न. 3, हदीस न 2812 सफ़ा न. 227 और बुखारी की दूसरी हदीस, हदीस नं 447
व मुसनद इमाम अहमद हदीस नंबर 12347
सिर्फ इसी हदीस को बंदा अपना जहन साफ कर के पढ़ ले तो पता चल जायेगा की मुआविया बागी जहन्नमी गिरोह का सरदार था।

जंग ऐ सिफ़्फ़ीन में मुआविया ने हुकूमत की लालच में जंग कर के अम्मार बिन यासीर को क़त्ल किया, और ये साबित कर दिया की अम्मार बिन यासिर को क़त्ल करने वाला ये मुआविया का गिरोह जहन्नम की तरफ बुलाने वाला था।

ये मेरा या किसी मुल्ला का फरमान नहीं पर हुज़ूर सल्ललाहो अलैहि वसल्लम का फरमान है।

हम सब ने ये तो सुना और जाना है की यज़ीद लानती शराबी था पर शराब पीना कहा से सिखा ये मैं आज बताता हूँ।

इमाम अहमद इब्ने हम्बल लिखते है की अपने दौर ऐ हुकूमत में मुआविया शराब पीता था।

जब हम कहते है तो हम को राफ़जी, गुमराह, क़ाफ़िर, सहाबा का गुस्ताख़, ख़ारजी जैसे लफ़्ज़ों से नवाजा जाता है, वही मोलवी अब इब्ने हम्बल के बारे में क्या कहेगा???!!

सहाबी वो हैं जो ईमान की हालत मैं मौत पाये, ये कैसा सहाबी जो शराब पीता था और इमान में मरा???!!!

अगर अब भी मुआविया को इमान में माना तो मतलब शराब को हराम नहीं समझा।

📚हवाला= मुसनद अहमद बीन हम्बल, जिल्द 10, हदीस न. 23329, सफ़ा न. 661
सईद बीन ज़ुबैर रिवायत करते है की

“मैं अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास के साथ अराफात में था

और उन्हों ने कहा “मैं लोगो को तलबिया पढ़ते क्यों नहीं सुन रहा हु?”

मैंने कहा “ये लोग मुआविया से डरे हुवे है”

तो इब्ने अब्बास अपने खेमे से बहार आये और कहा “लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैक! और कहा मुआविया ने सिर्फ अली से नफरत में सुन्नत को छोड़ दिया है”

Sunan Nisai Jild No. 4, Hadis No 3009, Safa No 628
मुआविया खुद को हज़रत उमर से भी ज्यादा खिलाफत का हक़दार समझता था, मुआविया ने अब्दुल्लाह इब्ने उमर की तरफ इशारा कर के कहा “मैं उसके बाप से भी ज्यादा खिलाफत का हक़दार हूँ”।

📚 सही बुखारी जिल्द न. 4, हदीस न. 4108, सफा न. 259
मैं लिख के देता हूँ की तुम्हे आज तक किसी भी अत्तारी बरेलवी ने ये रिवायत नहीं बताई होगी। इस लिए की अब तक तो आप ने सुना था की मुआविया मौला अली अलैहिसलाम का गुस्ताख़ था, पर इस हदीस से साबित होता है की उसने हज़रत उमर को भी नहीं छोड़ा।

उन्ही के बेटे की तरफ इशारा कर के कहता है “वो अपना सर उठाये, मैं उसके बाप से भी ज्यादा खिलाफत का हक़दार हूँ।”

अगर राफजी लोग हज़रत उमर फारूक रजिअल्लाह त्आला अन्हो की शान मुबारक में गुस्ताखी करे तो वो काफिर हो जाते है लेकिन इन आज के राफजीयो के काई साल पहले मुआविया बागी हज़रते सैय्यदना उमर फारूक की शान मुबारक में गुस्ताखी किया है, वो रजिअल्लाह है 😂😂। वाह मुसलमान वाह। तुम लोग ना अहलेबैत अलैहिस्सलाम के ही हो, और ना असहाब-ए-रसूलﷺ के हो तुम बस मुआविया बागी के अंधभक्त चाटूकारो हो बस !..

इमाम अब्दुल रज़्ज़ाक के सामने जब मुआविया का जिक्र हुवा तो आप ने फ़रमाया

“हमारी मेहफ़िलों को अबू सुफियान के बेटे के जिक्र से गन्दा ना करो”

मीज़ान अल एतदाल जिल्द 4, सफा 343
सायरे आलम अल नुबाला जिल्द 9, सफा 580
किताब अल जुआफा जिल्द 1, सफा 859
जो बन्दे सोच रहे है की इमाम अब्दुल रज़्ज़ाक कौन है तो ये कोई चंदा खोर मौलवी नहीं बता पायेगा, उस शक्श को चाहिए की मुसन्नफ़ अब्दुल रज़्ज़ाक पढ़े जो की हदीस का मजमुआ है तब पता चलेगा की कितने बड़े एहले सुन्नत के मुहद्दिस थे।

मुआविया ने अपने दौर ए हुकूमत में खुद भी मौला अली अलैहिसलाम को गालिया दी है और अपने हुक्मरानो से भी मौला अली अलैहिसलाम को गालिया दिलवाई है।
📚तारीख इ तबरी जिल्द 4, हिस्सा 1, सफा 82
📚खिलाफत व मुलुकियत सफा 174
📚फ़तहुल बारी जिल्द 7, सफा 88
📚अल मफ़हीम जिल्द 1, सफा 231
ये एक हकीकत है और इसका एक नहीं सुन्नी मोतबर किताब और सियासित्ता के अनेक हवाले मौजूद है फिर भी इस हकीकत से मुँह फेर लेना आलीमो की हाथ धर्मी मक्कारी और अपनी दुकान चलाने के लिए आदत बन चुकी है।

अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास ने फ़रमाया की

“मौला अली अलैहिसलाम को गाली देना अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को गाली देना है।”

📚तारीख ऐ मसूदी जिल्द 1, हिस्सा 2, सफा न. 359
जाबिर बिन अब्दुल हमीद जो की सियासित्ता की हदीस के रिजाल लिखने वालो में से है मुआविया को ऐलानिया तौर पर गालिया देते थे।

📚तहज़ीब अल तहज़ीब जिल्द 1, सफा 297-298
जब हम कुछ कहते है तो फ़ौरन राफ्ज़ी और काफिर के फतवे ठोक देते है, अब इन मोलविओ से पूछना चाहता हु, जाबिर बिन अब्दुल हामिद साहब के बारे में क्या कहेंगे???

उम्मुल मोमिनीन बीबी उम्मे सल्मा सलामुल्ला अलैहा से रिवायत है, फरमाती है की
“मौला अली अलैहिसलाम को गाली देना दर असल रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को गाली देना है।”

📚कंज़ुल उम्माल जिल्द 7, हदीस न 36460, सफा न. 74

याद रहे की ये वाक़िया मुआविया लानतुल्लाह की दौर ए हुकूमत का है और उस दौर में लोग मुआविया की तक़लीद में इतने अंधे हो चुके थे की उन्हें ये भी नहीं पता था की वो मौला को गाली दे कर कितना बड़ा गुनाह कर रहे थे।

मुआविया और बनु उमैया के हुक्मरानो को कब तक बचाते रहोगे, खुद उम्मुल मोमिनीन गवाही दे रही है की मौला अली पर शब्बो सितम हुवे है।

मुआविया की नमाज़ ऐ जनाज़ा पढ़ाने वाला यज़ीद मलऊन था।

📚तारीख इब्न इ कसीर जिल्द 8, सफा न. 188
इस पर इमाम शाफ़ई का कॉल है की “यज़ीद अपने बाप की वफ़ात से क़ब्ल (पहले) दमिश्क में दाखिल हुवा और आप ने (मुआविया) ने उसे (यज़ीद को) वसी मुक़र्रर किया”

और यही कॉल इब्ने इश्हाक और दीगर मुअर्रिख़ीन का है।

मौला अली अलैहिस्सलाम का क़ौल बनु उमैया के लिए।

मौला अली अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया की दो सबसे बड़े फासिक और फ़ाजिर कबीले बनु उमैया और बनु मुग़ीरा है।

और बनु उमैया के मान ने वाले भी फासिक होंगे चाहे वो बड़े से बड़ा मौलवी हो या मुफ़्ती हो।

📚अल मुस्तदरक लील हाकिम जिल्द 3, सफा न 273, हदीस न. 3343
मुआविया के नाम का मतलब !

एहले सुन्नत के मशहूर आलिम अल्लामा जलालुद्दीन सुयूती अलैहि रेहमा ने अपनी किताब में लिखा की

“मुआविया नाम के माने उस कुत्ते के है जो दुसरो पर भोंकता है”

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s