
सादात की ख़िदमत का सिला कोन देगा?
इमाम देलमी रावी हैं कि हुजूर पुर नूर शाफे यौमुन नुशूर ने फ़रमाया: “जो शख़्स वसीला चाहता है और उसकी ख्वाहिश है कि मेरे दरबार में उसकी कोई खिदमत हो जिसकी बदौलत में कयामत के दिन उसकी शफाअत करूं, तो उसे मेरे एहले बैत की ख़िदमत करनी चाहिए और उन्हें खुश करना चाहिए।” (बरकाते आले रसूल स. 245

एहसान का बदला कौन देगा?
इमाम तिबरानी मरफूअन रिवायत करते हैं कि नबी अकरम ने फ़रमाया: “जिस शख़्स ने हज़रत अब्दुल मुत्तलिब की औलाद पर कोई ऐहसान किया और उसने इसका बदला नहीं दिया, कल क़यामत के दिन जब वह मुझ से मिलेगा तो मैं उसे बदला दूँगा।” (बरकाते आले रसूल स. 245)