
*بِسْمِ اللٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ*
*बुज़ुर्गाने दीन और मेह़नत*
मुसलमान उ़लमा, फ़ुक़हा, मुफ़स्सिरीन, मह़द्दिषीन और दीगर स़ाह़िबे इ़ल्म हस्तियों ने भी मेह़नत को शिआ़र बनाया और मेह़नत करने में कभी आ़र मॅह़सूस नहीं की। मषलन:
• इमाम ग़ज़्ज़ाली رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ सूत का काम करते थे।
• अबू बक्र जस़्स़ास رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ जूता साज़ थे आप पैंटर का काम भी करते थे।
• अ़ल्लामा अल ह़न्नात़ رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ दरज़ी थे।
• अल बज़्ज़ार رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ कपड़ा बेचा करते थे।
• अ़ल्लामा अल ख़य्याम رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ ख़ैमे सीते और ख़ैमों का कारोबार करते थे।
• अ़ल्लामा अल ख़ब्बाज़ رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ रोटियाँ पकाते थे।
• अ़ल्लामा ज़य्यात رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ तेल बेचा करते थे।
• अ़ल्लामा क़ुदूरी رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ हाँडियाँ बनाते थे। या’नी कुम्हार का काम करते थे।
• इमाम क़फ़्फ़ाल رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ ताले बनाते और फ़रोख़्त करते थे।
• इमाम स़फ़्फ़ार رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ बरतन फ़रोश थे।
• इमाम स़ैदलानी رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ इ़त़्र फ़रोश थे।
• इमाम बक़्क़ाली رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ सब्ज़ी फ़रोश थे।
• इमाम अबू ह़नीफ़ा رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ कपड़े का काम करते थे।
• इमाम अह़मद बिन उ़मर बिन मुहैर رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ मोची थे।
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आज भी बॉहत से मुस्लिम मुफ़क्किरीन और उ़लमा व फ़ाज़िलीन अपने नामों के साथ अपने पेशे को लिखना आ़र नहीं समझते। मषलन मश्हूर किताब “मबाह़िषु फ़ी उ़लूमिल क़ुरआन” के मुस़न्निफ़ “मन्नाउ़ल क़त़्त़ान” हैं और क़त़्त़ान रूई धुनने वाले को कॅहते हैं। “तैसीरु मुस़्त़लह़ अल ह़दीष” के मुस़न्निफ़ “डॉक्टर मह़मूद अत़्त़ह़्ह़ान” हैं और त़ह़्ह़ान पिसाई का काम करने वाले को कॅहते हैं। इस त़रह़ की और बेशुमार मिषालें अ़स़्रे ह़ाज़िर से दी जा सकती हैं।
[त़ाहिरुल क़ादिरी, इक़्तिस़ादियाते इस्लाम,/720, 721]