
हुजूर पुर नूर सैयद आलम ने फरमायाः
शख़्स मेरे एहले बैत से नेकी करेगी, वह कृयमात के दिन उसका अज्र 100 गुना ज्यादा पाएगा। मैं (मुहम्मद ) कयामत के दिन इस नेकी का ज़ामिन हूंगा। ” जो
(शर्फ नबी शैख अबु सईद अब्दबुल मलिक बिन उसमान नीशापुरी ( स. 407 हि.) स. 239 जो हज़रात सादाते किराम को खुशी के मोके पर नज़र अंदाज़ करते हैं, वह इन रिवायात करीमा से सबक हासिल करें। (2) रद्दुल मुख़्तार बाब गुस्ल मय्यत में बहवाला हदीस शरीफ़ फरमाया:
“كل سبب و نسب منقطع الاسببی و نسبی“
यानी क़यामत के दिन हर नसबी और सुसराली रिश्ते कट जाऐंगे और काम न आऐंगे मगर मेरा नसब और सुसराली रिश्ता काम
आएगा।
फिर फरमाया कि हज़रते उमर ने हज़रते कुलसुम बिन्ते फ़ातिमा जेहरा से इस हदीस की बिना पर निकाह किया ताकि हज़रते अली शेरे खुदा से आपका सुसराली रिश्ता कायम हो जाए। (रुहुल मुख़्तार किताबुल सलात बाब सलातुल जनाज़ा)