
*بِسْمِ اللٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ*
इरशादे बारी तआ़ला है:
“ऐ ईमान वालो! तुम पर अल्लाह और रसूल (ﷺ) से (उन के ह़ुक़ूक़ की अदाएगी में) ख़ियानत न किया करो और न आपस की अमानतों में ख़ियानत किया करो ह़ालाँकि तुम (सब ह़क़ीक़त) जानते हो।”
[अन अन्फ़ाल, 8: 27]
ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने फ़रमाया:
“जिस किसी को हम किसी काम के लिये मुक़र्ररा तनख़्वाह (उजरत) पर मुतअ़य्यन करें और वोह अपनी उजरत से ज़ियादा (किसी भी ज़रीए़ से) लेगा तो वोह ग़ब्न होगा।”
[अबू दावूद, अस्सुनन, रक़म: 2943]