
*بِسْمِ اللٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ*
ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने फ़रमाया:
“अपने मा तॅह़तों से बद ख़ुल्क़ी करने वाला जन्नत में दाख़िल न होगा।”
[तिरमिज़ी, अस्सुनन, रक़म: 1946]
ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने फ़रमाया:
“मा तॅह़तों से अच्छा सुलूक बरकत का ज़रीआ़ बनता है और उन से बद ख़ुल्क़ी बद बख़्ती लाती है।”
[अबू दावूद, अस्सुनन, रक़म: 5162]
ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने फ़रमाया:
“तुम में से कोई भी (अपने ख़ादिम या मुलाज़िम को) येह न कहे कि अपने आक़ा को खाना खिलाओ, अपने आक़ा को वुज़ू करवाओ, अपने आक़ा को पानी पिलाओ, बल्कि मज़दूर या ख़ादिम को स़िर्फ़ येह कॅहना चाहिये: मेरे सरदार। और तुम से कोई यूँ भी न कहे: मेरे ग़ुलाम, मेरी लौंडी, बल्कि चाहिये कि वोह कहे मेरे नौजवान मुलाज़िम, मेरी मुलाज़ेमा और मेरे बेटे।”
[बुख़ारी, अस़्स़ह़ीह़, रक़म: 2414]