
*بِسْمِ اللٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ*
ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने फ़रमाया:
“अल्लाह तआ़ला उस शख़्स़ की मग़फ़िरत फ़रमाता है जो तुम्हारे (तमाम मुआ़शरे के) लिये नर्म और ख़रीदो फ़रोख़्त में भी नर्म मिज़ाज हो।”
[तिरमिज़ी, अस्सुनन, रक़म: 1320]
ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने फ़रमाया:
“जो शख़्स़ ऐ़बदार चीज़ को बेचे और उस पर ख़रीदार को आगाह न करे वो हमेशा अल्लाह तआ़ला की नाराज़गी में रॅहता है और फ़िरिश्ते उस पर मुसलसल ला’नत करते रहेंगे।
[इब्ने माजह, अस्सुनन, रक़म: 2247]
ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने फ़रमाया:
“मुसलमान मुसलमान का भाई है और किसी मुसलमान के लिये जाइज़ नहीं कि अपने भाई के हाथ मा’यूब चीज़ फ़रोख़्त करे मगर येह कि उस के सामने ऐ़ब ज़ाहिर कर दे।”
[इब्ने माजह, अस्सुनन, रक़म: 2246]