
*सादात*
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*हजरत इमाम हसन अलैहसलाम और इमाम हुसैन अलैहसलाम की औलादों को सैय्यद कहा जाता है*
*हज़रत अबुज़र गिफ़्फ़ारी रिवायत करते है कि हुज़ूर मोहम्मदुरसूलल्लाह सल्लहो अलैह व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया है कि*:-
*”जो इंसान अपना नसब (अपनी नस्ल अपने बाप के अलावा ) किसी और से मिलाएं वो इरतेकाबे कुफ्र करता है (हदे कुफ्र तक पहोचता है) और जो ऐसा दावा करे वोह मेरी जमात से खारिज़ है उसे अपना ठिकाना जहन्नुम बना लेना चाहिए*
*(बुखारी शरीफ)*
*अगर कोई इंसान इमाम हसन अलैहसलाम और इमाम हुसैन अलैहसलाम की औलाद में से ना हो तो सैय्यद कहलाने और अपनी जात बदलने से एहतियात बरते ठोस सबूत और शिजरा ना होतो भी सैय्यद कहलाने और जो उसे कहे के तू सय्यद है और वो नही है तो भी सैय्यद कहलाने और दूसरों को बोलने से एहतियात बरते वरना हश्र के दिन पछताना पड़ेगा*
*(किताब सैय्यद कौन ;सफाह न 1)*
*वली कुतुब अब्दाल नजबाअ नकबाअ गौस फर्द मज़जुब् मखदूम कलन्दर कुतुबुल आकताब कुतुबुल इरशाद सब विलायत कुतबियत अब्दलियत गौसियत फरदीयत के मुक़ाम है जो फ़ज़्ल-ईलाही से किसी भी कौम के फर्द और आशिके रसूलल्लाह सल्लहो अलैह व सल्लम को मिल सकते है लेकिन जो औलादे और खूने रसूलल्लाह सल्लहो अलैह व सल्लम बाअस बरतरी हासिल है वो गैर सादात को नही है !अगर कोई गैर सादात अपने वक़्त का कुतुब और गौस भी हो तो उस पर सादात का अदब फ़र्ज़ है*
*(खलील आज़म सफाह न 29)*
*हजरत अबु सईद रदिअल्लहु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लहो अलैह व सल्लम ने फरमाया के हम अब्दुल मुत्तलिब (अलैहसलाम)के बेटे अहले जन्नत के सरदार होंगे “मैं हमज़ा अली जाफर हसन हुसैन और मेहदी*
*(अलैहसलाम)*
*(सही दारू सलाम अरबी हवाला :किताब 49 हदीस 4136 ज़िल्द 1 अंग्रेजी हवाला किताब :46 हदीस 3768)*