
मोतियों का सौदागर
हज़रत हसन बसरी अलैहिर्रहमः शुरू में मोतियों और जवाहरात के सौदागर थे। किस्म-किस्म के मोती और जवाहरात की आपकी तिजारत करते और बड़े-बड़े बादशाहों के पास जवाहरात तोहफे में जाकर पेश करते थे। एक दफा कुछ जवाहरात हरकुल बादशाहे रोम के पास लेकर गये। पहले वज़ीर से मिले और अपने आने का और बादशाह की ख़िदमत में तोहफा लाने का हल ब्यान किया। वज़ीर ने कहा कल तो बादशाह को एक निहायत ज़रूरी काम है इसलिये फुरसत न होगी। वह काम देखने के काबिल है। हज़रत हसन ने कहा कि मैं जरूर देखूंगा। वज़ीर ने हज़रत हसन को लेकर एक जगह मैदान में ठहराया। उस मैदान में एक खेमा ज़री का कायम था । इसके आस पास आला दर्जे के मख़मल का फर्श था। खेमे की तनाबें ज़री की थीं। इसकी चोबें चांदी की थीं, मेखें सोने की थीं, निहायत देखने के काबिल मज़र था। वज़ीर ने हज़रत हसन को खेमे के उख़ब में चिलमन के पीछे खड़ा ● किया कि जिस जगह से हज़रत हसन ने सारा तमाशा देख लिया। यह खेमा दरअसल शाह हरकुल के अजीज़ फरजंद की कब्र पर खड़ा था और आज उसकी सालाना बरसी का दिन था। बादशाह सालाना रस्मे तअज़ियत अदा करने यहां आया था। का
खड़े हज़रत हसन ने देखा कि पहले एक जमाअत मुक़द्दस ईसाई लोगों की खेमे के अंदर आयी। वह क़ब्र के पास होकर कुछ पढ़ने लगे और फिर रोते हुए निकलते चले गये। इसके बाद एक जमाअत तबीबों (हकीमों) की और बड़े-बड़े जीअक्ल (अक़्ल वाले) लोगों की आयी। ये लोग भी नंगे सिर कब्र के पास खड़े रोते रहे। थोड़ी देर के बाद निकल कर चले गये। उनके बाद फ़ौज के अफसरों की जमाअत नंगी तलवारें लेकर खेमे के अंदर आयी वह भी कब्र की सलामी उतारकर नाकाम वापस गयी। नौजवान लोगों के बाद एक झुंड नौजवान औरतों का आया जिनके सिर के बाद खुले थे उनके हाथों में सोने की थालियां थीं जिनमें मोती और जवाहरात भरे थे। उन औरतों ने कब्र का तवाफ किया और बहुत रोकर यह भी ख़मे से बाहर चली गयीं उन सबके बाद बादशाह खुद खेमे के अंदर आया और क़ब्र के पास खड़ा होकर कहने लगाः बेटा! तू मुझे बहुत प्यारा था मगर अफ़सोस कि तू मर गया। अगर मुझे यह मालूम हो जाये कि जिस ने तेरी जान ली है वह इन बड़े बड़े राहिबों और पादरियों का कहा मानकर तेरी जान वापस कर देगा तो यह बड़े बड़े ईसाई राहिब उस काम के लिये तेरे पास हाज़िर हैं। मगर मैं जानता हूं कि उनके कहने से कुछ न होगा। अगर मुझे यह मालूम हो से जाये कि अक्लमंद और तबीबों की तदबीर करने से तेरी जान खुदा तुझे बख्श देगा तो यह बहुत बड़ी जमाअत तबीबों और बड़े बड़े अक्लमंदों की तेरी कब्र के पास खड़ी है और तेरी रिहाई की तदबीरें करने को मौजूद हैं। मगर मैं जानता हूं कि तुझे ऐसे ज़बरदस्त ने मारा है कि उसके सामने किसी की तदबीर नहीं चलती। ऐ फरजंद ! अगर तुझे यह मालूम हो जाये कि जिसने तेरी जान निकाली है, वह किसी बड़ी फौज से डर कर तुझे छोड़ देगा तो यह कसीर फ़ौज और फ़ौज के अफसर तुझे कैद से छुड़ाने को तेरी क़ब्र के पास मौजूद हैं। लेकिन जिस ने तुझे कैद किया है वह ऐसा ज़बरदस्त खुदा है कि कोई फ़ौज उसके सामने कोई हस्ती नहीं रखती। ऐ फरजंद! अगर मुझे यह मालूम हो जाये कि जिसने तुझे मारा है वह हसीन और खूबसूरत औरतों का तालिब है। हसीन औरतें लेकर तुझे छोड़ देगा तो यह खूबसूरत औरतों की जमाअत हाज़िर है। मगर मैं जानता हूं कि न व हसीन औरतों का तालिब है, न माल व जवाहर का चाहने वाला । अब वह तुझे किसी तरह न छोड़ेगा। इसलिये अब मैं तुझसे फिर एक साल के लिये रुख़सत होता हूं। यह कहकर बादशाह खेमे से बाहर निकल आया । सब लोग क़ब्र के पास
से रुखसत हुए।
हज़रत हसन ने यह वाक़िया देखा तो दिल पर ऐसा असर पड़ा कि दुनिया से तबीयत यकलख़्त हट गयी और आपने आइंदा दुनिया के जवाहरात पीछे छोड़कर आख़िरत के जवाहरात खरीदने शुरू कर दियें। दुनिया के तमाम कारोबार से अलग होकर इस फिक्र में पड़ गये कि आख़िरत का जवाहरात इकट्ठा करें। बसरे में आकर कसम खाई कि अब इस दुनिया में कभी हसूंगा नहीं। फिर इबादत व मुजाहिदे में कुछ इस तरह मशगूल हो गये कि उस ज़माने में कोई वैसा न था। सत्तर बरस तक तादमे जीस्त (यानी मरते दम तक) बे-वुजू न रहे। (तज़किरतुल औलिया, सफा ७६-७७) सबक: अल्लाह तआल बड़ी ताकृत और कुदरत का मालिक है। इसके मुकाबले में बड़े बड़े दाना व तबीब और बड़ी बड़ी फौजें और बड़े बड़े लशकर कुछ भी हैसियत नहीं रखते। और उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते । यह