
(नबी ﷺ के बारे में “गुरु नानक जी” के सुनहरे विचार)
🌹प्यारे नबी ﷺ की शान “गुरु नानक जी” की नज़र में नबी ﷺ की अ़ज़मत और महानता का बयान हर इंसाफ पसंद शख्सियत ने किया है? उन्हीं में से एक नाम “गुरु नानक जी” का भी है, आईये इस पोस्ट में हम गुरु नानक जी के उन सुनहरे विचारो को देखते है जो आपने पैगम्बर मुहम्मद ﷺ साहब की शान और अज़मत में बयान किये।
👉गुरु नानक जी कहते हैं कि:-👇
सलाह़त मोहम्मदी मुख ही आखू नत! ख़ासा बंदा सजया सर मित्रां हूं मत! ❜
यानीः ह़ज़रत मोहम्मद की तारीफ़ और हमेशा करते चले जाओ, आप ﷺ अल्लाह तआला’ के ख़ास बंदे और तमाम नबीयों और रसूलों के सरदार हैं।
📕जन्म साखी विलायत वाली, पेज नम्बर 246)
📗जन्म साखी श्री गुरु नानक देव जी, प्रकाशन गुरु नानक यूनीवर्सिटी, अमृतसर, पेज नम्बर 61)
👉 गुरु नानक जी ने इस बारे में ये बात भी साफ़-साफ़ बयान किया है कि दुनिया की निजात (मुक्ति) और कामयाबी अल्लाह तआला’ ने हज़रत मोहम्मद ﷺ के झण्ड़े तले पनाह लेने से वाबस्ता कर दिया है? गोया कि वही लोग निजात पाऐंगे, जो हज़रत मोहम्मद ﷺ की फ़रमाबरदारी इख़्तियार करेंगे और हज़रत मोहम्मद ﷺ की ग़ुलामी में ज़िन्दगी बसर करने का वादा करेंगे।
👉चुनांचे गुरु नानक जी कहते हैं कि:-👇
सेई छूटे नानका हज़रत जहां पनाह! ❜
यानीः निजात उन लोगों के लिए ही मुक़र्रर है, जो हज़रत मोहम्मद ﷺ की पनाह में आऐंगे और उनकी ग़ुलामी में ज़िन्दगी बसर करेंगे।
📕जन्म साखी विलायत वाली, प्रकाषन 1884 ईस्वी, पेज 250)
👉गुरु नानक जी के इस बयान के पेशे नज़र गुरु अर्जून ने यह कहा है कि:-👇
अठे पहर भोंदा, फिरे खावन, संदड़े सूल! दोज़ख़ पौंदा, क्यों रहे, जां चित न हूए रसूल! ❜
यानी: जिन लोगों के दिलों में हज़रत मोहम्मद ﷺ की अ़क़ीदत और मोहब्बत ना होगी, वह इस दुनिया मे आठों पहर भटकते फिरेंगे और मरने के बाद उन को दोज़ख़ मिलेगी।
📕गुरु ग्रन्थ साहब, पेज नम्बर 320)
👉गुरु नानक जी ने इन बातों के पेशे नज़र ही दूसरे लोगों को ये नसीहत की है कि:-👇
मोहम्मद मन तूं, मन किताबां चार! मन ख़ुदा-ए-रसूल नूं, सच्चा ई दरबार! ❜
यानीः हज़रत मोहम्मद ﷺ पर ईमान लाओ और चारों आसमानी किताबों को मानो। अल्लाह और उस के रसूल पर ईमान लाकर ही इन्सान अपने अल्लाह के दरबार में कामयाब होगा।
📕जन्म साखी भाई बाला, पेज नम्बर 141)
👉एक और जगह पर नानक जी ने कहा कि:-👇
ले पैग़म्बरी आया, इस दुनिया माहे! नाऊं मोहम्मद मुस्तफ़ा, हो आबे परवा हे! ❜
यानीः जिन का नाम मोहम्मद है, वह इस दुनिया में पैग़म्बर बन कर तशरीफ़ लाए हैं और उन्हें किसी भी शैतानी ताक़त का डर या ख़ौफ़ नहीं है, वह बिल्कुल बे परवा हैं।
📕जन्म साखी विलायत वाली, पेज नम्बर 168)
👉एक और जगह नानक ने कहा कि:-👇
अव्वल नाऊं ख़ुदाए दा दर दरवान रसूल! शैख़ानियत रास करतां, दरगाह पुवीं कुबूल! ❜
यानीः किसी भी इन्सान को हज़रत मोहम्मद ﷺ की इजाज़त हासिल किए बग़ैर अल्लाह तआला’ के दरबार में रसाई हासिल नहीं हो सकती।
📕जन्म साखी विलायत वाली, पेज नम्बर 168)
👉एक और मक़ाम पर गुरु नानक जी ने कहा है कि:-👇
हुज्जत राह शैतान दा, कीता जिनहां कुबूल! सो दरगाह ढोई, ना लहन भरे, ना शफ़ाअ़त रसूल! ❜
यानी: जिन लोगों ने शैतानी रास्ता अपना रखा है और हुज्जत बाज़ी से काम लेते हैं, उन्हें अल्लाह के दरबार में रसाई हासिल ना हो सकेगी, ऐसे लोग हज़रत मोहम्मद ﷺ की शफ़ाअ़त से भी महरुम रहेंगे, शफ़ाअ़त उन लोगों के लिए है, जो शैतानी रास्ते छोड़कर नेक नियत से ज़िन्दगी बसर करेंगे।
📕जन्म साखी भाई वाला, पेज नम्बर 195)
👉एक सिक्ख विद्वान डॉ. त्रिलोचन सिंह लिखते हैं कि:-👇
हज़रत मोहम्मद नूं गुरु नानक जी रब दे महान पैग़म्बर मन्दे सुन। ❜
📕जिवन चरित्र गुरु नानक, पेज नम्बर 305)
👉अल ग़रज़: गुरु नानक जी हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ को अल्लाह तआला’ का ख़ास पैग़म्बर ख़ातमुल मुरसलीन (आख़री रसूल) और ख़ातमुल अंम्बिया (आख़री पैग़म्बर) तसलीम करते थे और तमाम नबीयों का सरदार समझते थे। गुरु नानक जी के नज़दीक दुनिया की निजात, हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ के झण्ड़े तले जमा होने से जुड़ी है।
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