
हुज़ूर की अली के मुहिब्ब के लिए दुआ और दुश्मन के लिए बद्दुआ
पहली हदीस
रावीयान ए हदीस, इस्हाक़ बिन इब्राहीम, अन्- नज़र बिन शुमैल, अब्दुल जलील बिन अतिय्यह, अब्दुल्लाह बिन बुरैदह ।
हज़रत बुरैदह रजिअल्लाहु अन्हो से रिवायत है कि मैं, हज़रत अली अलैहिस्सलाम के साथ तमाम लोगों से ज्यादा बुग्ज़ रखता था, हत्ता की मैंने, कुरैश के एक आदमी से दोस्ती की तो उसकी बुनियाद भी बुग्ज़ ए अली पर थी। उसने मेरी तरफ़ एक सवारी भेजी तो मैंने मुसाहिबत भी बुग्ज़ ए अली पर की। रावी बयान करता है कि हमें कुछ क़ैदी हाथ लगे तो हमने रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम की ख़िदमत में लिखा की आप हमारी तरफ़ कोई आदमी भेजें, जिसे हम खुम्स दे दें तो आप सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम को हमारी तरफ़ भेजा और कैदियों में एक बहुत अच्छी खिदमतगार लड़की थी। जब आपने खुम्स लगाया तो वो लड़की खुम्स में आ गई । आपने फिर खुम्स लगाया तो वो हज़रत मुहम्मद सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम के अहलेबैत अलैहिस्सलाम के हिस्से में आ गई और फिर खुम्स लगाया तो वो आल ए अली अलैहिस्सलाम के हिस्से में आ गई।
हमने पूछा कि, “ये क्या है?”, तो हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया, “तुम देखते नहीं, पहले ये कैदी खुम्स में आई, फिर अहलेबैत अलैहिस्सलाम के हिस्से में आई, फिर मेरे आल के हिस्से में आई।”, ये सुनकर हमारे लश्कर के अमीर ने रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम को एक ख़त लिखा, जिसमें मौला अली अलैहिस्सलाम की शिकायत थी और मेरे हाथ लेकर भेजा। रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम की ख़िदमत में पहुँचकर मैंने वो ख़त पढ़ना शुरू किया और अपने अमीर की बात की तस्दीक़ की कि हाँ वो सच्चा है, हाँ वो सच्चा है।
रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम ने मुझे दोनों हाथों से पकड़ा और पूछा, “ऐ बुरैदह! क्या तुम अली से बुग्ज़ रखते हो?”, मैंने कहा, “हाँ, मैं रखता हूँ।”, ये सुनकर रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम ने फरमाया, “अगर अली से बुग्ज़ हैं तो बुग्ज़ ना रखो और अगर अली से मुहब्बत करते हो तो और भी ज्यादा मुहब्बत करो (यानी मवद्दत करो), मैं अल्लाह रब उल इज्जत की कसम खाकर कहता हूँ, जिसके कब्जा ए कुदरत में मेरी जान है, खुम्स में से अली और आल ए अली का हिस्सा उस ख़िदमतगार लड़की से कहीं ज्यादा है। “
इसके बाद रावी कहते हैं कि मुझे इस वाक्ये के बाद, अल्लाह और रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही वसल्लम के अलावा कोई इतना महबूब नहीं है, जितने अली अलैहिस्सलाम हैं।

दूसरी हदीस
रावीयान ए हदीस, अल्-हुसैन बिन हुरैस (अल्- मरवाज़ी), अल्-फल बिन मूसा, अल्अ’मश, अबु इस्हाक
हज़रत सईद बिन वहाब रज़िअल्लाहु अन्हो कहते हैं कि हज़रत अली करम’ अल्लाहु वज्हुल करीम ने एक मैदान में फरमाया कि, “उस शख्स को अल्लाह तआला का वास्ता देकरख़साइस ए अली
पूछता हूँ, जिसने ग़दीर ए खुम पर रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम को ये फरमाते हुए सुना कि, अल्लाह तआला और उसका रसूल, मोमिनों का वली है और जिसका मैं वली हूँ उसका ये (मौला अली) वली है। जो इससे मुहब्बत रखता है, उससे मुहब्बत रख और इससे दुश्मनी रखता है, उससे दुश्मनी रख और जो इसकी नुसरत करता है उसकी नुसरत फरमा।”
रावी कहते हैं कि सईद ने कहा, मेरे पहलू से छह आदमी उठे। ज़ैद बिन यसी भी कहते हैं कि मेरे पास से छह आदमी उठे।
ठीक ऐसी ही एक रिवायत और मिलती है, जिसमें इस्राईल, अबु इस्हाक़, अम्र सो मुर्र की रिवायत से ऊपर वाली हदीस ही बयान की जाती है लेकिन आख़िर में एक बात और जुड़ी है कि, “जो अली से मुहब्बत करे, उससे मुहब्बत रखो और जो अली से बुग्ज़ ओ दुश्मनी रखे, उससे दुश्मनी रखो। “

तीसरी हदीस
रावीयान ए हदीस, अली बिन मुहम्मद बिन अली, ख़लफ़ बिन तमीम, इस्राईल
अबु इस्हाक़ ने अम्र सो मुर्र से बयान किया है, वो कहते हैं कि, मैं मैदान में, हज़रत अली अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ, जो मुहम्मद सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम के अस्हाब को अल्लाह तआला का वास्ता दे रहे थे कि आप लोगों में किस-किस ने ग़दीर ए ख़ुम के रोज़, रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम को ये फरमाते हुए सुना कि, “जिसका मैं मौला हूँ, अली भी उसके मौला हैं। ऐ अल्लाह! जो इससे मुहब्बत रखे, तू भी उससे मुहब्बत रख, जो इससे दुश्मनी रखे, तू भी उसे दुश्मन रख, जो इसे महबूब रखे तू भी उसे महबूब रख, जो इससे बुग्ज़ रखे, तू भी उससे बुग्ज़ रख और जो भी इसकी नुसरत करे, तू भी उसकी नुसरत फरमा, मोमिन और काफ़िर के दरमियान इम्तियाज़ पैदा कर दे।”

चौथी हदीस
रावीयान ए हदीस, अबु कुर’एब (कुरैब), मुहम्मद इब्नुल आला अल्-कूफी, अबु मुआविया, अल्-अ’मश, अदिय बिन साबित।
हज़रत ज़िर्र बिन हुबेश(हुबैश), हज़रत अली करम अल्लाहु वज्हुल करीम से बयान करते हैं कि आपने फरमाया, “उस खुदा की कसम, जिसने जन्नत को पैदा किया और रूह को ख़ल्क किया, की रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम ने मेरे लिए ताकीद फरमाई है कि मुझसे सिर्फ़ वो ही मुहब्बत करेगा जो मोमिन है और वो ही बुग्ज़ रखेगा जो मुनाफिक़ है।
वासिल बिन अब्दुल आला अल्-कूफी, वकी, अल्-अ मश, अदिय बिन साबित, हज़रत जिर बिन हुबेश, हज़रत अली अलैहिस्सलाम से रिवायत करते हैं कि, आपने फरमाया कि मुझे, हुज़ूर रिसालत म’आब सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम ने वसीयत फरमाई है कि, “मोमिन मुझसे मुहब्बत रखेगा और मुनाफ़िक़ मुझसे बुग्ज़ रखेगा।”
युसुफ़ बिन ईसा, अल्-फल बिन मूसा, अल्-अ’ मश, अदिय, ज़िर्र से बयान करते हैं कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही सल्लम ने मेरे लिए ताकीद फरमाई है कि तुझसे मोमिन मुहब्बत रखेगा और मुनाफिक बुग्ज़ रखेगा।