
सदक़ा-ए-फित्र*
*हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रादिअल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते है कि नबी-ए-अकरम सल्लाहो अलैह व सल्लम ने ईद की नमाज से पहले या ईद की रवानगी से पहले सदक़ा ए फित्र अदा करने को फ़र्ज़ किया है जो मुसलमान के हर बड़े और हर छोटे हर आज़ाद और हर गुलाम और हर मर्द और हर औरत पर देना फ़र्ज़ है अगर इस दौरान घर मे कोई बच्चा पैदा हो जाये तो उस पर भी सदक़ा ए फित्र देना फ़र्ज़ होगा*
*प्यारे आंका रसूल अल्लाह सल्लाहो अलैह व सल्लम फरमाते है कि हर फ़र्द पर 1 सा जौ (गन्धम- गेंहू भी दे सकते है) और 1 सा खजूर देना फ़र्ज़ है (जो लोग खजूर नही दे सकते वो लोग खजूर की जगह रकम या जौ ,गन्धम भी दे सकते है*
*( ये हदीस सही है बुखारी और मुस्लिम में भी है और मिश्कात शरीफ पेज 1815)*
*जो शख्स ईद की नमाज के बाद फित्र देगा वो सदक़ा-ए-फित्र नही होगा फीर वो आम सदक़ा होगा*
*(सुनने अबी दाऊद पेज 1609 int)*
*इब्न उमर रादिअल्लाहु तआला अन्हु फरमाते है कि हज़रत उमर रादिअल्लाहु तआला अन्हु चांद रात से 2या3 दिन पहले ही सदक़ा ए फित्र बांट देते थे*
*(सही बुखारी पेज1511 )*
*सदक़ा-ए-फित्र हर साहिबे हैसियत मुसलान पर फ़र्ज़ है आपका सबसे गरीब रिश्तेदार फीर पड़ोसी सबसे ज्यादा मुस्ताहिक़ है उसके बाद आप किसी भी गरीब को दे सकते है कई लोग मस्ज़िद में देते है उसकी ग्यारंटी आप खुद ले के सदके का सही इस्तेमाल होगा या नही !जौ या गेंहू और खजूर आप अपने जो लिए इस्तेमाल कर रहे है वही आप सदक़ा-ए-फित्र में दे वर्ना सब किया धरा बेकार जाएगा*
सा – अरबी बर्तन है
नोट:- 1सा में 2700 ग्राम होता है जिसे मोटे तौर पर आप 3 किलो मान सकते है
*अल्लाहु आलम*