
हदीस
रावीयान ए हदीस, अम्र बिन अली, यहया बिन सईद, अल्-अ मश, अम्र बिन मुर्राह, अबुल बख़्तरी।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि मुझे, रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम ने यमन की तरफ़ भेजा और मैं उस वक्त जवान था, चुनाँचे मैंने आपकी खिदमत में अर्ज़ किया, “या रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम! आप मुझे, एक कौम की तरफ़ फैसला करने के लिए भेज रहे हैं और मैं ना-तजुर्बेकार जवान हूँ।
” रसूलुल्लाह ने इरशाद फरमाया, “अल्लाह तबारक व त’आला, तुम्हारे दिल की रहनुमाई करेगा और तुम्हारी जुबान को सकाहत अता फरमाएगा।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम फरमाते हैं की मुझे, दो आदमियों के दरमियान फैसला करते वक्त कभी शक नहीं गुज़रा।
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