हज़रत अली की नमाज़ का बयान

पहली हदीस

शु’बह(शोबा/ रावीयान ए हदीस, मुहम्मद बिन अल्-मुसन्ना, अब्दुर्-रहमान इब्न ए मेहदी, शु’बा), सलामा बिन कुहैल कहते हैं कि मैंने हब्बा अल्-उरानी से सुना, वो कहते थे की मैंने, हज़रत अली अलैहिस्सलाम को फरमाते सुना कि, “मैं रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही वसल्लम के साथ नमाज़ पढ़ने वाला पहला शख्स हूँ।”

दूसरी हदीस

रावीयान ए हदीस, मुहम्मद बिन अल-मुसन्ना, अब्दुर्-रहमान, शुबह, अम्र इब्न मुर्राह, अबी हम्जा। हज़रत जैद बिन अरक़म रजिअल्लाहु अन्हो फरमाते हैं कि. हज़रत अली अलैहिस्सलाम, नबी ए करीम सल्लललाहु अलैहे व आलिही वसल्लम के साथ नमाज़ पढ़ने वाले पहले शख़्स हैं.

तीसरी हदीस

रावीयान ए हदीस, मुहम्मद बिन उबैद बिन मुहम्मद कूफी, सईद बिन खुसैम, असद बिन अब्दुल्लाह, अबी यहया बिन अफीफ़।

अपने दादा अफीफ़ से रिवायत करते हैं, मैं ज़माना ए जाहिलियत में एक दफा अपने घरवालों के लिए कपड़े और इत्र खरीदने के लिए मक्का आया। मैं अब्बास बिन अब्दुल मुतालिब, जो एक ताजिर आदमी थे, उनके पास पहुँचा। मैं उनके पास ऐसी जगह पर बैठा हुआ था, जहाँ से मुझे काबा नज़र आता था, आसमान में सूरज के गिर्द हाला पड़ा हुआ था, पस वो बुलंद हुआ और चला गया, क्या देखता हूँ मैं, अचानक एक नौजवान आया और उसने आसमान की तरफ़ देखा फिर काबे की तरफ़ मुँह कर के खड़ा हो गया।

फिर थोड़ी देर ही ठहरा था कि एक लड़का आया और उस नौजवान के दाहिनी तरफ़ यानी सीधे हाथ की तरफ़ खड़ा हो गया फिर थोड़ी देर बाद एक औरत आई और इन दोनों के पीछे खड़ी हो गई। नौजवान ने रुकू किया तो इस लड़के और औरत ने भी रुकू किया, नौजवान ने रुकू से सर उठाया तो लड़के और औरत ने भी अपना-अपना सर उठाया, नौजवान ने सजदा किया तो लड़के और औरत ने भी सजदा किया। मैंने कहा ऐ अब्बास ! बहुत बड़ा वाक्या हुआ है।

अब्बास ने कहा बहुत बड़ा वाक्या ! क्या आप जानते हैं के ये नौजवान कौन है? मैंने जवाब दिया नहीं।

कहने लगे ये मुहम्मद मुस्तफा सल्लललाहु अलैहे व आलिही वसल्लम बिन अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुतालिब है, जो मेरा भतीजा है।
खसाइस ए अली

क्या आप जानते हैं के ये लड़का कौन है? ये अली अलैहिस्सलाम है, जो मेरा भतीजा है।

क्या आप जानते हैं की ये औरत कौन है? ये खदीजा बिन्त ए खवा लिद हैं, जो इस नौजवान की बीवी है।

मेरे इस भतीजे ने मुझे बताया है के इस का रब ज़मीन व आसमान का रब है और इस दीन पर वो कार’बंद है और उसके रब ने उसे इसका हुक्म दिया है और खुदा की कसम तमाम रू ए जमीन पर इन तीनों के सिवा कोई इस दीन का पेरोकार नहीं।

चौथी हदीस

रावीयान ए हदीस, अहमद बिन सुलैमान अर्-रहवी, उबैदिल्लाहबिन मूसा, अल-अला बिन सा लिह, अल-मिन्हाल बिन अम्र।

हज़रत अब्बाद बिन अब्दुल्लाह कहते हैं कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि, “मैं अल्लाह का बंदा और रसूलुल्लाह मुहम्मद सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम का भाई हूँ और मैं सिद्दीक़ ए अकबर हूँ और मेरे बाद कोई इसका (सिद्दीक़ ए अकबर होने का दावा नहीं करेगा सिवाय झूठे शख्स के। मैंने लोगों से सात साल पहले नमाज़ अदा की है।”

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