
अज़ीज़े मिस्र
यूसुफ अलैहिस्सलाम जब मिस्र के बाज़ार में लाये गये उस ज़माने में मिस्र का बादशाह नरवान इब्ने वलीद अमलीकी था। उसने अपनी अनाने सलतनत की बागडोर कतफीर मिस्री के इक्तिदार में दे रखी थी। तमाम ख़ज़ाने उसी के तहत और इख्लेयार में थे। उसको अज़ीज़े मिस्र कहते थे। वह बादशाह का वज़ीरे आज़म था । जब यूसुफ अलैहिस्सलाम मिस्र के बाज़ार में बेचने के लिए लाये गये तो हर शख्स के दिल में आपकी तलब पैदा हुई। खरीदारों ने कीमत बढ़ाना शुरू की। यहां तक कि आपके वज़न के बराबर सोना और इतनी ही चांदी, इतना ही मुश्क और इतना ही हरीर कीमत मुकर्रर हुई। आपका वज़न चार सौ रतल था। उम्र शरीफ उस वक़्त तेरह साल की थी। अजीजे मिस्र ने इस कीमत पर आपको खरीद लिया। अपने घर ले आया। दूसरे खरीदार उसके मुकाबले में खामोश हो गए।
(खज़ाइनुल इरफ़ान सफा ३३७)
सबक : खुदाए तआला के मुकर्रबीन और मकबूल बंदों के बड़ेबड़े बादशाह और वजीर भी तालिब व मोहताज होते हैं। फिर जिसकी परवाह उसकी बीवी भी न करे तो वह उन अल्लाह वालों की मिस्ल कैसे हो सकता है?