
कुंन्डे की हकीकत‼️
मक़ाम ए वुस अत ए कुबरा❤️
22 रज़ब की हकीकत कुछ इस तरह है..👇
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22 रज़ब उल मुरज्जब सैय्यदना इमाम ज़ाफर सादिक़ अलैहिस्सलाम की न्याज।
*हिजरी सन 122 रज़ब की 22तारीख की रात यानी 21का* दिन गुजर कर22की रात ब वक़्त नमाज़े तहज्जुद *अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने* सैय्यदना इमाम ज़ाफर सादिक़ अलैहिस्सलाम को *मक़ाम ए वुस अत ए कुबराअता फरमाया*
:-ये ज़हन में रखियेगा की मक़ाम ए वुस अत ए कुबरा सैय्यदना इमाम ज़ाफर सादिक अलैहिस्सलाम को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने अता फ़रमाइ -:
22 रजब को अज़ीम नेमत मक़ाम ए वूस अत ए *हासिल होने के बाद सैय्यदना इमाम ज़ाफर सादिक़* अलैहिस्सलाम ने सुबह के वक़्त अल्लाह रब्बुल इज्ज्त की जानिब *ब’तौरे शुक्र अदा करने के लिए नियाज़* बनवाई जो दूध और चावल मिलाकर बनाइ गई जिसे हम खीर कहते हैं।
सैय्यदना इमाम ज़ाफर ऐ सादिक़ अलैहिस्सलाम ख़ानदाने रसूल सलल्लाहु अलैहिवसल्लम के चश्मों चिराग है,
आप के घर में टुटी चटाई ओर मिट्टी के बरतन ही थे इसी पर आप शाकिर ओ साबिर थे,
आप मिट्टी के पियाले में नियाज रखकर अपने दोस्तों ओ अहबाब को बुलाकर फरमाया के आज रात अल्लाह पाक ने मुझे मक़ामे गौसियत ऐ कुबरा अता फरमाए इस का शुक्र अदा करते हुए ये न्याज आप लोगों को बतौर ऐ तबर्रूक पेस करता हूं,
आप के शहजादे *सैय्यदना इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम* ओर दीगर मुशाहेबिन ने दरयाफ्त किया के इस न्याज में हमारे लिए फायदा है आप ने फरमाया के रब्बे काबा की कसम अल्लाह ने जो नेअमत मुझे अता फरमाए जिस का मैं शुक्र अदा करता हूं न्याज की शक्ल में *इसी तरह।इसी तारीख में जो भी शुक्र अदा करेगा* और हमारे वसीले से जो दुआ मांगेगा तो अल्लाह रब्बुल इज्ज़त उसकी मुराद ज़रूर पूरी फरमाएगा ओर दुआ ज़रूर क़ुबूल होगी।
क्योंकि *अल्लाह रब्बुल इज्ज़त अपने शुक्र गुजार बंदों को मायूस नहीं फरमाता।* …..
1:मिन्हाजूस्सालेहिंन/मुसन्निफ़; सैय्यदना इमाम मोहिय्युद्दीन इब्ने अबुबकर बग़दाद✍️✍️
2: कशफुल असरार :सैय्यदना इमाम अब्दुलाह बिन अली अशफहानि ✍️✍️
3: मदाम ए असरार अहलेबैत: सैय्यदना इमाम मुहम्मद बिन इस्माइल मुत्तक़ी मक्की ✍️✍️
4: मख’जन ऐ अनवारे विलायत★सैय्यदना इमाम बुरहानुद्दीन
अश्क़’लानी✍️✍️