
*🔮इमाम जाफर सादिक रजि अल्लाह अन्हु🔮*
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*🟢महान वैज्ञानिक🟢*
*🔴इमाम जाफर सादिक रजि अल्लाह अन्हु ने 1400 साल पहले ही बता दिया था कि धरती चौकोर नहीं बल्कि गोल है, और अपनी धुरी पर घूमती है।*
*🔵जिनकी याद में रजब माह में कुंडों की नज़र नियाज़ अपने घरों में दिलाते है, उनमें से बहुत लोग नहीं जानते कि वह दुनिया के पहले ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने 1400 साल पहले ही ब्रह्माण्ड के बारे में ऐसी बातें बताई जो बहुत बाद में अन्य वैज्ञानिकों ने बहुत खोज करके सही सिद्ध कर दी, उन्होंने लगभग 1400 साल पहले ही बता दिया था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है और चौकोर नहीं गोल है। जिसे बाद में गैलेलीयो ने सही सिद्ध किया।*
*🔴ज़ाफ़र अल सादिक़ रजि अल्लाह अन्हु (जन्म 20 अप्रैल 700) हज़रत अली रजि अल्लाह अन्हु की चौथी पीढी में थे। उनके पिता इमाम मोहम्मद बाक़र रजि अल्लाह अन्हु एक वैज्ञानिक थे, और मदीना शरीफ में पढ़ाया करते थे। आपके दादा हज़रत जैनुल आबदीन रजि अल्लाह अन्हु थे।*
*🏟️🔮परिचय🔮🏟️*
*🟣इमाम जाफ़र सादिक़ रजि अल्लाह अन्हु का मुख़्तसर तआर्रूफ़*…..
*🌺आप एक वैज्ञानिक, चिन्तक और दार्शनिक थे*,
*🌺आप आधुनिक केमिस्ट्री के पिता जाबिर इब्ने हय्यान (गेबर) के उस्ताद थे*
*🌺आप अरेबिक विज्ञान के स्वर्ण युग के आरंभकर्ता थे*
*🌺आप ने विज्ञान की बहुत सी शाखाओं की बुनियाद रखी*.
*🌺20 अप्रैल 700 में अरेबिक भूमि पर जन्मे उस वैज्ञानिक का नाम था इमाम जाफर अल सादिक रजि अल्लाह अन्हु*।
*🌺इस्लाम की एक शाखा इनके नाम पर जाफरी शाखा कहलाती है जो इन्हें इमाम मानती है*।
*🌺जबकि सूफी शाखा के अनुसार ये वली हैं. इस्लाम की अन्य शाखाएँ भी इनकी अहमियत से इनकार नहीं करतीं*.
*🌺इमाम जाफर अल सादिक रजि अल्लाह अन्हु हज़रत अली रजि अल्लाह अन्हु की चौथी पीढी में थे. आपके पिता इमाम मुहम्मद बाक़र रजि अल्लाह अन्हु स्वयं एक वैज्ञानिक थे और मदीने में अपना कॉलेज चलाते हुए सैंकडों शिष्यों को ज्ञान अर्पण करते थे*.
*🌺अपने पिता के बाद इमाम जाफर अल सादिक रजि अल्लाह अन्हु ने यह कार्य संभाला और अपने शिष्यों को कुछ ऐसी बातें बताईं जो इससे पहले अन्य किसी ने नहीं बताई थीं*.
*🌺उन्होंने अरस्तू की चार मूल तत्वों की थ्योरी से इनकार किया और कहा कि मुझे आश्चर्य है कि अरस्तू ने कहा कि विश्व में केवल चार तत्व हैं, मिटटी, पानी, आग और हवा. मिटटी स्वयं तत्व नहीं है बल्कि इसमें बहुत सारे तत्व हैं*.
*🔮इसी तरह जाफर अल सादिक रजि अल्लाह अन्हु ने पानी, आग और हवा को भी तत्व नहीं माना. हवा को भी तत्वों का मिश्रण माना और बताया कि इनमें से हर तत्व सांस के लिए ज़रूरी है. मेडिकल साइंस में इमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु ने बताया कि मिटटी में पाए जाने वाले सभी तत्व मानव शरीर में भी होते हैं. इनमें चार तत्व अधिक मात्रा में, आठ कम मात्रा में और आठ अन्य सूक्ष्म मात्रा में होते हैं. आधुनिक मेडिकल साइंस इसकी पुष्टि करती है*.
*🔮आपने एक शिष्य को बताया, “जो पत्थर तुम सामने गतिहीन देख रहे हो, उसके अन्दर बहुत तेज़ गतियाँ हो रही हैं.” उसके बाद कहा, “यह पत्थर बहुत पहले द्रव अवस्था में था. आज भी अगर इस पत्थर को बहुत अधिक गर्म किया जाए तो यह द्रव अवस्था में आ जायेगा*.”
*🔮ऑप्टिक्स (Optics) का बुनियादी सिद्धांत ‘प्रकाश जब किसी वस्तु से परिवर्तित होकर आँख तक पहुँचता है तो वह वस्तु दिखाई देती है. इमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु का ही बताया हुआ है*.
*🔮एक बार आपने अपने लेक्चर में बताया कि शक्तिशाली प्रकाश भारी वस्तुओं को भी हिला सकता है. लेजर किरणों के आविष्कार के बाद इस कथन की पुष्टि हुई*.
*🔮आपका एक अन्य चमत्कारिक सिद्धांत यह है की हर पदार्थ का एक विपरीत पदार्थ भी ब्रह्माण्ड में मौजूद है. यह आज के Matter-Antimatter थ्योरी की झलक थी. एक थ्योरी इमाम ने बताई कि पृथ्वी अपने अक्ष के परितः चक्कर लगाती है. जिसकी पुष्टि बीसवीं शताब्दी में हो पाई. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ब्रह्माण्ड में कुछ भी स्थिर नहीं है. सब कुछ गतिमान है.*
*🔮ब्रह्माण्ड के बारे में एक रोचक थ्योरी उन्होंने बताई कि ब्रह्माण्ड हमेशा एक जैसी अवस्था में नहीं होता. एक समयांतराल में यह फैलता है और दूसरे समयांतराल में यह सिकुड़ता है*।.
*🔮कुछ सन्दर्भों के अनुसार इमाम जाफर सादिक रजि अल्लाह अन्हु के शिष्यों की संख्या हजारों थी. दूर दूर से लोग इनके पास ज्ञान हासिल करने के लिए आते थे*.
*🔴आपके प्रमुख शिष्यों में Father of Chemistry जाबिर इब्ने हय्यान, इमाम अबू हनीफ़ा,रहमत उल्लाह अलैहि जिनके नाम पर इस्लाम की हनफी शाखा है, तथा मालिक इब्न अनस रहमत उल्लाह अलैहि (Malik Ibn Anas), मालिकी शाखा के प्रवर्तक, प्रमुख हैं*.
*🔴हज़रत इमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु आईम्मा ए अहलेबेत के 12 इमामों मे से छठे इमाम हैं आप की विलादत मदीना मुनव्वरा मे 17 रब्बी उल् अव्वल 83 हिजरी मुताबिक 20 अप्रेल 702 ईसवी बरोज जुमेरात हुई आप के वालिद हज़रत इमाम मोहम्मद बाकर रजि अल्लाह अन्हु और वालदा फरदा बिन्ते कासिम रजि• बिन्ते इब्ने मोहम्मद रजि• बिन हज़रत अबूबक्र सिद्दिक रज़ि अल्लाह अन्हु थीं*!
*🔮आप का इल्म कमालत, माहारत, शर्क से गर्ब तक मशहूर है सब का इत्तेफाक है कि आप के इल्म से तमाम उलेमा तक कासिर थे*।
*🔮सुन्नियों के सब से बड़े इमाम फिकह हज़रत इमाम अबू हनीफा रहमत उल्लाह अलैहि नोमानी रजि• आप के शागिर्द थे और अकीदत भी रखते थे*!
*🔮हज़रत इमाम अबू हनीफा रहमत उल्लाह अलैहि ब गरज हूसूल फैज़ ज़ाहिरी और बातिनी दो साल इमाम ज़ाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु. की खिदमत मे रहे*!
*🔮आपका सुलूक बातिनी इमाम की खिदमत मे ही मुकम्मल हुआ और जब रुख्सत हुए तो हमेशा फरमाते थे अगर दो साल खिदमत के ना मिलते तो नोमान हलाक हो जाता*!
*🔮नक्शबंदी सिलसिले के बड़े बुजूर्ग सुलतान उल अरीफींन हज़रत बायज़िद बिस्तामी रज़ि• अरसे तक सिक्का (पानी भरने वाले ) दरगाह ए ईमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु. रहे हज़रत बायज़िद बिस्तामी रज़ि• का काम और मरतबा आप ही की निगाह ए करम से तकमील को पहूँचा*!
*🔮वह कारमात ओ तसर्रूफात जो आपके आबा ओ अजदाद के वक़्त से परदे मे थे आप से बिला तकल्लुफ़ ज़ाहिर हुए वह अजीब तरीन इल्म जो वारिसतन सरकार ए दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सिना ब सिना चले आ रहे थे आप ने ज़ाहीर किये* !
*🔮”आप फरमाते थे पूछ लो जो कुछ पूछना है हमारे बाद कोई ऐसी बातें बताने वाला नही होगा”*❓
*🔮आप से बहुत सी करामात ज़ाहिर हुईं*!
*🔮एक दिन हज़रत इमाम जाफिर ए सादिक रजि अल्लाह अन्हु एक गली में से गुजर रहे थे देखा एक औरत अपने बाल बच्चों के साथ बेठी रो रही है आप ने उस से दरयाफत किया क्यूँ रो रही हो* ❓
*🔮उसने कहा मेरे पास एक गाय थी जिसके दूध पर मेरा और मेरे बच्चों का गुजारा था अब वोह गाय मर गयी हेरान हूँ क्या करूँ*❓
*🔮इमाम रजि अल्लाह अन्हु ने दुआ की और अपना पांव गाय पर मारा गायी खड़ी हुई और चलने लगी* !
*📝मुख्तसर ज़िक्र किताब “बारह ईमामेंन ए मासुमीन” से लिया गया है*।
*🔵हज़रत इमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु इस्लाम के महान धर्माधिकारी हुए हैं. आप पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की छठी पीढ़ी में थे और उमय्यद वंश के अंतिम व अब्बासी दौर के प्रारम्भ में हुए हैं*.
*🔵आपके ज़माने में इस्लाम की खुशबू पूरी दुनिया में फैल चुकी थी। और यह खुशबू थी इस्लाम के ज्ञान और सच्चाई की। ज्ञान की तलाश में भटकते दूर दराज़ के लोग इस्लामी विद्वानों से आकर मिलते थे और फायदा हासिल करके वापस जाते थे*।
*🔴अब मैं आपको ऐसा ही वाक़िया बताने जा रहा हूं जब एक हिन्दुस्तानी चिकित्सक हज़रत इमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु से आकर मिला। वह इमाम को अपना ज्ञान देना चाहता था, लेकिन हुआ इसका उल्टा और वह खुद इमाम से ज्ञान हासिल करके वापस हुआ*।
*🔴यह वाक़िया दर्ज है शेख सुद्दूक (अ.र.) की लिखी ग्यारह सौ साल पुरानी किताब अललश-शरअ में निम्न शीर्षक के अंतर्गत “(भाग 1 बाब 87) वह सबब जिस की बिना पर इंसान में आज़ा व जवारेह पैदा हुए” । उपरोक्त किताब उर्दू में आसानी से उपलब्ध् है और कोई भी इसे हासिल करके तस्दीक कर सकता है। किताब में लिखा पूरा वाकिया मैं हूबहू उतार रहा हूं*।
*🟣एक दिन हज़रत इमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु दरबार में तशरीफ लाये। उस वक्त खलीफा मंसूर के पास एक मर्द हिन्दी (हिन्दुस्तानी) चिकित्सा की किताबें पढ़कर मंसूर को सुना रहा था*।
*🟣 इमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु खामोश बैठे सुनते रहे। जब वह मर्द ए हिन्दी अपनी बात सुनाकर फारिग हुआ तो इमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु से बोला जो कुछ मेरे पास है वह आपको चाहिए*❓
*🟣तो इमाम ने फरमाया नहीं, इसलिये कि तुम्हारे पास जो कुछ है उससे बेहतर हमारे पास खुद मौजूद है*।
*🟣उसने कहा आपके पास क्या है*❓
*🔵इमाम ने फरमाया मैं सर्दी का इलाज गर्मी से करता हूं और गर्मी का सर्दी से। तरी का खुशकी से इलाज करता हूं और खुशकी का तरी से और तमाम फैसले खुदा के हवाले कर देता हूं। रसूल अल्लाह ससल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जो कुछ फरमाया है उसपर अमल करता हूं। चुनान्चे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये फरमाया कि वाजय रहे कि मेदा (पेट) बीमारियों का घर है और बुखार खुद एक दवा है और मैं बदन को उस तरफ पलटाता हूं जिस का वह आदी है*।
*🌸मर्द ए हिन्दी ने कहा कि यही तो तिब (चिकित्सा) है इस के अलावा और क्या है। इमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु ने फरमाया क्या तुम्हारा ये ख्याल है कि मैंने किताबें पढ़कर ये सबक हासिल किया है*❓
*🌸 उस ने कहा जी हाँ*।
*🔮आपने फरमाया नहीं, खुदा की कसम मैंने जो कुछ लिया है सिर्फ अल्लाह से लिया है। अच्छा बताओ मैं इल्म तिब ज्यादा जानता हूं या तुम*❓
*🌸 मर्द ए हिन्दी ने कहा नहीं आप से ज्यादा मैं जानता हूं।*
*🔮 इमाम जाफिर सादिक रजि अल्लाह अन्हु ने फरमाया अच्छा ये दावा है तो मैं तुम से कुछ सवाल करता हूं*❓
*🔮ऐ हिन्दी ये बताओ कि*…❓
*🔮सर में हड्डियों के जोड़ क्यों है*❓
*🔮उसने कहा मैं नहीं जानता।*
*🌸आपने फरमाया और सर के ऊपर बाल क्यों बनाये गये हैं*❓
*🔮उस ने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸इमाम ने फरमाया और पेशानी (माथे) को बालों से खाली क्यों रखा गया है*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸इमाम ने फरमाया और पेशानी पर ये खुतूत और लकीरें क्यों हैं*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸इमाम ने फरमाया दोनों भवों को दोनों आँखों के ऊपर क्यों बनाया गया*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸 फरमाया बताओ आँखें बादाम की तरह क्यों बनाई गयीं*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸इमाम ने फरमाया ये नाक दोनों आँखों के दरमियान क्यों बनाई गयी*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸फरमाया नाक के सुराख नीचे क्यों हैं*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸इमाम ने फरमाया होंठ और मूंछें मुंह के ऊपर क्यों बनाई गयीं*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम।*
*🌸फरमाया बताओ सामने के दाँत तेज़ क्यों हैं*❓
*🌺दाढ़ के दाँत चौड़े और साइड के लम्बे क्यों हैं*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸इमाम ने फरमाया मर्दों के दाढ़ी क्यों निकलती है*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸फरमाया बताओ नाखूनों और बालों में जान क्यों नहीं होती*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸इमाम ने फरमाया बताओ इंसान का दिन सुनोबरी शक्ल में क्यों बनाया गया*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸फरमाया बताओ फेफड़ों को दो टुकड़ों में क्यों बनाया गया*❓
*🌺और उसकी हरकत अपनी जगह पर क्यों है*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸इमाम ने फरमाया बताओ जिगर उभरा हुआ कुबड़े की शक्ल में क्यों है*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸फरमाया बताओ गुरदा लोबिया की दाने की शक्ल में क्यों है*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🌸इमाम ने फरमाया बताओ घुटने पीछे की तरफ क्यों मुड़ते हैं*❓
*🔮उसने कहा मुझे नहीं मालूम*।
*🔴इमाम जाफिर सादिक अलैहिस्सलाम ने फरमाया तुझे नहीं मालूम ये दुरुस्त है लेकिन मुझे मालूम है*।
*🔮अब मर्द हिन्दी ने कहा आप बताईए*❓
*🌸इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि*….
*🔊सर में हड्डियों के जोड़ इसलिए हैं कि ये अन्दर से खोखला है अगर ये बिला जोड़ और बिला फस्ल हों तो बहुत जल्द सर में दर्द होने लगेगा। जोड़ व फस्ल की वजह से सरदर्द दूर रहता है*।
*🔊 सर पर बालों की पैदाइश इसलिए है ताकि उसकी जड़ों के जरिये तेल वगैरा दिमाग तक पहुंचे और उस के किनारों से नुकसानदायक बुखारात निकलते रहें और सर गर्मी व सरदी के असर को दूर रखे*।
*🔊पेशानी (माथे) को बालों से खाली इसलिए रखा गया कि वहाँ से आँखों की तरफ रोशनी की रेजिश होती है*!
*🔊और पेशानी पर खुतूत (लकीरें) इसलिए हैं कि सर से जो पसीना बह कर आँखों की तरफ आये वह इस पर रुका रहे जिस तरह ज़मीन पर नहरें और दरिया जो पानी को फैलने से बचाते हैं*।
*🔊और आँखों पर दोनों भवें इसलिए पैदा की गयीं ताकि आँखों तक ज़रूरत से ज्यादा रोशनी न पहुंचे*।
*🔊ऐ हिन्दी क्या तुम नहीं देखते कि रोशनी तेज़ होती है तो लोग अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं ताकि हद से ज्यादा रोशनी आँखों तक न पहुंचे*।
*🔊 इन दोनों आँखों के दरमियान नाक अल्लाह ने इसलिए रख दी ताकि दोनों के बीच रोशनी बराबर से तक़सीम (वितरित) हो जाये*।
*🔊आँखों को बादाम की शक्ल में इसलिए बनाया ताकि उसमें सुरमे की सलाई दवा के साथ मुनासिब तौर पर चल सके और आँखों का मर्ज दूर हो सके*।
*🔊नाक के सुराख इसलिए नीचे रखे ताकि दिमाग से जो खराब माद्दा निकले वह नीचे गिर जाये और नाक से खुशबू ऊपर जाये। अगर ये सुराख ऊपर होते तो न दिमाग का फासिद माद्दा नीचे गिरता और न किसी शय की खुशबू वगैरा मिलती*।
*🔊और मूंछें व होंठ मुंह के ऊपर इसलिए रखे गये ताकि वह दिमाग से बहते हुए फासिद माद्दे को रोके और मुंह तक न पहुंचे ताकि इंसान के खाने पीने की चीज़ों को गंदा न करे*।
*🔊और मरदों के चेहरे पर दाढ़ी इसलिए ताकि एक नज़र में औरत मर्द की पहचान हो सके। और पता चल जाये कि आँखों के सामने मर्द है या औरत*।
*🔊सामने के दाँतों को तेज़ इसलिए बनाया कि इससे चीज़ों को काटते हैं*।
*🔊 और दाढ़ के दाँत चौकोर इसलिए कि उससे गिज़ा को पीसना है*।
*🔊और किनारे के दाँतों को लम्बा इसलिए रखा ताकि दाढें और सामने के दाँत मज़बूती से जमे रहें। जिस तरह किसी इमारत के सुतून (पिलर) होते हैं*।
*🔊हथेलियों को बालों से अल्लाह ने इसलिए खाली रखा कि इंसान इसी से छूता और मस करता है। अगर इनमें बाल हों तो इंसान को पता न चले कि क्या चीज़ छू रहा है*।
*🔊और बाल व नाखून को जिंदगी से इसलिए खाली रखा कि उनका लम्बा होना गन्दगी का सबब है। उनका तराशना अच्छा है। अगर दोनों में जान होती तो इंसान को उन्हें काटने में तकलीफ होती*।
*🔊और दिल सुनोबर के फल की तरह इसलिए है कि वह सरंगूं रहे और उस का सर पतला रहे, इसलिए कि वह फेफड़ों में दाखिल होकर उससे ठंडक हासिल करे। ताकि उसकी गरमी से दिमाग भुन न जाये*।
*🔊 फेफड़ों को दो टुकड़ों में इसलिए बनाया ताकि उन दोनों के भिंचने और दबाव में वह अन्दर रहे और उन की हरकत से राहत हासिल करे*।
*🔊और जिगर को कुबड़े की शक्ल इसलिए दी ताकि वह मेदे पर वज़न डाले और पूरा उसपर गिर जाये और निचोड़ दे ताकि वह बुखारात वगैरा जो उसमें हैं निकल जायें*।
*🔊और गुरदे को लोबिया के दानों की शक्ल इसलिए दी क्योंकि मनी (वीर्य) का अनज़ाल इसी पर बूंद बूंद होता है। अगर ये चौकोर या गोल होता तो पहला कतरा दूसरे को रोक लेता और उस के निकलने से किसी जानदार को लज्ज़त न महसूस होती। क्योंकि मनी रीढ़ की गिरहों से गुर्दे पर गिरती है जो कपड़े की तरह सिकुड़ता और फैलता रहता है और मनी को एक एक क़तरा करके मसाने की तरफ फेंकता रहता है जैसे कमान से तीर*।
*🔊और घुटने को पीछे की तरफ इसलिए अल्लाह ने मोड़ा कि इंसान अपने आगे की तरफ चले तो उस की हरकत मातदिल (बैलेन्स्ड) रहे, अगर ऐसा न होता तो आदमी चलने में गिर पड़ता*।
*🟣उस मर्द ए हिन्दी ने कहा आपको ये इल्म कहाँ से मिला*❓
*🔮फरमाया मैंने ये इल्म अपने आबाये कराम से और उन्होंने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से और उन्होंने हज़रते जिब्रील (अलैहिस्सलाम) से और उन्होंने उस रब्बुलआलमीन से जिसने तमाम अजसाम व अरवाह को खल्क किया*।
*🔴उस मर्द हिन्दी ने कहा आप सच फरमाते हैं*,
*🔊मैं गवाही देता हूं कि नहीं है कोई अल्लाह सिवाय उसी अल्लाह के और मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उसी अल्लाह के रसूल और बन्दे हैं। और आप अपने ज़माने के सबसे बड़े आलिम हैं*। इमाम अबु हनीफा रजीयल्लाह तआला अन्हु की 70 साल की उम्र मे किसी ने पुछा आपकी उम्र कितनी है तो फरमाने लगे 2 साल फिर पुछने वाले ने कहा हमे तो आपकी उम्र लगभग 70 साल लगती है फिर इमाम अबु हनीफा ने कहा मेंरी ज़िन्दगी मेंसे वो 2 साल निकाल दिये जाये तो कुछ भी नही हुँ
फरमाया वो 2 साल जिसमें मेने इमाम इब्ने इमाम सखी इब्ने सखी हाजत रवा इब्ने हाजत रवा मुश्किल कुशा इब्ने मुश्किल कुशा सय्यदना इमाम जाफर सादिक अलेहीस्सलाम इब्ने इमाम बाकर अलेहीस्सलाम की खिदमात गुलामी में गुजारे |
एह्लेबैत अलेहीस्सलाम के दामन को थामलो
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