याकूत हमवी(1176 ई० – 1229 ई.)

याकूत हमवी
(1176 ई० – 1229 ई.)

याकूत हमवी का पूरा नाम याकूत इब्ने अब्दुल्ला अल-हमवी है। उनका जन्म एशिया माइनर के एक यूनानी घराने में हुआ। हमा का एक व्यापारी उन्हें बग़दाद ले आया। इसीलिए उनके नाम में हमवी लगा हुआ है। यद्यपि वह व्यापारी हमवी को ख़रीदकर लाया था लेकिन उसने अपने बच्चों की तरह उनका पालन-पोषण किया और बाद में आजाद कर दिया। याकूत हमवी गुजर बसर के लिए दस्तावेजों की नक़ल करते और उन्हें बेचते। जब आपके मालिक का देहांत हो गया तो मरू शहर में आकर बस गये। उन्होंने दमिश्क़, हलब और मूसल की यात्राएं भी की। मरू शहर के पुस्तकालयों में उन्होंने भूगोल पर दर्जनों पुस्तकें पढ़ीं। अपनी पुस्तक ‘मोअजमुल बलदान’ में एक जगह लिखते हैं- “मैं जीवन भर मरू में रहना चाहता था क्योंकि यहाँ के लोग सभ्य और शिष्ट थे, यहाँ की जीवन शैली अति उत्तम और पुस्तकालय अच्छे साहित्य से भरे पड़े थे, लेकिन इस शहर को तातारियों ने नष्ट कर डाला।”

मरू शहर में संसार की बेहतरीन पुस्तकों का भण्डार था। यहाँ दस बड़े पुस्तकालय थे और मैंने कहीं इतनी संख्या में पुस्तकें नहीं देखीं। ‘मोअजमुल बलदान’ अपने दौर की शानदार पुस्तक है। इस पुस्तक में प्रसिद्ध नगरों और शहरों का विवरण शब्दावली में दिया गया है। यह ऐसा इंसाईक्लोपीडिया है जिसमें भूगोल, इतिहास मनुष्य की विभिन्न जातियों और प्राकृतिक विज्ञान के बारे में प्रचुर सामग्री है। इस पुस्तक का विस्टेनफ़ीड नामी शोधकर्ता ने छह खण्डों में अनुवाद किया।

हमवी की दो और सुप्रसिद्ध पुस्तकें मोअजमुल उदबा और मुश्तरिक हैं। उसी ज़माने में एक और विद्वान आलम समआनी ने एक पुस्तक ‘किताबुल अन्साब’ लिखी थी। जिसमें विभिन्न कबीलों और नस्लों के बारे में जानकारी थी। लेकिन इस विषय पर हमवी की पुस्तक ज्यादा विश्वसनीय समझी जाती है।

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