
खलील व जिब्रईल
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को नमरूद ने जब आग में फेंकना चाहा तो जिब्रईल हाज़िर हुए और अर्ज कियाः हुजूर! अल्लाह से कहिए वह आपको इस आतिशकदा से बचा ले। आपने फ़रमायाः अपने जिस्म के लिए इतनी बुलंद व बाला पाक हस्ती से मामूली सा सवाल करूं । जिब्रईल ने अर्ज कियाः तो अपने दिल को बचाने के लिये उससे कहिये। फरमायाः यह दिल उसी के लिये है। वह अपनी चीज़ से जो चाहे सुलूक करे। जिब्रईल ने अर्ज किया : हुजूर इतनी बड़ी तेज़ आग से आप क्यों नहीं डरते? फ़रमायाः ऐ जिब्रईल! यह आग किसने जलाई?
जिब्रईल ने जवाब दियाः नमरूद ने। नमरूद के दिल में यह बात किसने डाली? जिबईल ने जवाब दिया : रब्बे जलील ने। फ़रमाया : तो फिर उधर हुक्मे जलील है तो इधर रजाए खलील है। (नुजहतुल मजालिस जिल्द २ सफा २०४). सबक : अल्लाह वाले हमेशा अल्लाह की रज़ा में राजी रहते हैं।