
इब्ने बेतार
(1197 ई० 1248 ई०)
इब्ने बेतार का पूरा नाम अब हम्मद अब्दुल्ला अहमद अल-मालिकी अल-नबाती था। लोग उन्हें इब्ने बेतार और अल बेतार के नाम से जानते हैं। उनका जन्म स्पैन के इलाक़े बनाना (Malaga) में 1197 ई० में हुआ।
इब्ने बेतार अपने जमाने के एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे। उन्हें जड़ी बूटियों को अच्छी जानकारी थी। उस जमाने में यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में हर कोई उनसे परिचित था। अरबी की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने आयुर्विज्ञान सीखा और उसमें इतनी कीर्ति प्राप्त की कि लोग आपको इमाम और शेख की उपाधि से याद करने लगे।
इब्ने बेतार एक सुशील और मिलनसार इंसान थे। राजा और जनता दोनों ही आपका सम्मान करते थे। वह दस साल दमिश्क़ के शासक मलिक अल-कामिल के शाही चिकित्सक रहे उसकी मृत्यु के पश्चात उसके पुत्र ने उन्हें राज चिकित्सक नियुक्त किया।
बीस साल की आयु से उन्होंने अफ्रीक़ा, मिस्र, एशियाई कूचक और यूनान के जंगलों में घूम-घूम कर जड़ी बूटियों का पता लगाया और गहराई से उनका निरीक्षण किया। उन्होंने यह भी पता लगाया कि सूख उनके आकार और प्रभाव में क्या परिवर्तन आता है। उन्होंने दमिश्क़ में जड़ी-बूटियों का बाग़ लगाकर वहाँ विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियां उगाईं। वह इन जड़ी-बूटियों का रोगियों पर प्रयोग भी करते थे। जाने पर
उन्होंने जड़ी बूटियों पर एक पुस्तक ‘किताबुल अदवियात-उलमुफ़र्रदा’ लिखी। इस पुस्तक से यूरोप वालों ने बड़ा लाभ उठाया क्योंकि इसमें दवाओं से संबंधित बहुमूल्य जानकारी थी। उनकी दूसरी महत्वपूर्ण पुस्तक ‘मुफ़र्रिदाते इब्ने बेतार’ है। ‘इसे जामेउल-अदविय वलअगज़िया भी कहा जाता है। इनके अलावा इब्ने-बेतार ने चार और पुस्तकें
लिखीं जो बहुत प्रसिद्ध हुईं। हेम्बर्ग (जर्मनी) में उनकी पुस्तकों के अनुवाद मौजूद हैं। इसके अलावा यूरोप की विभिन्न भाषाओं में उनकी पुस्तकों का अनुवाद हो चुका है। उन्हें अपने युग का सबसे बड़ा वनस्पतिशास्त्री (Botanist) होने का गर्व प्राप्त है।
इब्ने बेतार का निधन दमिश्क़ में हुआ और वहीं उन्हें दफ़न किया गया।
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