मुहम्मद बिन जकरिया राज़ी (Rhazes) (842 ई० 926 ई.)


मुहम्मद बिन जकरिया राज़ी (Rhazes) (842 ई० 926 ई.)

मुहम्मद बिन जकरिया राज़ी का पूरा नाम अबू बक्र मुहम्मद बिन जकरिया राज़ी था। उनका जन्म ईरान के नगर ‘रय’ में हुआ था। इसी कारण आपके नाम में राज़ी लगा हुआ है। यूरोप वाले उन्हें रैज़ज़ (Rhazes) के नाम से जानते हैं। राजी इस्लामी युग के बहुत बड़े चिकित्सक गुज़रे हैं।

बचपन में जकरिया राज़ी को पढ़ने लिखने में ज़्यादा रुचि नहीं थी। उन्हें खेल-कूद और संगीत बहुत पसंद था और वह एक साज़ ‘ओद’ बहुत अच्छा बजाते थे। जब राज़ी जवान हुए तो रोज़ी-रोटी के लिए उन्होंने रसायनज्ञ का काम शुरू किया। उस ज़माने में रसायन बनाने के लिए विभिन्न धातुओं और जड़ी बूटियों को आपस में मिलाकर आग में तपाया जाता था। रसायनों और जड़ी-बूटियों के लिए उन्हें औषधि विक्रेताओं के पास जाना पड़ता था। एक औषधि विक्रेता उनका मित्र बन गया। उन्होंने भी दवा बेचने में रुचि ली और यही आयुर्विज्ञान की ओर उनका पहला क़दम था। उन्होंने आयुर्विज्ञान की शिक्षा लेनी शुरू की। उस जमाने में आयुर्विज्ञान के साथ धर्मशास्त्र का ज्ञान ज़रूरी था। ‘रय’ में उन्होंने इन दोनों विद्याओं के
विशेषज्ञों से शिक्षा प्राप्त की और बग़दाद चले गये। बगदाद में वह प्रसिद्ध विद्वान अली बिन इन्ने तबरी के शिष्य बन गये। उनसे राजी ने बहुत कुछ सीखा और एक योग्य चिकित्सक सिद्ध हुए। अपने गुरु के देहांत के पश्चात सरकारी अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी बन गये। आयुर्विज्ञान पर 25 खण्डों में आपकी पुस्तक ‘अलहावी’ चिकित्सा जगत में प्रसिद्ध है जो यूरोप के पुस्तकालयों में मौजूद है।

सबसे पहले इस पुस्तक का अनुवाद लातीनी भाषा में हुआ। उन्होंने कुल 142 पुस्तकें लिखीं। उनकी सबसे मशहूर पुस्तक ‘अल-मंसूरी’ है इसका नौ खण्डों में Nunus Almansoori के नाम से अनुवाद हुआ है। चेचक पर उनकी पुस्तक के 1498 से 1866 तक चालीस एडीशन प्रकाशित हुए। J.H.Kellog के अनुसार (अलराज़ी) के बताए हुए इलाज पर आज भी संशोधन करना मुश्किल है। ‘अल-हावी’ में सभी बीमारियों का इलाज विस्तार से बताया गया है। उनकी दूसरी पुस्तक ‘अल-मंसूरी’ में विभिन्न बीमारियाँ और उनके इलाज का पूर्ण विवरण है। यह पुस्तक भी चिकित्सकों में बहुत लोकप्रिय हुई। इन दो प्रसिद्ध पुस्तकों के अलावा उन्होंने दर्जनों पुस्तिकाएं भी लिखीं। उन्होंने यह भी बताया कि भोजन द्वारा विभिन्न बीमारियों का इलाज कैसे किया जा सकता है। चेचक और खसरा के कारणों, लक्षणों और इलाज पर प्रथम पुस्तक राजी ने लिखी।

उनकी पुस्तकें पूरे यूरोप और इस्लामी जगत के पाठ्यक्रम में शामिल के थीं। यद्यपि उन्हें ख्याती चिकित्सक के रूप में मिली लेकिन जाबिर बिन हैयान के बाद वह सबसे बड़े रसायन शास्त्री माने जाते हैं। उन्होंने रसायन शास्त्री पर भी कई पुस्तकें लिखीं और उसमें प्रयोग होने वाले विभिन्न यंत्रों का वर्णन किया। उनकी लिखने की शैली बहुत सरल और सुबोध थी। उन्होंने भौतिकी पर भी कई परीक्षण किये और कई पदार्थों का भार मालूम किया । उसके लिए उन्होंने एक विशेष प्रकार का तराजू इस्तेमाल किया जो आज भी प्रयोग में आता है। केवल आयुर्विज्ञान पर उन्होंने सौ से अधिक पुस्तकें लिखीं।

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