क़यामे इमाम हसन अलैहिस्सलाम का मैदान!

“…दोनों पार्टियों और तहरीकों में (इमाम हसन अलैहिस्सलाम और मुआविया की पार्टी मे) में बहुत सी ख़ुसुसियात हैं। इन दो पार्टियों को हक़ और बातिल की पार्टी में तक़सीम किया जा सकता है। हक़ की तहरीक यानी इमाम हसन अलैहिस्सलाम की तहरीक में सबसे अहम दीन था; यानी लोगों के ईमान और अक़ीदे में दीन बाक़ी रहे, लोग ईमान और अमल में दीन की पाबंदी करें और मुआशरे में दीन की हुकूमत हो। जबकि इक़्तिदार हाथ में लेना, हुकूमत क़ायम करना, इमाम की नज़र में दूसरे और तीसरे दर्जे के काम थे, इसकी वजह ख़ुद उम्मत का इमाम से दूर हो जाना भी था। इमाम हसन अलैहिस्सलाम की नज़र में बुनियादी मसाएल ये था कि उम्मत इस्लामी निज़ाम और हाकिमियत से चले और जो लोग इस मुआशरे में रह रहे हैं, इनका ईमान ना सिर्फ़ बाक़ी रहे बल्कि इनके दिलों की गहराइयों तक पहुंच जाए।
वहीं मुआविया की पार्टी का एजेंडा इक़्तिदार को हथियाना, दीन के मसले में लापरवाही, अगर दीन इक़्तिदार की राह में हाएल हो जाए तो इसे भी दूर कर देना, क़त्ल-ओ-ग़ारत और क़ुरआन-ओ-सुन्नत से दूरी वग़ैरह था।”
📜 क़यामे इमाम हसन (अ)