हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि एक ईसाई मुसलमान हुवा। बाद में हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहिवसल्लम ने उसे अपना असिस्टेंट रख लिया, मुंशी के तौर पर कतीब ए वहीं रख लिया।
उस शख्स ने सूरत उल बकरा और सूरत उल आले इमरान खुद हुज़ूर (صلى الله عليه و آله وسلم)से सुनी और कतिब ए वहीं हुआ।
फिर कुछ अरसे बाद वो मुरतद हो गया और ईसाई ओ से जा मिला और हुज़ूर की गुस्ताखी की। जब वो मर गया तो उसे कबर ने भी नहीं संभाला।
– सही बुखारी जिल्द 3, हदीस न. 3617, सफा न. 685
और यही रिवायत सही मुस्लिम की हदीस न. 7040 और मिस्कत की हदीस न. 5898 में मौजूद है।
मैं सोच रहा था की ये ईसाई तो कातिब इ वही और सहाबी था, इसे अज़ाब कैसे हो सकता है? पर अगले अल्फ़ाज़ ने परेशानी दूर कर दी जब कहा गया की वो मुर्तद हो गया, दिन से फिर गया। इस से यही साबित होता है की सहाबी हो या कातिब इ वही, अगर एहलेबैत और आल ऐ मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहिवसल्लम से मुँह फेर लिया वो अल्लाह के अज़ाब से नहीं बचेगा।