
हम्द व नअत के बाद फरमाते हैं कि ऐ लोगो! मैं तुम्हें नसीहत करता हूं कि बच्चो दुनिया और उसकी फरेबकारियों से क्यों कि यह वह जगह है जो ज़वाल पज़ीर है। उसके लिए बका नहीं उसने गुज़िश्ता कौमों को फना कर दिया है। हालांकि उनके माल तुम से ज़्यादा थे। उनकी उमें तुम से कहीं लम्बी थीं, उनके जिस्मों को मिट्टी ने खा लिया और उनके हालात पहले की तरह नहीं रहे तो अब तुम उनके बाद दुनिया व माफीहा से किस बेहतरी की उम्मीद रखते हो।
अफ़सोस अफ़्सोस! ख़बरदार व होशियार हो जाओ कि इस दुनिया से लिपटे रहना और उसमें मशगूल हो जाना बेफाइदा है।
लिहाज़ा अपनी गुज़िश्ता और आइन्दा की ज़िन्दगी पर गौर करो। और नफ़्सानी ख्वाहिशात से फारिग होने और उम्र की मुद्दत खत्म होने से पहले इस दुनिया में नेक काम करो। जिसका अच्छा सिला आइन्दा तुम्हें मिलेगा। क्योंकि उन ऊंचे-ऊंचे महलों से बहुत जल्द कब्रों की तरफ़ बुलाए जाओगे और अच्छे बुरे कामों के बारे में तुम से हिसाब लिया जाएगा।
खुदा की कसम बताओ कितने ताजिरों की हसरतें पूरी हुईं और कितने जाबिर हैं जो हलाकत के गड्ढों में जा गिरे जहां उनकी नदामत ने उन्हें कोई भी फाइदा न दिया। और न ज़ालिम को उसकी फरियाद ने।
उसी का सिला उन्होंने पाया जो कुछ दुनिया में उन्होंने किया था। ऐ लोगो! जो मुझे पहचानता है और जो नहीं पहचानता, उसे अपना तआरुफ कराता हूं कि मेरा नाम अली है और मैं हुसैन इने अली का
, बेटा हूं और फातिमा ज़हरा का लख्ने जिगर हूं। मैं खदीजतुल-कुबरा का फरज़न्द और हमनवा हूं और मैं मक्का मुकर्रमा और सफा व मरवा व मिना का बच्चा हूं। मैं उस जाते कुदसी सिफत का बेटा हूं जिस पर मलाइका आसमान से सलात व सलाम पढ़ते है।
मैं उसका बेटा हूं जिसके मुतअल्लिक अल्लाह रब्बुल-इज़्जत का इरशाद है।
मैं उसका बेटा हूं जो शफाअते कुबरा का मालिक है मैं उसका बेटा हूं जो क्यामत में साकी है हौज़े कौसर का, रोजे क्यामत के दिन साहिबे इल्म होगा।
मैं साहबे दलाइल और मोजज़ात का बेटा हूं। मैं उसका बेटा हूं जो करामतों का मालिक और साहबे कुरआन है।
मैं बेटा हूं उस सरदार का जो क़यामत के दिन मकामे महमूद पर फाइज़ होगा।
मैं साहबे शिफ़ा व अता का बेटा हूं। जिसे दरखशन्दा ताज पहनाया गया।
मैं बेटा हूं साहबे बुराक का। मैं बेटा हूं सिफात व हुक्मे इस्माईली
रखने वाले का। मैं बेटा हूं साहबे तावील का।
मैं बेटा हूं साहबे सुदूर व दुरूद का।
बेटा हूं मैं आबिद व ज़ाहिद का, बेटा हूं मैं वादे वफा करने वाले का।
बेटा हूं मैं खुदाए मालिक व माबूद के रसूले बरहक का।
बेटा हूं मैं अबरारों के सरदार का।
मैं उसका बेटा हूं जिस पर सूरः बकरः
नाज़िल की गई।
मैं उसका बेटा हूं जिसके लिए बहिश्तों के दरवाजे खोले जाएंगे। मैं उसका बेटा हूं जिसके लिए जन्नते रिज़वान मख्सूस है। मैं उसका बेटा हूं जिसने प्यासे अपनी जान दी है।
मैं बानी करबला का बेटा हूं। मैं उसका बेटा हूं जिसका अमामा और चादर छीन लिए गये। मैं उसका बेटा हूं जिस पर आसमान के फरिश्ते रोए।

ऐ लोगो! खुदा ने अच्छी आजमाइश के साथ हमारा इम्तिहान लिया। हमें इल्म व हिदायत इनायत फरमाई और हमारे मुखालिफों को गुम्राही का झण्डा पकड़ाया। और हमें जुमला आलमीन पर बुजुर्गी अता फरमाई।
हमें वह दिया जो अहले आलमीन में से किसी को न दिया। और हमें पांच चीज़ों के साथ मख्सूस फरमाया जो मख्लूक में से किसी में नहीं पाई जातीं। यानी 1. इल्म।
- शुजाअत।
- सखावत।
- मुहब्बते खुदा।
- मुहब्बते रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)।
और हमें वह अता फरमाया जो मख्लूक में से किसी को नहीं अता किया।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक रज़ि अल्लाहु अन्हु इरशाद फ़रमाते हैं कि इस खुतबा का यह असर हुआ कि लोग चीख़ मार कर रोने लगे और इस क़द्र हीजान बढ़ा कि यज़ीद ने घबरा कर मुअज्ज़िन को अजान देने का हुक्म दिया। मुअज़्ज़िन ने अज़ान देनी शुरू कर दी। जब मुअज्जिन ने अल्लाहु अकबर कहा तो इमाम ने जवाब में फरमाया अल्लाहु अकबर फौका कुल्ला कबीरिन। बेशक अल्लाह सबसे बड़ा है। फिर मुअज्जिन ने कहा अश्हदु अन्ना ला इलाहा इल्लल्लाह और जब मुअज्जिन ने कहा अश्हदु अन्ना मुहम्मदर्रसूलुल्लाह तो हज़त इमाम जैनुल आबेदीन ने फरमाया।
बिल्लाहे अलैका अस्कत। तुझे कसम है खुदावन्दे कुडूस की ज़रा चुप रह मुअज्जिन खामोश हो गया तो आपने ने यज़ीद से फरमाया : तरजमा : ऐ यजीद सच कह क्या मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मेरे नाना हैं या तेरे अगर तूं कहे कि मेरे हैं तो तूने सच कहा और अगर तू कहे कि तेरे हैं तो तू झूठा है। तो यज़ीद ने कहा :
क्यों कत्ल किया उनके कुंबा को और क्यों गालियां दी उनके हरमे मोहतरम को।
। बेशक हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आपके नाना हैं। तो इमाम जैनुल आबेदीन ने फरमाया :
यज़ीद यह सुन कर खामोश हो गया और अहले मस्जिद चीखें मार-मार कर रोने लगे। आलम यह हो गया कि यज़ीद को अपनी जान के लाले पड़ गये। यज़ीद घबरा गया और अपने घर में चला गया। बिल-आखिर यजीद ने सैय्यद सज्जाद से कहा कि आपको रिहा किया जाता है चाहें तो यहीं रहें चाहें तो मदीना चले जाएं। हां आपके बाबा हुसैन के खून का मैं खू बहा देना चाहता हूं आप उसे कबूल करें। आपने यह बात अपनी फूफी सैय्यदा जैनब से अर्ज की कि फूफी जान यज़ीद बाबा का खू बहा दे रहा है कहता है कि अपने बाबा का खू बहा ले लो। हज़रत सैय्यदा जैनब को जलाल आ गया आपने फरमाया कि उसकी यह जुरअत। बेटा सज्जाद उस से कह दो कि वह किस-किस का खू बहा देगा असगर का या अकबर, कासिम का या औन व मुहम्मद का, अब्बास का या मेरे भैया हुसैन का? बेटा सज्जाद उस से कह दो कि वह अब खून बहा मैदाने महशर में देगा। जब मेरे बाबा अली रज़ि अल्लाहु अन्हु और मेरी मां फातिमा रज़ि अल्लाहु अन्हा और मेरे नाना जनाब मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मौजूद होंगे। आपने फ़रमाया मुझे मदीना जाने दो।
अहले बैत का यह नूरानी काफिला कैदखाने से बाहर निकला और नौमान इने बशीर की सरबराही में एक हज़ार सवारों के साथ मदीना रवाना कर दिया गया।
बस एक क्यामत थी जो गुज़र गई
जब अहले हरम कैद से आजाद हुए जनाब जैनब की ख्वाहिश पर यज़ीद के शहीदों के सरों को अहले हरम के हवाले कर दिया तो जिस शहीद का सर आता था। और जिस बीबी से उसका करीबी रिश्ता होता था। वह बढ़ कर उसे ले लेती थी। जनाब कासिम का सर
आया तो उम्मे फरवा ने लिया। अली अकबर
का सर आया तो जनाब लैला बढीं। जनाब अली असगर का सर आया तो रुबाब बढ़ीं।
और जब अब्बास का सर आया तो ज़ौज-ए-अब्बास मौजूद थीं मगर आगे न बढ़ीं।
जनाब उम्मे कुल्सूम ने आगे बढ़ कर अपनी आगोश में लिया और फरमाया भैया अब्बास आप मेरी तरफ से यौमे आशूरा फ़िदया बन कर गये थे आप मेरी गोद में आइए। तमाम बेटियां रोने लगीं।
हज़रत इमाम हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हु के सरे अनवर को छोड़ कर बाकी शुहदाए किराम के सरों को दमिश्क में दफन कर दिया गया। जो आज भी दमिश्क के तारीखी कब्रिस्तान बाबुस्सगीर में सड़क के पूरब तरफ मरजए आलम बना हुआ है।