
तरजमा : हज़रत अबू बरज़ह रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : आदमी के दोनों कदम (रोज़े क्यामत) उस वक्त तक इस्तिकामत नहीं पा सकते जब तक उस से चार चीजों के बारे में सवाल न कर लिया जाए उसके जिस्म के बारे में कि किस चीज़ में उसने उसको इम्तिहान में डाला और उसके उम्र के बारे में कि किस चीज में उसने उसको फना किया और उसके माल के बारे में कि कहां से उसने उसे कमाया? और किस चीज़ में उसने उसको खर्च किया? और अहले बैत की मुहब्बत के बारे में। पस अर्ज किया गया : या रसूलुल्लाह! सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आपकी मुहब्बत की क्या अलामत है? तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपना दस्ते अपदस हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्हु के कन्धे पर मारा। इस हदीस को इमाम तबरानी ने रिवायत किया है।
तरजमा : ‘हज़रत अब्दुल्लाह बिन हनब रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि एक दफा हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जहफ़ा के मकाम पर हम से मुखातब हुए और फरमाया : क्या मैं तुम्हारी जानों से बढ़ कर तुम्हें अज़ीज़ नहीं हूँ? सहाबा ने अर्ज़ किया : क्यों नहीं या रसूलुल्लाह! आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : पस मैं तुम से दो चीजों के बारे में सवाल करने वाला हूं। कुरआन के बारे में और अपनी इतरत अहले बैत के बारे में। आगाह हो जाओ कि कुरैश पर पेश कदमी न करो कि तुम गुमराह हो जाओ और न उन्हें सिखाओ कि वह तुम से ज़्यादा जानने वाले हैं और अगर कुरैश फख न करते तो मैं ज़रूर उनको अल्लाह के हां उनके मकाम के बारे बताता कुरैश में बेहतरीन लोग तमाम लोगों से बेहतरीन हैं। उसे इमाम अबू नईम ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अली रजि अल्लाहु अन्हु ब्यान करते हैं कि वह हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बारगाहे अक्दस में हाज़िर हुए। दरआं हालेकि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने चादर बिछाई हुई थी। पस उस पर हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम (बनपसे नफीस) हज़रत अली, हज़रत फातिमा, हजरत हसन और हज़रत हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुम बैठ गये फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उस चादर के किनारे पकड़े और उन पर डाल कर उसमें गिरह लगा दी। फिर फरमायाः ऐ अल्लाह! तू भी उन से राज़ी हो जा, जिस तरह मैं उन से राज़ी हूं। उसे इमाम तबरानी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुमा बयान करते हैं कि आख़िरी चीज़ जो हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाई वह यह थी कि मुझे मेरे अहले बैत में तलाश करो। इस हदीस को इमाम तबरानी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रजि अल्लाहु अन्हुमा बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : “अपनी उम्मत में से सबसे पहले जिसके लिए मैं शफाअत करूंगा वह मेरे अहले बैत हैं, फिर जो कुरैश में से मेरे करीबी रिश्तेदार हैं. फिर अन्सार की फिर उनकी जो यमन में से मुझ पर ईमान लाए और मेरी इत्तिबा की, फिर तमाम अरब की, फिर अजम की और सबसे पहले मैं जिनकी शफाअत करूंगा वह अहले फज़ल होंगे। इस हदीस को इमाम तबरानी ने रिवायत किया है।