

असीराने हरम का यह काफिला इने ज़्याद के दरबार में पेश किया गया। इमाम आली मकाम रजि अल्लाहु अन्हु का सरे मुबारक इब्ने ज़्याद के सामने एक तश्त में रखा गया। इने ज़्याद के हाथ में एक छड़ी थी जिस से वह आपके लबहाए मुबारक पर बेअदबी करते हुए छड़ी मारने लगा और चाहा कि दन्दाने मुबारक को शहीद कर दे मशहूर सहाबी-ए-रसूल हज़रत अरकम दरबार में मौजूद थे इने ज़्याद की इस गुस्ताखाना हरकत को देख कर चीख पड़े और फरमाया “अरे ख़बीस इने मरजाना अपनी नापाक छड़ी को लबहाए मुक़द्दस से फौरन हटा ले। रब्बे काबा की कसम! मैंने बारहा उन पाक लबों को सरवरे काइनात सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को चूमते हुए देखा है। यह सुन कर इने ज़्याद गुस्से से पागल हो गया और कहा मुझे तुम्हारी ज़ईफ़ी देख कर रहम आता है वरना अभी तुम्हारी गर्दन मार देता। हज़रत जैद इने अरकम रज़ि अल्लाहु अन्हु ने फरमाया कि ऐ’मरदूद तुझे जब आले रसूल पर रहम न आया तो मुझ पर क्या रहम आएगा और यह कहते हुए उठ कर वहां से चले गये कि ऐ अहले अरब आज से तुम सब गुलाम हो गये, तुमने फ़रज़न्दे रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को क़त्ल किया और इने मरजाना को अपना हाकिम बना लिया, उस पर खुदा की मार हो। उसके बाद ही फौरन इन्ने ज़्याद की तरफ ऐलान हुआ कि सारे अले शहर जामा मस्जिद में जमा हो जाएं। जब सारे लोग जमा हो गये, तो इने ज़्याद ने मिंबर पर खड़े हो कर कहा अल्लाह का शुक्र है जिसने अमीरुल-मुमिनीन यजीदी बिन मुआविया (मआज़ल्लाह) और उनके साथियों को कामयाबी अता फरमाई और मआजल्लाह कज़्ज़ाब इब्ने कज्जाब हुसैन बिन अली और उनके गरोह को शिकस्त दी और उनको हलाक किया इतना सुनना था कि शेरे खुदा की बेटी हज़रत सैय्यदा जैनब को जलाल आ गया और आपने दरबारे ज़्याद में ऐसा तारीख साज़ खुतबा दिया कि कूफे के दरो दीवार हिलने लगे, ऐसा लग रहा था कि जैसे क्यामत आ गई हो। आपका खुतबा सुन कर तमाम कूफ़ी रोने लगे।