
तरजमा : हज़रत अबू हुरैरह रज़ि अल्लाहु अन्हु हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : जिसे यह खुशी हासिल करना हो कि उसके नाम-ए-आमाल का पूरा-पूरा बदला दिया जाए जब वह हम अहले बैत पर दुरूद भेजे तो उसे चाहिए कि यूं कहे : ऐ अल्लाह! तू दुरूद भेज हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की अज़्वाजे मुतहहरात उम्महातुल-मुमिनीन पर और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जुर्रियत और अहले बैत पर जैसा कि तूने दुरूद भेजा हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर बेशक तू बहुत ज़्यादा तारीफ़ किया हुआ और बुजुर्गी वाला रब है। इस हदीस को इमाम अबू दाऊद ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अब्दुर्रहमान अबी लैला. रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि कब बिन अजरा रजि अल्लाहु अन्हु मुझे मिले और कहा क्या मैं तुम्हें वह (हदीस) हदिया न करूं जो मैंने हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सुनी है? मैंने कहा क्यों नहीं। रावी बयान करते हैं मैंने कहा कि वह मुझे हदिया करो तो उन्होंने कहा : हमने हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सवाल किया। सो हमने अर्ज किया : या रसूलुल्लाह! आपके अहले बैत पर दुरूद भेजें? तो हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : (यू) कहो : ऐ अल्लाह तू (बसूरते रहमत) दुरूद भेज। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की आल पर जैसा कि तूने दुरूद भेजा हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और कैसे

आप अलैहिस्सलाम की आल पर बेशक तू हमीद मजीद है और ऐ अल्लाह तू बरकत अता कर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की आल को जैसा कि तूने बरकत अता की इब्राहीम अलैहिस्सलाम और आप अलैहिस्सलाम की आल को बेशक तू हमीद मजीद है। इस हदीस को इमाम हाकिम और तबरानी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत वासेला अस्का रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि मैं हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्हु की तलाश में बाहर निकला तो मुझे किसी ने कहा कि वह हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास हैं पस. मैंने (वहा) उन (के पास जाने) का इरादा किया (और जब मैं वहां पहुंचा) तो मैंने उन्हें हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की चादर के अन्दर पाया और हज़रत अली, हजरत फातिमा और हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुम उन सबको हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक कपड़े के नीचे जमा कर रखा था पस आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ऐ अल्लाह! बेशक तूने अपने दुरूद और अपनी रिज़वान को मुझ पर और उन पर खास कर दिया है। इस हदीस को इमाम तबरानी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत हुसैन बिन अली रज़ि अल्लाहु अन्हुमा बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : हम अहले बैत की मुहब्बत को लाज़िम पकड़ो पस वह शख्स जो इस हाल में अल्लाह से (विसाल के बाद) मिला कि वह हम से मुहब्बत करता हो तो वह हमारी शफाअत के वसीले से जन्नत में दाखिल होगा और उस जात की कसम जिसके कब्ज-ए-कुदरत में मुझ मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की जान है किसी भी शख्स को उसका अमल हमारे हक की मारफित हासिल किए बेगैर फाइदा नहीं देगा। इस हदीस को इमाम तबरानी ने रिवायत किया है।

तरजमा : हज़रत अबू राफे रज़ि अल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्हु से फरमाया : ऐ अली! तू और तेरे (चाहने वाले) मददगार (क्यामत के रोज़) मेरे पास हौज़े कौसर पर चेहरे की शादाबी और सैराब हो कर आएंगे और उनके चेहरे (नूर की वजह से) सफेद होंगे और बेशक तेरे दुश्मन (क्यामत के रोज़) मेरे पास हौज़े कौसर पर बदनुमा चेहरों के साथ और सख़्त प्यास की हालत में आएंगे। इस हदीस को इमाम तबरानी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजि अल्लाहु अन्हुमा बयान करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु, अलैहि व सल्लम ने फरमाया : बेशक मैंने अपनी बेटी का नाम फातिमा रखा है क्योंकि अल्लाह तआला ने उसे और उसके चाहने वालों को आग से छुड़ा (और बचा) लिया है। इस हदीस को इमाम दैलमी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद रज़ि अल्लाहु अन्हु हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : अहले बैते मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की एक दिन की मुहब्बत पूरे साल की इबादत से बेहतर है और जो इसी मुहब्बत पर फौत हुआ तो वह जन्नत में दाखिल होगा। इस हदीस को इमाम दैलमी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत जैद बिन अरकम से मरफूअन रिवायत है कि पांच चीजें ऐसी हैं कि अगर किसी को नसीब हो जाएं तो वह आखिरत के अमल का तारिक नहीं हो सकता (और वह पांच चीजें यह है) : नेक बीवी, नेक औलाद, लोगों के साथ हुस्ने मुआशरत और अपने मुल्क में रोजगार और आले मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की इस हदीस को इमाम दैलमी ने रिवायत किया है। मुहब्बत।
तरजमा : हजरत अली बिन अबी तालिब रजि अल्लाहु अन्हु मरफूअन रिवायत करते हैं कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : चार शख्स ऐसे हैं क्यामत के रोज़ जिनके लिए मैं शफाअत करने वाला हूंगा (और वह यह हैं 🙂 मेरी औलाद की इज्जत व तक्रीम करने वाला, और उनकी हाजात को पूरा करने वाला, और उनके मुआमलात के लिए तग व दौ करने वाला जब वह मजबूर हो कर उसके पास आएं तो दिलो जान से उनकी मुहब्बत करने वाला। इस हदीस को इमाम मुतकी हिन्दी ने रिवायत किया है।
तरजमा : हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजि अल्लाहु अन्हुमा बयान करते हैं कि आले रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की एक खादिमा थी जो उनकी ख़िदमत में बजा लाती उसे ‘बरीरह’ कहा जाता था पस उसे एक आदमी मिला और कहा : ऐ बरीरह अपनी चोटी को ढांप कर रखा करो बेशक मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तुम्हें अल्लाह की तरफ से कुछ फाइदा नहीं पहुंचा सकते। रावी बयान करते हैं पस उसने हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को इस वाकया की खबर दी पस आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी चादर को घसीटते हुए बाहर तशरीफ़ लाए दरआं हालेकि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दोनों रुखसारे मुबारक सुर्ख थे और हम (अन्सार का गरोह) हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के गुस्से को आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के चादर के घसीटते और रुख्सारों के सुर्ख होने से पहचान लेते थे पस हमने अस्लहा उठाया और हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आ गये और अर्ज किया : या रसूलुल्लाह! आप जो चाहते हैं हमें हुक्म दें पस उस जात की कसम जिसने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को हक के साथ मबऊस फरमाया है अगर आप हमें हमारी माओं, आबा और औलाद के बारे में भी कोई हुक्म फरमाएंगे तो हम उनमें भी आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कौल को नाफिज़ कर देंगे पस आप
सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मिंबर पर तशरीफ फरमा हुए और अल्लाह तआला की हम्दो सना बयान की और फरमाया : मैं कौन हूँ? हमने अर्ज किया : आप मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन अब्दुल-मुत्तलिब बिन हाशिम बिन अब्दे मनाफ हैं। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : मैं हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की औलाद का सरदार हूं लेकिन कोई फल नहीं, मैं वह पहला शख्स हूं जिससे कब्र फटेगी लेकिन कोई फ़ल नहीं और मैं वह पहला शख्स हूं जिसके सर से मिट्टी झाड़ी जाएगी लेकिन कोई फल नहीं और मैं सबसे पहले जन्नत में दाखिल होने वाला हूं लेकिन कोई फल नहीं। उन लोगों को क्या हो गया है जो यह गुमान करते हैं कि मेरा रहम (नसब व तअल्लुक) फाइदा नहीं देगा ऐसा नहीं है जैसा वह गुमान करते हैं। बेशक मैं शफाअत करूंगा और मेरी शफाअत कबूल भी होगी यहां तक कि जिसकी मैं शफाअत करूंगा वह यकीनन दूसरों की शफाअत करेगा और उसकी भी शफाअत कबूल होगी यहां तक कि इब्लीस भी अपनी गर्दन को बुलन्द करेगा शफाअत में तमञ् की खातिर (या किसी तौर उसकी शफाअत भी कोई कर दे)। इस हदीस को इमाम तबरानी ने बयान किया है।