
🕋…..बेदम यही तो पांच हैं मक़सूदे कायनात…..🕌
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि. बयान करते हैं के हुज़ूर नबी ए अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा सल्लम ने इरशाद फ़रमाया :
मैं इल्म का तराज़ू हूँ अली उसका पलड़ा है
हसन और हुसैन उसकी रस्सियां हैं
फ़ातिमा उसका दस्ता है और मेरे बाद (आइम्मा ए अहलेबैत) आइम्मा ए अतहार (इस तराज़ू की) उमूदी सलाख़ हैं
जिसके ज़रिये हमारे साथ मुहब्बत करने वालों के आमाल तौले जायेंगे
Reference:-
[ दैल्मी फ़ी मुसन्द उल फिरदौस, 01/44, रक़म -107,
अजलूनी फ़ी कशफ़ुल ख़ाफ़ा 01/236,
ग़यातुल इजाबाह फ़ी मनाक़िब इल क़राबाह /111, रक़म-123,]