मैं और अली एक नूर से हैं

मेरे लिए नुबूवत और अली के लिए विलायत
सुनो ये अहलेसुन्नत के हवाले हैं ये मत कह देना की ये राफ़ज़ियों का अक़ीदा है
मशहूर मुहद्दिस और फ़क़ीह अल्लामा तबरी रहमतुल्लाह अलैह अपनी ला जवाब तसनीफ़े लतीफ़
“रियाज़ उन नज़ारा फ़ी मनाक़ीबिल अशारह”
में हज़रत सैय्यदना मौला अली कर्रमअल्लाहो वजहुल करीम के ख़साइस के बाब में इमाम अहमद बिन हंबल की किताब “अल मनाक़िब” के हवाले से ये हदीस नक़्ल करते हैं 👇👇👇👇👇
हज़रत सलमान फ़ारसी रदिअल्लाहो अन्हो ने रिवायत की के मैंने हुज़ूर नबी ए अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा सल्लम को ये फ़रमाते हुए सुना की 👇
“मैं (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा सल्लम) और अली तख़लीक ए आदम से चौदा हज़ार (14000) बरस (साल) पहले एक नूर की सूरत में अल्लाह तबारक वा तआला के हुज़ूर में मौजूद थे
फिर जब अल्लाह ने आदम अलैहिस्सलाम को पैदा फ़रमाया तो उस नूर को दो (2) अज्ज़ा में तक़सीम फ़रमाया
चुनांचे एक जुज़ मैं (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा सल्लम) और एक जुज़ अली (कर्रमअल्लाहो वजहुल करीम) हैं
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[ मुहिबउद्दीन तबरी फ़ी अर रियाज़ उन नज़ारा फ़ी मनाक़िब इल अशाराह 2/217, मुश्किल कुशा अलैहिस्सलाम, बाब : अनवार ए नाम ए अली अलैहिस्सलाम, 01/184,185 ]