क्या वाकई ज़िना कर्ज़ है ??
जी हाँ! ज़िना एक कर्ज़ है और ये ज़िना की तमाम तबाहीयो और बर्बादियों मे से वोह तबाही व बर्बादी है जिसका ज़िनाखोर खुद दुनिया मे ही शिकार होता है और ये जिनाखोर के लिए उसके मुंह पर जबरदस्त तमाचा होता है__
और बुजुर्गों ने ज़िना के बारे मे फरमाया है कि :
” ज़िना वोह कर्ज़ है जो जिनाखोर के घर वाले चुकायेगे “
शम्सुद्दीन मोहम्मद बिन अहमद हम्बली रहमतुल्लाह अलैह ने लिखा है कि :
” जो किसी से दो हजार दिरहम के बदले जिना करेगा तो उसके घरवालों मे से चौथाई दिरहम के बदले ज़िना कीया जायेगा बेशक ज़िना एक कर्ज़ है अगर तु इसे कर्ज़ लेगा तो जान ले कि इसकी अदायगी तेरे घरवाले करेंगे-“
( गेजाउल अलबाब जिल्द 2 सफा 440 मिश्र )
ज़िना एक कर्ज़ है इसकी तस्दीक़ इस हदीस शरीफ से भी होती है जिस मे हुज़ूर ﷺ ने फरमाया है कि :
जिसने ज़िना कीया तो उसके साथ भी ज़िना कीया जायेगा
( कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 5 सफा 456 बैरुत )
ज़िना का दुनिया में बदला
ज़िना की तरफ ले जाने वाले काम जयसे गैर औरत को छुना,गैर औरत की तरफ शहवत से देखना,बोसा लेना,गपशप करना,दोस्तीया करना,वगैरह काम भी नाजायज और गुनाह है और इन कामों का बदला कभी-कभी दुनिया दिखा दिया जाता है_
चुनान्चे इस हवाले से दो वाकेआत पेश करता हूँ इन को पण्हीये और इबरत हासिल किजीये_
( 1 ) वाकेआ
अल्लामा इस्माइल हक्की रहमतुल्लाह अलैह ने तफसीरे रुहुल बयान मे एक वाकया लिखते हैं कि
बुखारा शहर में एक सुनार के घर पर एक शख्स 30 साल तक पानी भरता रहा
सुनार की बीवी नेक और बहुत खूबसूरत थी एक दिन उस पानी भरने वाले ने सुनार की बीवी का हाथ पकड़ लिया और उसको दबाया,
जब औरत का शोहर सुनार घर पर आया तो उसने अपने शोहर से पुछा कि आज तुमने अल्लाह की कोनसी नाफरमानी की है??? तो सुनार ने कहां कोई नाफरमानी नही की है जब बीवी ने सख्ती से पुछा तो सुनार ने कहां कि आज एक औरत दुकान पर आई और उसने कंगन बाजू से उतार कर रखा तो उसके बाजू की सफेदी देख कर मुजे ताज्जुब हुआ और मेने उसके बाजू को पकड़ कर दबा लिया: ये सुनकर बीवी ने कहां: अल्लाहु अकबर ! पानी वाले की खयानत करने की यहीं हिकमत थी तो फिर सुनार ने कगन वाली औरत को मुखातिब हो कर कहा कि तु जो कोई भी औरत है मे उससे तौबा करता हूँ और तु मुजे इस गुनाह से मुआफ़ी दे दे जब दुसरा दिन आया तो पानी वाले ने भी आकर तौबा की और कहा कि अय घर के मालिक मुजे मुआफ करदे बेशक शैतान ने मुजे गुमराह कर दिया: सुनार की बीवी ने कहां चला जा ये गलती मेरे शोहर से हुईं है जिस का अल्लाह ने इस दुनिया में बदला दे दिया _
( तफसीरे रुहुल बयान जिल्द 4 सफा 160 बैरुत )
( 2 ) वाकेआ
इब्ने हजर हैतमी रहमतुल्लाह अलैह ने अज़्ज़वाजीर मे एक वाकया नकल किया है कि
एक बादशाह को जब ये बताया गया कि ज़िनाखोर से ज़िना का बदला उसकी औलाद से लिया जाता है तो बादशाह ने अपनी खुबसूरत बेटी पर तजुर्बा करने के लिए उसको एक फकीर औरत के साथ भेजा और हुक्म दिया कि अपना चहेरा खुला रखना और बाजारो का चक्कर लगाना और जो कोई इस से हरकत करना चाहे तो करने देना मना मत करना,
बादशाह की बेटी जहाँ से गुजरती लोग शरमो हया से निगाहें जुका लेते उसने पुरा शहर गुम लिया मगर किसी ने भी निगाह उठा कर उसकी तरफ नही देखा,
जब वोह बादशाह के महल के करीब आई तो एक शख्स ने उसे पकड़ लिया और उसका बोसा लिया और चला गया उसके बाद बादशाह की बेटी महल में दाखिल हुईं तो बादशाह ने उस से सारा माजरा पुछा तो लडकी ने सब कुछ बता दिया,
बादशाह ने सुन कर अल्लाह का शुक्र अदा किया और कहां कि उसने सारी उमर किसी से ज़िना नही किया मगर एक मरतबा एक औरत का बोसा लिया था जिस का बदला आज पुरा हो गया_
( अल जवाजिर अन इकतेराफिल कबाइर जिल्द 2 सफा 222 बैरुत )
नज़र की हिफाज़त घरवालों की हिफाज़त का ज़रीया
अपनी नज़र की हिफाज़त किजीये ताकी आपके घरवाले भी महफ़ूज रह सके क्यों की आज किसी की माँ,बहन,बेटी और बीवी को इज्जत की निगाहों से देखेंगे तो अल्लाह हमारी माँ,बहन,बेटी और बीवी की इज्जत को महफ़ूज फरमायेगा और अगर दूसरों की इज्जत को पामाल करेंगे तो कल को अपने साथ भी यही हश्र होगा_ इमाम इब्ने मफलह रहमतुल्लाह अलैह ने “आदाबे कुबरा” मे फरमाया है कि : एक आबीद ने फरमाया : मेने एक अयसी औरत को देखा जिसको देखना मेरे लिए हलाल नही था तो मेरी बीवी को भी देखा गया जिसको मे पसंद नहीं करता था
( गिजाउल अलबाब )
क्या कोई ये पसंद करेंगा ??
आज जवानी की मस्ती में आकर दूसरों की इज्जत को लुटा जाता है, मोहब्बत और इश्क के नाम पर बेहयाइ की जाती है, और जो समजाए उसको प्यार का दुश्मन समजा जाता है
मगर ये नही सोचते कि कल को हमारी इज्जत के साथ भी अयसा खिलवाड़ हो सकता है, अगर किसी नौजवान से पुछा जाए की तेरी कितनी गर्लफ्रेंड है तो बड़े फख्र से बताता है कि इतनी-इतनी
मगर उस से ये पुछा जाए की तेरी बहन के कितने ब्वॉयफ्रेंड है तो आग बगोला हो जाए और आपे से बाहर हो जाए
तो जब मामला अयसा है तो इश्क के नाम पर बेहयाइ करने वाले ये क्यों नहीं सोचते कि जिस तरह कोई उनकी बहन बेटी और बीवी से इश्क मोहब्बत करे तो गवारा नहीं इसी तरह दुसरे लोग भी इसको गवारा नहीं करते की कोई उनकी बहन बेटी और बीवी से इश्क मोहब्बत करे_