इमाम हसन अलैहिसलाम की शहादत पर मुआविया ने क्या कहा ??? गौर से पढीये और ज्यादा से ज्यादा share कीजिये।
सहाबी अल मिक़्दाम इबने मदिकारीब और एक दूसरा शख्श बनु असद से मुआविया से मिलने गए।
मुआविया ने अल मिक़्दाम से कहा “क्या तुम जानते हो की हसन इबने अली फौत हो चुके ??”
हज़रत मिक़्दाम ने कहा “इन्ना लिल्लाहे व इन्ना अलैहि राजिऊन”
जो की किसी भी मुसलमान के गुज़र जाने पर हम पढ़ ते है, ये तो फिर भी नवासा इ रसूल थे। पर मुआविया को ये बात पसंद न आयी
और मुआविया बोल पड़ा “क्या तुम हसन का मरना इस्लाम के लिए मुसीबत समाज ते हो ??”
हज़रात मिक़्दाम ने कहा “क्यों ना समझु जब की ये हकीकत है की अल्लाह के पैगम्बर हसन और हुसैन को अपनी गोद में रखते और कहते की हसन मुझ से है और हुसैन अली से”
अल्लाहु अकबर !!!! अल्लाहु अकबर !!!!
तब उसने कहा “वो तो आग का अंगारा था, जो अल्लाह ने बुझा दिया”
नऊज़ुबिल्लाह मीन ज़ालिक
तब हज़रात इ मिक़्दाम ने कहा आज मैं तुझे तेरी हकीकत बताऊंगा चाहे तुझे गुस्सा आये और वो बताऊंगा जो तुझे सुन न पसंद नहीं।
फिर कहा “मुआविया मैं सच बोलू तो सच बताना और जुठ बोलू तो जुठ, क्या तूने नहीं सुना की अल्लाह के पैगम्बर ने सोना पहन ने से मना फ़रमाया था????”
मुआविया ने कहा “हा”
फिर हज़रात इ मिक़्दाम ने कहा “तुझे अल्लाह की कसम, क्या नबी ने रेशम के कपडे पहन ने से मना नहीं फ़रमाया ???” मुआविया ने फिर कहा “हा”
फिर हज़रात इ मिक़्दाम ने कहा “तुझे अल्लाह की कसम, क्या नबी ने जानवर की खाल के कपडे पहन ने से और उस पर बैठना मना नहीं फ़रमाया ???” मुआविया ने फिर कहा “हा”
हज़रत मिक़दाम ने कहा “ये तीनो हराम काम तेरे घर में होते मैंने देखा है।”
फिर मुआविया ने हज़रत मिक़्दाम को 200 दिरहम दिए और कहा “मैं जानता हु तुम से नहीं बच सकता” हज़रत मिक़्दाम ने वो उसी वक़्त गरीबो में बाँट दिए।
अब आप खुद सोचिये, हुज़ूर सलल्लाहो अलैहिवसल्लम ने जो काम हराम कहा ऐसे तीन काम मुआविया के घर में हो रहे है और इमाम हसन की शहादत पर खुसी मन रहा है। ये कैसा सहाबी है ?????
- सुनन अबू दाऊद जिल्द 4, हदीस न. 4131, सफा न. 193
- तारीख इ मसूदी जिल्द 1, हिस्सा 2, सफा न. 365-66
- तज़किरा अल खवास सफा न. 245
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