कहाँ गए ग़म ए हुसैन के बजाए जशन मनाने वाले


रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम पर क्या गुज़री होगी 👇👇👇👇👇
शैख़ुल फ़ुक़हा वल मुहद्दिसीन शैख़ शिहाब अल-दीन बिन हजर अल-हैसमी मिस्री अल- मुतवफ़्फ़ा सिन 973 हिजरी लिखते हैं की : " इब्ने जवज़ी फ़रमाते हैं कि ग़ज़वा ए बद्र में हज़रते अब्बास (जो उस वक़्त तक मुसलमान नही हुए थे) गिरिफ़्तार हो कर आये, तो उनके रोने की आवाज़ से हुज़ूर नबी ए अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वक़् सल्लम को नींद नही आयी,तो हज़रत सैय्यदना इमामे हुसैन के रोने से हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम का क्या हाल हुआ होगा ! ” सैय्यदना हम्ज़ा रदिअल्लाहो अन्हु के क़ातिल वहशी (क़ुबूल ए इस्लाम के बाद) जब बारगाहे अक़दस में हाज़िर हुए तो आप सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने फ़रमाया : " मुझे अपना चेहरा मत दिखाया करो,जिसने मेरे प्यारों को क़त्ल किया, मैं उसका चेहरा देखना नही चाहता……
हालाँकि इस्लाम गुज़िश्ता जराइम को मिटा देता है, इसके बावजूद आप सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के क़ल्बे अतहर की हालत ये हुई . “ " तसव्वुर कीजे जब रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम उन लोगों को देखेंगे जिन्होंने आप सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के लाडले सैय्यदना इमामे हुसैन रदिअल्लाहो अन्हु को ज़िब्हा किया उन्हें क़त्ल करने का हुक्म दिया और अहलेबैत अलैहमुस्सलाम को (कजावों के बग़ैर) ऊंटों की नंगी जीनों पर रस्सियों में जकड़ कर सवार किया और रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की इफ़्फ़त मआब बेटियों को बे-हिजाब किया, तो आप सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के दिल की कैफ़ियत क्या हुई होगी "
हवाला 📚📘 कुतुब ए अहलेसुन्नत 👇
हैसमी फ़ि अस-सवाइक़ अल-मुहरिक़ाह ‘अला अहल अल-बिदा’ व अज़-ज़न्दक़ाह,/194_195