सलात क्या है नमाज़ क्या है?
(1) सलात की जाती है।
नमाज़ पढ़ी जाती है।
(2)सलात में हर्फ और लफ्ज़ नहीं
नमाज़ में हर्फ और लफ्ज़ अदा करते हैं।
(3)सलात का इंकार कुफ्र है।
नमाज़ का इंकार कुफ्र नहीं।
(4)सलात करने से खुदा की मारफत हासिल होती है।
नमाज़ पढ़ने से कुछ भी नहीं होता।
(5)सलात और चीज़ है।
नमाज़ और चीज़ है।
(6)सलात दीन है।
नमाज़ इस्लाम है।
(7)सलात रूह से की जाती है।
नमाज़ जिस्म से पढ़ी जाती है।
(8)सलात इलेक्ट्रिक पावर है।
नमाज़ मशीन है।
(9)सलात में ही मेराज होती है।
नमाज़ में में मेराज नहीं होती।
(10) सलात का जिक्र सात सौ जगह है।
नमाज़ का एक जगह भी नहीं।
(11)सलात करने से फासिद ख्याल चले जाते हैं।
नमाज़ पढ़ने से ख्याल नहीं जाते हैं।
(12)सलात ला मौजूदा इल्लललाह।
नमाज़ मकसद जन्नत हूरो गिल्मा।
(13)सलात के लिए वक्त मुक़र्रर नहीं।
नमाज़ के लिए वक्त की पाबंदी है।
(14)सलात खुदा की याद से गाफिल नहीं करती।
नमाज़ खुदा से गाफिल कर देती है।
(15)सलात तालिबे मौला करते हैं।
नमाज़ तालिबे उक्बा के लिए पढ़ी जाती है।
(16)सलात खुदा का हुक्म है।
नमाज़ रूक्न इस्लाम है।
(17)सलात देखकर करते हैं।
नमाज़ बेदेखे पढ़ते हैं।
(18)सलात सनम के रूबरू होती है।
नमाज़ में सनम नहीं होता।
(19)सलात जो छिपकर की जाए।
नमाज़ जो दिखावे की पढ़ी जाती है।
(20)सलात ही इबादत है।
नमाज़ एक अमल है।